कार्यक्रम के संयोजक श्री बालकृष्ण तिवारी ने बताया कि यह यात्रा माघ शुक्ल तृतीया के अवसर पर आयोजित की गई, जिसमें पिपहेरा के श्रद्धालु अपने परिवार के साथ महाकुम्भ में हिस्सा लेने के लिए प्रयागराज जा रहे हैं। यात्रा में शामिल श्रद्धालु अन्य प्रमुख तीर्थ स्थानों जैसे कि नैमिषारण्य, अयोध्या, काशी विश्वनाथ और चित्रकूट के दर्शन भी करेंगे।
प्रमुख धार्मिक स्थलों का दौरा
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री खेमचंद्र जी ने यात्रा के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए बताया कि श्रद्धालु इस यात्रा के दौरान सीतापुर जिले स्थित नैमिषारण्य, श्रीरामलला की जन्मभूमि अयोध्या, भगवान शिव की तपस्थली काशी विश्वनाथ, महाकुम्भ क्षेत्र प्रयागराज और श्रीधाम चित्रकूट जैसी प्रमुख तीर्थ स्थलों का दर्शन करेंगे। इन स्थलों पर दर्शन और संतों के प्रवचन से उन्हें आध्यात्मिक लाभ मिलेगा।
प्रयागराज को “तीर्थराज” कहा जाता है और इस तीर्थ स्थान की महिमा अपरंपार है। यहां पर गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है, जो एक अद्भुत और दिव्य अनुभव प्रदान करता है। विशेष रूप से 144 साल बाद लगने वाला महाकुम्भ मेला और वहां पर आचार्य और संतों का प्रवचन श्रद्धालुओं के लिए एक जीवन बदलने वाला अनुभव साबित होगा।
चित्रकूट और अन्य तीर्थ स्थलों का महत्व
यात्रा में शामिल श्रद्धालु चित्रकूट जाएंगे, जो भगवान श्रीराम के वनवास काल से जुड़ा महत्वपूर्ण स्थल है। वहां पर प्रभु श्रीराम के प्रिय स्थानों के दर्शन और संतों से उपदेश प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। इस धार्मिक यात्रा के अंत में सभी श्रद्धालु पुनः पिपहेरा लौटेंगे, जहां वे श्रीधाम मढेकी वाले बालाजी मंदिर में पूजा अर्चना करेंगे।
यात्रा की व्यवस्था और तैयारी
आरएसएस के खंड प्रचार प्रमुख भूपेंद्र त्यागी और वीएचपी के प्रखंड मंत्री भूपेंद्र सिंह के नेतृत्व में इस यात्रा का आयोजन किया गया। साथ ही महाराज श्री के मार्गदर्शन और आशीर्वाद से यात्रा की सभी व्यवस्थाएं की गईं। यात्रा की तैयारी में पिछले 10 दिनों से तीर्थयात्री सक्रिय थे और उन्होंने इस यात्रा के लिए हर छोटे-छोटे विवरण पर ध्यान दिया। यात्रा का पंजीकरण, भोजन व्यवस्था, यात्रा की रूपरेखा और अन्य महत्वपूर्ण तैयारियों की देखरेख संघ की कुटुम्ब प्रबोधन गतिविधि और सनातन संस्कृति ग्राम विकास उत्थान समिति पिपहेरा द्वारा की गई थी।
विधिपूर्वक विदाई और आरती
यात्रा से पहले सभी तीर्थयात्रियों को श्रीधाम मढेकी वाले बालाजी मंदिर में आरती के साथ गाजे-बाजे के बीच विदाई दी गई। इस विशेष अवसर पर श्रद्धालुओं ने अपने परिवार सहित उत्साह के साथ यात्रा की शुरुआत की, और उनकी धार्मिक यात्रा की सफलता की कामना की गई।
इस यात्रा से न केवल पिपहेरा के श्रद्धालुओं को धार्मिक लाभ मिलेगा, बल्कि यह कार्यक्रम एकजुटता, सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण साबित होगा।
अंत में, यह यात्रा उन सभी के लिए एक महत्वपूर्ण अनुभव साबित होगी, जो भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति अपनी आस्था और श्रद्धा को पुनः स्थापित करना चाहते हैं।