आगरा: आगरा जनपद में लगातार गिरते भूमिगत जल स्तर और पानी की गंभीर समस्या के बीच, भाजपा नेता एवं पूर्व विधायक केशो मेहरा ने प्रदेश के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को एक पत्र लिखकर उनसे उटंगन नदी पर केंद्रित जल संचय की संभावनाओं का स्थलीय निरीक्षण करने का अनुरोध किया है। श्री मेहरा का मानना है कि उटंगन नदी के प्रभावी प्रबंधन से आगरा के बड़े हिस्से को पानी की किल्लत से निजात दिलाई जा सकती है।
आगरा में गहराता जल संकट
सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा के समर्थन से ‘जागो आगरा’ (Taj International Airport-Agra deserves it) आंदोलन से जुड़े श्री मेहरा ने कहा कि आगरा जनपद इस समय पानी की विषम समस्या के दौर में है, जहां भूमिगत पानी खारा होता जा रहा है और जलस्तर निरंतर गिर रहा है।
उन्होंने जोर दिया कि इस गंभीर स्थिति में सुधार के लिए जो जल स्रोत उपलब्ध हैं, उनमें उटंगन नदी सबसे सहज और सुलभ है। उनके अनुसार, नदी के प्रबंधन में मौजूदा खामियों को सुधारने मात्र से फतेहपुर सीकरी, जगनेर, खेरागढ़, शमशाबाद, पिनाहट, फतेहाबाद और बरौली अहीर विकास खंडों के निष्प्रयोज्य हो चुके हैंडपंपों को पुन: सुचारु किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री की ‘घर-घर नल का पानी’ योजना को प्रभावी बनाया जा सकता है।
उटंगन नदी में जल की विपुल राशि
श्री मेहरा ने जल शक्ति मंत्री से आग्रह किया है कि वे शीघ्र आगरा आएं और उटंगन नदी केंद्रित आधिकारिक निरीक्षण करें। उन्होंने नदी में जल की भरपूरता के निम्न कारण गिनाए:
स्थानीय जल ग्राही क्षेत्र: राजस्थान द्वारा अवैध रूप से पानी रोक लिए जाने के बावजूद, नदी का एक बड़ा स्थानीय जलग्रही क्षेत्र है।
सहायक नदियाँ: किवाड़ नदी (जगनेर), खारी नदी (फतेहपुर सीकरी), डब्ल्यू डी ड्रेन (किरावली), और पार्वती नदी (राजाखेड़ा, राजस्थान) जैसी मानसून कालीन नदियाँ इसमें भरपूर योगदान देती हैं।
बंधियों का डिसचार्ज: कई हजार हेक्टेयर जल डूब क्षेत्र समेटे रखने वाली जगनेर की बंधियों का पानी मानसून थमने के बाद (लगभग 15 अक्टूबर के आस-पास) उटंगन नदी में ही पहुँचता है।
यमुना का बैक वॉटर भी एक बड़ा स्रोत
पूर्व विधायक मेहरा ने एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी बताया कि यमुना नदी के जवाहर पुल आगरा स्थित सेंट्रल वाटर कमीशन के गेज स्केल पर जैसे ही नदी का जलस्तर खतरे के निशान (150.876 मीटर) को पार करता है, नदी का पानी रेहावली गांव (फतेहाबाद) में उटंगन नदी में बैक मारने लगता है। जलस्तर 497 फीट पार करते ही यमुना का पानी आगरा-बाह स्टेट हाईवे ब्रिज को पार कर अरनौटा रेलवे पुल तक पहुँच जाता है। यह स्थिति जुलाई के दूसरे सप्ताह से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक बनी रहती है।
मेहरा ने कहा कि मानसून थमने के बाद यह विपुल जलराशि वापस यमुना नदी में बह जाती है, जबकि इसे बचाकर व्यवस्थित उपयोग में लाकर जनपद की भूजल स्थिति में बड़ा सुधार किया जा सकता है, और पवित्र धाम बटेश्वर को नहान पर्वों पर ताजा पानी उपलब्ध करवाया जा सकता है।
बांध निर्माण का सुझाव
एक इंजीनियर होने के नाते, श्री मेहरा ने सुझाव दिया है कि सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा द्वारा जिला पंचायत के माध्यम से रेहावली गांव में बांध बनाए जाने का प्रस्ताव सर्वथा उपयुक्त है। उन्होंने यह भी बताया कि जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. मंजू भदौरिया स्वयं भी इस योजना को आगरा की जरूरत के अनुकूल मानती हैं।
पत्र के माध्यम से, श्री मेहरा ने जल शक्ति मंत्री से आग्रह किया है कि वह जल्द से जल्द इस महत्वपूर्ण जल संचय योजना का निरीक्षण करें।