धोखाधड़ी आरोपी 27 वर्ष बाद हुए बरी, हाईस्कूल परीक्षा पेपर की फोटोस्टेट बिक्री मामले में अदालत का फैसला

MD Khan
3 Min Read

आगरा: वर्ष 1997 में आयोजित हाई स्कूल गणित परीक्षा के पेपर की फोटोस्टेट प्रति बेचने के आरोप में आरोपी जितेंद्र लवानिया और धर्मेंद्र कुमार को 27 साल बाद विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विनीता सिंह ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। इस मामले में सिर्फ तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक श्रीमती मंजू शर्मा की गवाही दी गई थी, जो घटना का समर्थन करने में असमर्थ रही।

मामला:

यह मामला वर्ष 1997 के दौरान हाई स्कूल गणित की परीक्षा के पेपरों की फोटोस्टेट प्रति विक्रय करने का था। थान शाहगंज में दर्ज शिकायत के अनुसार, 30 मार्च 1997 को जिला विद्यालय निरीक्षक श्रीमती मंजू शर्मा को सूचना मिली कि बोर्ड की परीक्षा के गणित पेपर की फोटोस्टेट प्रतियां बेची जा रही हैं। इस सूचना के आधार पर तत्कालीन उप शिक्षा निदेशक डॉ. आई.पी. शर्मा, जीआईसी के प्रधानाचार्य ओ.पी. भास्कर, राधाबल्लभ इंटर कालेज के प्रधानाचार्य राजेश मिश्रा, और अन्य कर्मचारियों के साथ अर्जुन नगर तिराहे पर पहुंचे। वहां निर्मल मेडिकल स्टोर पर छात्रों की भीड़ लगी हुई थी, जो एक-एक कर पेपर की फोटोस्टेट प्रति ले रहे थे।

See also  Agra News : दहेज में दस लाख की डिमांड कर बोला तीन तलाक, जिंदा जलाने की धमकी, दर्ज हुआ मुकदमा

इसकी पुष्टि के लिए, कार्यालय सहायक सुनील शुक्ला ने पैसे देकर गणित विषय के पेपर की फोटोस्टेट प्रति प्राप्त की और धर्मेंद्र कुमार को मौके पर पकड़ा, जो इस फोटोस्टेट प्रति के साथ मौजूद था। बाद में पुलिस ने धर्मेंद्र के साथ-साथ जितेंद्र लवानिया के खिलाफ भी धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया।

कोर्ट का फैसला:

अदालत में इस मामले की सुनवाई के दौरान, कई गवाहों के बावजूद केवल श्रीमती मंजू शर्मा ने गवाही दी, लेकिन उन्होंने घटना के संबंध में कोई ठोस बयान नहीं दिया और इस मामले का समर्थन नहीं किया। अदालत ने इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए और अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य की कमी के कारण आरोपी जितेंद्र लवानिया और धर्मेंद्र कुमार को 27 वर्ष बाद बरी करने का आदेश दिया।

See also  अतीक पर 27 साल बाद हत्या के मुकदमे में तय होंगे आरोप, माफिया के गुर्गों पर भी कसा जाएगा शिकंजा

आरोपियों के अधिवक्ताओं, वरिष्ठ वकील राम प्रकाश शर्मा, पुष्पेंद्र पचौरी और हर्शल राठौर ने अदालत में यह तर्क प्रस्तुत किया कि साक्ष्य की कमी के कारण आरोपियों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। अदालत ने इन तर्कों को स्वीकार करते हुए दोनों आरोपियों को बरी कर दिया।

See also  अग्र भारत की मुहिम लाई रंग, एडी बेसिक के कड़े तेवरों के बाद मुख्यालय पर अटैचमेंट पर जमे बाबुओं को होना पड़ा बेदखल
Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement