बकरी पालन को ‘चलता-फिरता एटीएम’ बनाने पर जोर, शोध और नवाचार से किसानों को सशक्त करने का संकल्प
मथुरा: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के तहत संचालित केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मखदूम ने आज अपने 46वें स्थापना दिवस के अवसर पर एक ऐतिहासिक पहल करते हुए प्रथम राष्ट्रीय बकरी दिवस का भव्य आयोजन किया. यह उत्सव संस्थान की अनुसंधान, नवाचार और विस्तार कार्यों में उत्कृष्टता का प्रतीक रहा, जिसमें देश भर के प्रमुख पशुपालन एवं कृषि अनुसंधान संस्थानों के वैज्ञानिक, अधिकारी, शिक्षाविद, बकरी पालक किसान, शोधार्थी और विद्यार्थी शामिल हुए.
प्रमुख अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
कार्यक्रम का उद्घाटन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. मंगी लाल जाट ने किया, जबकि अध्यक्षता उपमहानिदेशक डॉ. राघवेन्द्र भट्टा ने की. विशिष्ट अतिथियों में डॉ. ए.के. गौर (सहायक महानिदेशक, ICAR), डॉ. अशोक कुमार (पूर्व सहायक महानिदेशक, ICAR), डॉ. ए.के. तोमर (निदेशक, CSWRI, अविकानगर), डॉ. ए. साहू (निदेशक, NI ANP, बंगलौर), डॉ. पी.एस. बिरथल (निदेशक, NIAP, नई दिल्ली), डॉ. ए.के. पूनिया (निदेशक, NRC ऑन केमल), डॉ. वी.वी. सिंह (निदेशक, भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान, भरतपुर) और डॉ. विकास पाठक (डीन दुवासु, मथुरा) शामिल रहे.
कार्यक्रम का भव्य शुभारंभ और संकल्प
कार्यक्रम की शुरुआत संस्थान निदेशक डॉ. मनीष कुमार चेटली और सभी मुख्य व विशिष्ट अतिथियों द्वारा वृक्षारोपण से हुई, जिसके बाद दीप प्रज्ज्वलन किया गया. इस अवसर पर संस्थान के न्यूज़लेटर का विमोचन भी किया गया. सभी वैज्ञानिकों, अधिकारियों और कर्मचारियों ने संस्थान की शोध एवं अनुसंधान गतिविधियों को नई ऊंचाइयों पर ले जाकर बकरी पालन को बढ़ावा देने का संकल्प लिया.
संस्थान निदेशक डॉ. मनीष कुमार चेटली ने सभी गणमान्य अतिथियों का पुष्पगुच्छ, स्मृति चिन्ह और पटका पहनाकर स्वागत किया. अपने संबोधन में उन्होंने संस्थान के 46 वर्षों के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि पिछले एक वर्ष में CIRG ने 08 राष्ट्रीय स्तर के और 14 प्रायोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर 2200 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया है.
CIRG की उल्लेखनीय उपलब्धियाँ
डॉ. चेटली ने संस्थान की हालिया उपलब्धियों को साझा करते हुए बताया:
* वर्तमान में 43 से अधिक शोध परियोजनाएं चल रही हैं.
* 7 तकनीकी पेटेंट और 3 ट्रेडमार्क पंजीकृत कराए गए हैं.
* 8 उच्च-स्तरीय रिसर्च पेपर प्रकाशित हुए हैं.
* 26 नए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
* 06 तकनीकें वाणिज्यिक रूप से उपलब्ध (कमर्शियलाइज्ड) कराई गई हैं.
* संस्थान को ISO-2015 प्रमाणन प्राप्त हुआ है.
* ‘उन्नत बकरी पालन’ पर लिखी गई संस्थान की किताब सहित कई राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं.
निदेशक ने संस्थान में चल रही वैक्सीन किट, हर्बल उत्पाद, तकनीकी हस्तांतरण, और जीन एडिटिंग जैसी विभिन्न शोध परियोजनाओं पर विस्तृत चर्चा की और किसानों व बकरी पालकों के लिए उनके उपयोग के बारे में जानकारी दी.
महानिदेशक का संबोधन: बकरी – ‘चलता-फिरता एटीएम’
महानिदेशक डॉ. मंगी लाल जाट ने बकरी को “चलता-फिरता एटीएम – Any Time Milk, Any Time Meat, Any Time Money” की संज्ञा देते हुए बकरी पालन की बहुआयामी उपयोगिता पर जोर दिया. उन्होंने वैज्ञानिकों से बकरी के दूध की औषधीय विशेषताओं पर गहन अनुसंधान करने का आह्वान किया और संस्थान के शोध कार्यों की सराहना करते हुए स्थापना दिवस और प्रथम राष्ट्रीय बकरी दिवस के लिए शुभकामनाएँ दीं.
उपमहानिदेशक डॉ. राघवेन्द्र भट्टा ने कहा कि बकरी पालन भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से महिला सशक्तिकरण और आजीविका संवर्धन में एक सशक्त माध्यम बन सकता है. उन्होंने संस्थान की अनुसंधान उपलब्धियों की सराहना करते हुए बकरी पालन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आगे बढ़ाने पर बल दिया, ताकि यह पारंपरिक व्यवसाय से एक लाभकारी उद्यम में परिवर्तित हो सके.
किसानों और वैज्ञानिकों का सम्मान
इस अवसर पर, मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों और संस्थान निदेशक डॉ. मनीष कुमार चेटली द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले वैज्ञानिकों और कर्मचारियों को प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किए गए. साथ ही, उन्नत बकरी पालक किसानों और अन्य सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को बकरी शोध, अनुसंधान और उन्नत बकरी पालन की तकनीकों के विकास में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया.
कार्यक्रम के अंत में, निदेशक डॉ. मनीष कुमार चेटली ने सभी आमंत्रित अतिथियों, पूर्व निदेशकों, वैज्ञानिकों, कर्मचारियों और सहभागियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए संस्थान की 46 वर्ष की गौरवशाली यात्रा में उनके योगदान की सराहना की. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ‘राष्ट्रीय बकरी दिवस’ की यह ऐतिहासिक पहल बकरी पालन को नई दिशा और पहचान देने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी.
कार्यक्रम की जानकारी डॉ. अनुपम कृष्ण दीक्षित (प्रधान वैज्ञानिक), डॉ. गोपाल दास (प्रधान वैज्ञानिक), श्री पुष्पेंद्र कुमार शर्मा (जनसंपर्क एवं प्रोटोकॉल अधिकारी) और श्री दीपक कुमार शर्मा (प्रेस एवं मीडिया अनुभाग) द्वारा प्रदान की गई.