अवैध निर्माण: आवास विकास परिषद की मिलीभगत, एफ-76 कोठी का अवैध निर्माण, क्या मिलेगा न्याय?

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अवैध निर्माण: आवास विकास परिषद की मिलीभगत, एफ-76 कोठी का अवैध निर्माण जारी, क्या मिलेगा न्याय?

आगरा: ट्रांस यमुना कॉलोनी स्थित कोठी नंबर एफ-76, जो कि अवैध निर्माण और भ्रष्टाचार का प्रतीक बन चुकी है, अब एक बड़ा मुद्दा बन गया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के अवैध निर्माण को न मानते हुए उसे तोड़ने का आदेश दिया था, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या आवास विकास परिषद के अधिकारी कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे, या फिर इस अवैध निर्माण पर भ्रष्टाचार की चुप्पी बनी रहेगी?

अवैध निर्माण और भ्रष्टाचार का खेल

इस कोठी के निर्माण के दौरान आवास विकास परिषद के अधिकारियों का रुख संदेहास्पद था। क्षेत्रीय निवासियों ने बताया कि जब यह निर्माण शुरू हुआ था, तो बड़ी-बड़ी गाड़ियों में अधिकारी मौके पर आए थे, लेकिन निर्माण को लेकर कभी कोई सख्त कार्रवाई नहीं की। यही नहीं, कई बार इन अधिकारियों ने इस अवैध निर्माण के खिलाफ नोटिस भी चस्पा किए, लेकिन कुछ ही घंटों में ये नोटिस फाड़कर फेंक दिए जाते थे। ऐसे में यह साफ होता है कि यह पूरा निर्माण कार्य परिषद के अधिकारियों के भ्रष्टाचार के चलते पूरा हुआ है।

अवैध निर्माण के खिलाफ अधिकारियों की निष्क्रियता

कोठी एफ-76 के निर्माण कार्य के दौरान, परिषद के अधिकारियों ने कभी गंभीर कार्रवाई नहीं की। एक ओर जहां छोटे-छोटे निर्माण कार्यों पर परिषद के अधिकारी कड़ी कार्रवाई करते हैं, वहीं इस बड़े अवैध निर्माण को लेकर अधिकारियों ने न केवल लापरवाही बरती, बल्कि उनके कार्यों ने इस निर्माण को पूरी तरह से वैध बना दिया। परिषद के अधिकारियों ने पहले इस बिल्डिंग का गेट सील किया था, लेकिन सेटिंग के तहत पीछे वाला गेट खुला छोड़ दिया, जिससे निर्माण कार्य बिना किसी रोक-टोक के चलता रहा।

कोठी नंबर एफ-76: भ्रष्टाचार का प्रतीक

यह कोठी आज एक भ्रष्टाचार की बिल्डिंग के रूप में क्षेत्र में चर्चाओं का विषय बन चुकी है। एक तरफ जहां छोटे निर्माण कार्यों के खिलाफ परिषद की कड़ी कार्रवाई होती है, वहीं इस अवैध निर्माण पर अधिकारियों की लापरवाही से यह बिल्डिंग पूरी तरह से तैयार हो गई है। यह बिल्डिंग न केवल भ्रष्टाचार की पोल खोलती है, बल्कि यह क्षेत्रीय निवासियों के लिए एक बड़ा सवाल भी बन चुकी है कि क्या आवास विकास परिषद अपनी जिम्मेदारी निभाएगी?

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और परिषद की जिम्मेदारी

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माण के खिलाफ अपना कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था कि अवैध निर्माण को वैध नहीं माना जा सकता और ऐसे निर्माणों को तोड़ा जाना चाहिए। अब सवाल यह है कि क्या आवास विकास परिषद के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए कोठी नंबर एफ-76 को तोड़ेंगे, या फिर यह बिल्डिंग परिषद के अधिकारियों की भ्रष्टाचार की पोल खोलती रहेगी।

क्षेत्रीय निवासियों की जुबानी

ट्रांस यमुना कॉलोनी के निवासियों के अनुसार, जब से इस अवैध निर्माण का काम शुरू हुआ, तब से लेकर आज तक क्षेत्र में एक ही कहानी चल रही है। कई बार परिषद के अधिकारियों ने मौके पर आकर सिर्फ नोटिस चस्पा किए, लेकिन कभी भी सख्त कार्रवाई नहीं की। एक निवासी ने कहा, “वह (अधिकारियों) आते थे, मीठी बात करते थे और फिर चले जाते थे, जबकि हमें कई बार धमकियां मिलती थीं कि छोटे-छोटे निर्माण कार्यों के लिए हमें नियमों का पालन करना पड़ेगा।”

नोटिस का खेल और भ्रष्टाचार

कोठी एफ-76 के अवैध निर्माण पर कई बार नोटिस जारी किए गए, लेकिन इन नोटिसों को निर्माणकर्ता द्वारा फाड़कर फेंक दिया जाता था। ऐसा लगता है कि आवास विकास परिषद केवल नोटिस चस्पा कर इस मामले को रफा-दफा कर देती है। एक अन्य निवासी ने बताया, “नोटिस तो कई बार चस्पा किए गए, लेकिन कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई, जिससे यह साफ हो गया कि इस निर्माण को पूरी तरह से परिषद के अधिकारियों की मिलीभगत से पूरा किया गया।”

क्या टूटेगा अवैध निर्माण?

अब यह देखना बाकी है कि क्या आवास विकास परिषद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कोठी एफ-76 के अवैध निर्माण को तोड़ेगी, या फिर यह मामला परिषद के भ्रष्टाचार की एक और मिसाल बनकर रह जाएगा। क्षेत्रीय निवासियों ने आरोप लगाया है कि परिषद के उच्च अधिकारियों ने भी इस निर्माण को रोकने के लिए कभी कोई प्रयास नहीं किया, बल्कि इस बिल्डिंग को बनाने में पूरी तरह से सहयोग किया।

अधीक्षण अभियंता एवं अधिशासी अभियंता ने नहीं उठाया फोन

जब इस अवैध निर्माण के बारे में अधीक्षण अभियंता एवं अधिशासी अभियंता से फोन पर जानकारी करनी चाहिए तो उन्होंने फोन नहीं उठाया जिसके कारण उनके द्वारा की जा रही जानकारी नहीं हो सकी।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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