अयोध्या: अयोध्या में राम मंदिर के परिधि के भीतर फोर-लेन रिंग रोड के विस्तार कार्य के लिए किये गए भूमि अधिग्रहण ने किसानों के बीच हलचल मचा दी है। सोहावल तहसील के 10 राजस्व गांव इस विस्तार कार्य के चपेट में आ गए हैं। लगभग 200 किसानों की कुल 18 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है, लेकिन इस अधिग्रहण की प्रक्रिया को लेकर किसानों में असंतोष बढ़ रहा है।
अधिग्रहण में सर्किल रेट की बढ़ोतरी की मांग
अधिग्रहण की प्रक्रिया के तहत किसानों की भूमि के लिए सर्किल रेट बढ़ाए बिना ही शासनादेश जारी किया गया है, जिससे प्रभावित किसानों में बेचैनी फैल गई है। भूमि अधिग्रहण के इस फैसले से जुड़ी 10 प्रमुख राजस्व गांवों में कटरौली, मंगलसी, जगनपुर, रसूलपुर, भिटौरा, चिर्रा, मूसेपुर, बिछिया मऊ, यदुवंशपुर, और सोफिया पारा शामिल हैं। इन गांवों के किसानों का आरोप है कि सरकार द्वारा दी गई कीमत उनकी भूमि की वास्तविक कीमत से काफी कम है, और यह भूमि की कीमत के मामले में धोखा है।
किसानों का प्रशासन पर आरोप
इस बारे में बातचीत करते हुए प्रभावित किसान शमशाद, जुबेर खान, राम अंजोर, और गंगा राम ने बताया कि प्रशासन को इस भूमि अधिग्रहण की जानकारी पहले से ही थी, इसलिए सर्किल रेट बढ़ाने की प्रक्रिया शासन से शुरू होने और पूरी होने के बावजूद जिला प्रशासन ने सर्किल रेट में कोई वृद्धि नहीं की। अब पुरानी दरों पर ही किसानों को उनकी भूमि की कीमत दी जाएगी, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
किसान बताते हैं कि गजट होने के बावजूद प्रशासनिक अधिकारी इस पर कुछ भी स्पष्ट बताने को तैयार नहीं हैं। उन्हें डर है कि इस प्रक्रिया में उनका शोषण हो सकता है और उनकी भूमि की सही कीमत नहीं मिल पाएगी।
भूमि अधिग्रहण के बारे में तहसीलदार का बयान
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सोहावल तहसीलदार सुमित सिंह ने बताया कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया से जुड़े गजट की जानकारी किसानों से ही प्राप्त हुई है। तहसीलदार ने स्पष्ट किया कि फिलहाल प्रशासन को इस बारे में कोई नया निर्देश नहीं मिला है। जैसे ही आदेश प्राप्त होगा, उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
किसान और प्रशासन के बीच बढ़ता तनाव
किसानों का कहना है कि उनकी मेहनत की भूमि का उचित मूल्य उन्हें नहीं मिल रहा है। रिंग रोड के विस्तार के लिए आवश्यक भूमि के अधिग्रहण के दौरान यह गलत प्रक्रिया और असंतोषजनक कदम किसानों के लिए बड़े संकट का कारण बन रहा है। कई किसान भूमि अधिग्रहण विभाग और राजस्व विभाग के कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है।
नियोजन कार्य और भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में विलंब
चूंकि राम मंदिर का महत्व धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत अधिक है और इसके आसपास का क्षेत्र भी विकास के लिए महत्वपूर्ण है, ऐसे में भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को लेकर किसी भी प्रकार की लापरवाही और गलत निर्णय किसानों के लिए गंभीर परिणाम ला सकते हैं। प्रशासन पर आरोप है कि यदि पहले ही सर्किल रेट बढ़ा दिया गया होता तो किसानों को ज्यादा उचित मुआवजा मिल सकता था।
किसानों की उम्मीद और प्रशासनिक कदम
इस पूरे मामले में किसान अपनी भूमि का सही मूल्य मिलने की उम्मीद करते हैं और प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि भूमि के अधिग्रहण में पारदर्शिता बरती जाए और उनकी मेहनत की सही कीमत उन्हें दी जाए। वहीं प्रशासन भी इस मामले पर ध्यान दे रहा है और जैसे ही नए निर्देश मिलेंगे, किसानों को जल्द ही सूचना दी जाएगी।