हाईकोर्ट ने पट्टा निरस्तीकरण पर लगाई रोक, मांगा जवाब अपर आयुक्त, आगरा, कलेक्टर एटा एवं नगर पंचायत अध्यक्ष को नोटिस जारी कर मांगा जवाब, तहसील प्रशासन ने 27 दिसंबर, 2024 को कब्जामुक्त कराई थी 15 बीघा जमीन

Pradeep Yadav
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एटा: श्री लाल बहादुर शास्त्री इंटर कॉलेज जैथरा की प्रबंध समिति को पट्टा निरस्तीकरण के मामले में हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। आवंटन के 20 वर्ष बाद शुरू की गई पट्टा निरस्तीकरण की कार्रवाई को कोर्ट ने विचारणीय मानते हुए याचिका स्वीकार कर ली है। हाईकोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिका के सूचीबद्ध होने की अगली तारीख तक निरस्तीकरण के आदेश स्थगित रहेंगे।
जैथरा में वरना तिराहे के समीप श्री लाल बहादुर शास्त्री इण्टर कॉलेज के नाम वर्ष 1977 में 15 बीघा जमीन आवंटित की गई थी।शिकायत के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी ने 12 जून, 1998 में प्रबंध समिति का पट्टा निरस्त कर दिया। जिलाधिकारी के आदेश के विरुद्ध प्रबंध समिति ने अपर आयुक्त के यहां अपील दाखिल की, जोकि 10 जुलाई, 2025 को निरस्त हुई। न्यायालय अपर आयुक्त आगरा में वाद विचाराधीन होने के बावजूद राजस्व टीम ने 24 दिसम्बर, 2024 को तहसीलदार कार्यालय से जारी नोटिस चस्पा कर प्रबंध समिति प्रबंधक बुंदा देवी को 26 दिसंबर तक प्रत्येक दशा में अवैध कब्जा हटाने के लिए निर्देशित कर दिया, परन्तु इसके बाद भी जमीन से कब्जा नहीं हट सका। नोटिस अवधि बीतने के बाद 27 दिसंबर, 2024 को नायब तहसीलदार जैथरा, नायब तहसीलदार अलीगंज ने राजस्व, नगर पंचायत एवं पुलिस टीम के साथ पहुंचकर बुलडोजर से चारदीवारी को ध्वस्त करा दिया।
कॉलेज प्रबंध समिति ने कलक्टर, एटा तथा अपर आयुक्त आगरा के पट्टा निरस्तीकरण आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। प्रबंध समिति के अधिवक्ता राहुल सहाय ने कोर्ट में तर्क दिया कि विचाराधीन भूमि याचिकाकर्ता को वर्ष 1977 में आवंटित की गई थी। उत्तर प्रदेश भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत पट्टा रद्द करने की कार्यवाही वर्ष 1998 में शुरू की गई थी, जबकि कानून में बीस वर्षों से अधिक समय के बाद इस तरह की कार्रवाई पर रोक है। कोर्ट ने मामले पर विचार की आवश्यकता मानते हुए याचिका स्वीकार कर ली और प्रतिवादी अपर आयुक्त (प्रशासन), आगरा, कलेक्टर, अध्यक्ष नगर पंचायत जैथरा तथा भूमि प्रबंध समिति मौजा जैथरा को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि सभी प्रतिवादियों को प्रति-शपथपत्र दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया जाता है। यदि कोई प्रत्युत्तर हलफनामा हो, तो वह एक सप्ताह के भीतर दाखिल किया जा सकता है।सूचीबद्ध होने की अगली तिथि तक, रिट याचिका में दिए गए आदेश स्थगित रहेंगे। बताते चलें कि कॉलेज पूर्व डीसीबी अध्यक्ष शिवकुमार यादव का है और उनकी माँ बुंदा देवी प्रबंधक हैं।

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