आगरा। हर साल सितंबर के चौथे रविवार को मनाए जाने वाले विश्व नदियाँ दिवस के अवसर पर, आगरा में रिवर कनेक्ट कैंपेन के बैनर तले यमुना आरती स्थल पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस वर्ष यह आयोजन अपनी 20वीं वर्षगांठ मना रहा है, जिसका विषय है – “हमारे समुदायों में नदियाँ”। इस कार्यक्रम में शहरवासियों से यमुना को बचाने और उसके पुनर्जीवन के लिए सक्रिय भागीदारी का आह्वान किया गया।
यमुना की दुर्दशा पर गहरा आक्रोश
कार्यक्रम में उपस्थित पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और धार्मिक हस्तियों ने यमुना नदी की वर्तमान दुर्दशा पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया। कार्यकर्ताओं ने जोर देकर कहा कि यमुना केवल एक जलधारा नहीं, बल्कि आगरा की सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक पहचान है, और ताजमहल सहित तमाम धरोहर स्मारकों के अस्तित्व के लिए इसका स्वच्छ और प्रवाहित बने रहना आवश्यक है।
रिवर कनेक्ट कैंपेन के संयोजक बृज खंडेलवाल ने कहा:
“आज यमुना नदी प्रदूषण, अतिक्रमण और सूखे की कगार पर है। खुले नाले और औद्योगिक कचरे ने इसे सीवर नाले में बदल दिया है। गोकुल बैराज के नीचे जहरीली झाग और प्रदूषित परतें साफ दिखाई देती हैं। नदी किनारे कूड़े और मूर्तियों के विसर्जन ने स्थिति और बिगाड़ दी है।”
पर्यावरणविद् डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य ने चेताया कि
“यमुना अब जीवित नदी नहीं, बल्कि एक विशाल नाला बन चुकी है। इसकी बदबू और जहरीला पानी आगरा की पहचान को कलंकित कर रहा है।”
सरकारी वादों पर उठाए गए सवाल
ग्रीन एक्टिविस्टों ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य सरकारों ने यमुना पुनर्जीवन के अपने वादे पूरे नहीं किए हैं। दीपक राजपूत एडवोकेट ने याद दिलाया कि 2013 में प्रधानमंत्री मोदी ने यमुना के पुनरुद्धार का आश्वासन दिया था, और नितिन गडकरी ने दिल्ली से आगरा तक फेरी सेवा शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
चतुर्भुज तिवारी ने सवाल उठाया, “हिंदू संस्कृति और गौरव की दुहाई देने वाली सरकार यदि यमुना जैसी पवित्र नदी की उपेक्षा करे तो यह समझ से परे है।”
धार्मिक दृष्टिकोण रखते हुए पंडित जुगल किशोर ने कहा
“यमुना श्रीकृष्ण-राधा की लीलाओं से जुड़ी पावन धारा है। मुगल शासकों ने भी यमुना के तटों पर अपने भव्य स्मारक बनाए। पर आज यही नदी सूखी और प्रदूषित होकर दुनिया के सामने उपेक्षा की कहानी कह रही है।”
गोसाईं नंदन श्रोत्रिय, पुजारी श्री मथुराधीश मंदिर ने यमुना को भक्ति और इतिहास की गवाही बताते हुए इसके पुनर्जीवन को सामूहिक जिम्मेदारी बताया।
कार्यकर्ताओं की प्रमुख माँगें
वक्ताओं ने यमुना को बचाने के लिए निम्नलिखित ठोस कदम उठाए जाने की मांग की:
* न्यूनतम जल प्रवाह: वर्षभर नदी में न्यूनतम स्वच्छ जल प्रवाह की गारंटी दी जाए (ज्योति विशाल खंडेलवाल)।
* सफाई और ड्रेजिंग: नदियों की सफाई, गाद निकालने और गहराई बढ़ाने का कार्य तुरंत शुरू किया जाए (रंजन शर्मा)।
* बैराज निर्माण: ताजमहल के डाउनस्ट्रीम (नीचे की ओर) बैराज निर्माण की आवश्यकता पर तुरंत ध्यान दिया जाए (डॉ. मुकुल पांड्या)।
* तट संरक्षण: नदी तट का विकास, घाटों का पुनर्निर्माण और अतिक्रमण समाप्त किया जाए (शशि कांट उपाध्याय)।
* सांस्कृतिक पुनरुद्धार: नदी संस्कृति के पुनरुद्धार की ठोस योजना बनाई जाए (पद्मिनी अय्यर)।
अंत में, रिवर कनेक्ट कैंपेन के सदस्यों ने वेदना प्रकट करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट और NGT के आदेशों के बावजूद हालात जस के तस हैं। उन्होंने चेताया कि यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यमुना का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा, और इसके साथ ही ताजमहल तथा ब्रज की सांस्कृतिक धरोहर भी असुरक्षित हो जाएगी।