एटा – कोतवाली नगर पुलिस ने हाल ही में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर लूट के एक मामले में आरोपी को 24 घंटे के अंदर गिरफ्तार करने का दावा किया है। साथ ही, लूटे गए 1700 रुपये में से 1000 रुपये की बरामदगी और आरोपी को जेल भेजने की सूचना भी दी गई। पुलिस की ओर से इसे “सराहनीय कार्य” बताकर प्रचारित किया गया, लेकिन जब ज़मीनी हकीकत को खंगाला गया, तो मामला कुछ और ही नजर आया।
घटना दिनांक 4 जुलाई 2025 को वादी अनमोल पुत्र राणाप्रताप निवासी नसीरपुर थाना बागवाला, अपने साथियों अनमोल व दीपक के साथ कोर्ट तारीख पर एटा कचहरी जा रहा था। करीब दोपहर 12:45 बजे, अलीगंज चुंगी के पास आदित्य पुत्र राकेश और उसके अन्य साथियों ने रास्ता रोककर गाली-गलौज, मारपीट की और पीड़ित की जेब से मोबाइल और 1700 रुपये लूट लिए। इस संबंध में थाना कोतवाली नगर पर मीडिया की खबरों के बाद मु0अ0सं0 350/25 धारा 115(2), 324(4), 309(4), 352 बीएनएस के तहत मामला दर्ज किया गया।
पुलिस की प्रेस विज्ञप्ति में क्या कहा गया?
कोतवाली नगर पुलिस ने विज्ञप्ति में बताया कि आरोपी आदित्य को 24 घंटे के भीतर 1000 रुपये की नकदी सहित गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी करने वाली टीम में प्रभारी निरीक्षक अमित कुमार तोमर और उप निरीक्षक मोहित शर्मा शामिल सहित तीन पुलिस कर्मी शामिल थे। इसे “बड़ी सफलता” और “गुड वर्क” के रूप में प्रचारित किया गया।
लेकिन असल कहानी क्या है?
पीड़ितों के अनुसार, आरोपी को खुद पीड़ित ने पकड़कर पुलिस के हवाले किया था, न कि पुलिस ने उसे खोजकर गिरफ्तार किया। इसके बावजूद पुलिस ने 24 घंटे बाद प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसे अपनी उपलब्धि के तौर पर दिखाया। यह जानकारी अनमोल द्वारा अपनी दी गयी वाइट में बात स्पष्ट रूप से दी गयी है। वहीं, घटना में शामिल अन्य आरोपी अभी तक फरार हैं, और उनकी गिरफ्तारी को लेकर पुलिस कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रही है।
इससे पहले पीड़ित ने पुलिस पर तहरीर बदलने और मामला दबाने का भी आरोप लगाया था। मीडिया के हस्तक्षेप के बाद ही पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था।
क्या पुलिस कर रही है “गुड वर्क” या फिर “गुड शो”?
लूट की रकम 1700 रुपये थी, जबकि पुलिस ने सिर्फ 1000 रुपये की बरामदगी दिखाकर पूरा मामला निपटा लिया। आरोपी की गिरफ्तारी पीड़ित द्वारा की गई थी, मगर पुलिस ने उसे भी अपनी पीठ थपथपाने का बहाना बना लिया।
यह घटना एटा पुलिस की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े करती है —
क्या पीड़ितों द्वारा पकड़े गए आरोपी को पेश कर “गुड वर्क” दिखाना सही है?
बाकी आरोपी अब तक क्यों फरार हैं?
क्या मीडिया के बिना यह FIR भी नहीं होती?
जब असल “वर्क” जनता करे, और पुलिस सिर्फ प्रचार में व्यस्त हो — तो यह “गुड वर्क” नहीं, एक “गुड शो” बन जाता है।