विदेश घूमकर आने वाली शिक्षिका को अवैध वेतन दिलाने वाले बाबू पर मेहरबानी
UP NEWS आगरा। जनपद के बेसिक शिक्षा विभाग की जड़ों में फैला अवैध अटैचमेंट का रोग कथित कॉकस के लिए मुफीद बना हुआ है। यह कॉकस अपने निजी फायदे के लिए कथित रूप से उन बाबुओं को मोहरा बनाकर मलाईदार कुर्सियों पर काबिज करवा रहा है, जिनके खिलाफ पूर्व में भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं के आरोप में कार्रवाई तक हो चुकी है। इसके बाद की विभागीय कहानी किसी से छिपी नहीं है।
आपको बता दें कि शासन द्वारा अटैचमेंट पर सख्त रोक के बावजूद आगरा के बेसिक शिक्षा विभाग में विभिन्न ब्लॉकों के बाबुओं का अटैचमेंट करने का खेल थम नहीं रहा है। हाल ही में मुख्यालय पर अटैचमेंट के रूप में तैनात किए गए बाबुओं में से एक के खिलाफ इतने गंभीर आरोप हैं कि विगत में तत्कालीन संबंधित ब्लॉक के खंड शिक्षा अधिकारी ने उसके साथ कार्य करने से इनकार करते हुए अपने उच्चाधिकारी को पत्र लिखा था। यह बाबू मृतक आश्रित कोटे से विभाग में कनिष्ठ लिपिक पद पर भर्ती हुआ था। वरिष्ठ लिपिक पद पर पदोन्नति मिलने के बावजूद उसने यह पद स्वीकार नहीं किया। इस बाबू पर रिश्वत लेने से लेकर एक शिक्षिका को एक साल तक विदेश में घूमने के बावजूद वेतन जारी कराने जैसे गंभीर आरोप लगे थे। जब इसका भंडाफोड़ हुआ तो इसे निलंबित कर दिया गया। अब एक बार फिर विभागीय अधिकारी इस कथित भ्रष्टाचारी बाबू पर मेहरबान हैं। हाल ही में इसे अटैचमेंट के जरिए मुख्यालय में तैनात कर महत्वपूर्ण पटल सौंप दिया गया है।
अनुभवी एवं विशेषज्ञ बाबू हो रहे दरकिनार
बेसिक शिक्षा विभाग के मुख्यालय पर उन्हीं बाबुओं का बोलबाला है, जिनके कारनामे विगत में सुर्खियों में रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, इन बाबुओं के पीछे एक शक्तिशाली कॉकस है जो इनके जरिए निलंबन बहाली, आरटीई, स्कूलों की किताबों की कमीशनबाजी और निरीक्षण के नाम पर अवैध वसूली जैसे खेल को अंजाम देता है। विगत में बाबुओं के ऐसे ही कारनामों ने विभागीय छवि को बुरी तरह शर्मसार किया है।
प्रशासनिक अधिकारियों के तमाम आदेश हो रहे बेअसर
बेसिक शिक्षा विभाग मुख्यालय पर अटैचमेंट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। विगत में सीडीओ से लेकर एडी बेसिक तक ने लिखित और मौखिक रूप से निर्देश जारी कर समस्त अटैचमेंट समाप्त कर कार्मिकों को उनके मूल तैनाती स्थल पर भेजने के निर्देश दिए थे। आदेशों के अनुपालन में आनन-फानन में लिखित आदेश जारी कर अधिकारियों को भ्रमित कर दिया जाता है। कुछ समय बाद यह खेल फिर शुरू हो जाता है। मुख्यालय पर अटैच होने वाले बाबुओं का ज्ञान का स्तर इतना सीमित है कि उन्हें कंप्यूटर से लेकर विभागीय कार्यों की भी समुचित जानकारी नहीं होती।