गौतम बुद्ध इंटर कॉलेज प्रकरण में शासन ने कसी नकेल, गोलमाल की तह तक पहुंचेगी जांच, कई अफसरों की भूमिका पर मंडराया खतरा

Pradeep Yadav
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Etah News: गौतम बुद्ध इंटर कॉलेज में कक्षाओं को ढहाकर बन रहीं दुकानें, करोड़ों के खेल पर सवाल, प्रशासन पर चुप्पी का आरोप

अलीगंज, एटा। जिस जमीन पर शिक्षा के दीप जलाए जाने थे, वहां मुनाफे की दुकानें खड़ी करने वालों की अब शासन स्तर से जांच शुरू हो चुकी है। गौतम बुद्ध इंटर कॉलेज अलीगंज में हुए कथित करोड़ों के खेल ने शासन को झकझोर दिया है।

कॉलेज परिसर में जांच टीम पहुंचते ही मचा हड़कंप

शासन द्वारा गठित विशेष जांच टीम ने बुधबार को कॉलेज परिसर में पहुंचकर पूरे मामले की तहकीकात शुरू की। टीम ने न सिर्फ मौके का निरीक्षण किया, बल्कि दस्तावेज़ों की मांग करते हुए कई सवाल भी उठाए। जांच में अफसरों की मिलीभगत की बू साफ आ रही है। अब यह मामला केवल कॉलेज प्रबंधन तक सीमित नहीं रहा बल्कि प्रशासनिक गलियारों तक पहुंच चुका है।

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डीएम ने दिया सख्त निर्देश, एसडीएम ने जारी किया अल्टीमेटम

जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह ने इस घोटाले को गंभीरता से लेते हुए जांच टीम का गठन किया, जिसकी कमान अपर जिला अधिकारी सत्य प्रकाश, उप जिलाधिकारी अलीगंज डॉ. विपिन कुमार को सौंपी गई है। एसडीएम ने कॉलेज प्रबंधन को तीन दिन का अल्टीमेटम देते हुए साफ कहा है—
सभी साक्ष्य और दस्तावेज लेकर हाजिर हों, वरना होगी कठोर कार्रवाई।

अब कौन-कौन फंसेगा जाल में ?

सूत्र बता रहे हैं कि इस पूरे प्रकरण में राजस्व, शिक्षा विभाग और नगरपालिका के कुछ अफसरों की भूमिका संदिग्ध है। यदि जांच निष्पक्ष हुई तो कई चेहरों से नकाब उतरना तय है। जो लोग अब तक चुपचाप तमाशा देख रहे थे, उनकी गर्दनें भी इस जांच की आंच में तप सकती हैं।

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जनता की हुंकार – शिक्षा की भूमि का नहीं होगा व्यापारीकरण !

स्थानीय लोग और पूर्व छात्रों का गुस्सा अब उबाल पर है। वे कह रहे हैं
जिस मंदिर में ज्ञान दिया जाता था, उसे मुनाफे की मंडी बनने नहीं देंगे। यह सिर्फ ज़मीन घोटाले का मामला नहीं,आने वाली पीढ़ियों के भविष्य का सवाल है।

सूत्रों से खुलासा

“दुकानों के निर्माण में शामिल एक व्यक्ति ने दुकानदारों को साफ हिदायत दी है कि यदि कोई अधिकारी पूछे, तो कहना कि दुकान किराए पर ली है और कोई पैसा नहीं दिया गया।”

इस बयान ने पूरे मामले में भारी गड़बड़ी और गुप्त लेन-देन की आशंका को और मजबूत कर दिया है। यदि यह सच है, तो यह अवैध निर्माण में बड़ी साजिश की ओर इशारा है, जिसमें सच को छिपाने की कोशिशें भी खुलकर सामने आ रही हैं।

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अब देखना है – क्या शासन सच्चाई का परदा हटाएगा या फिर अफसरशाही के जाल में सच दम तोड़ देगा?
एक बात तय है कि यह आग अब थमने वाली नहीं है।

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