आगरा। ताजनगरी में आज राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में समसामयिक वैश्विक और राष्ट्रीय विषयों पर गहन चर्चा की गई, जिनमें अमेरिका में चुनाव के बाद ट्रंप शासन और डीप स्टेट के प्रभाव पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया। वक्ताओं ने डीप स्टेट पर विस्तार से चर्चा करते हुए इसके प्रभाव और भारत की राजनीति पर पड़ने वाले प्रभावों को समझने का प्रयास किया।
ब्रिगेडियर मनोज कुमार की शुरुआत: डीप स्टेट और बाइडेन प्रशासन
बैठक की शुरुआत करते हुए ब्रिगेडियर मनोज कुमार ने बाइडेन प्रशासन के दौरान अमेरिकी सरकार के कुछ विभागों द्वारा दुनिया भर में विभिन्न सरकारों को अस्थिर करने के प्रयासों पर चर्चा की। उन्होंने विशेष रूप से बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार को अपदस्थ करने के प्रयासों का उदाहरण दिया, जिसके परिणामस्वरूप हिंदू समुदाय को नुकसान हुआ। उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप ने डीप स्टेट की भूमिका को नकारा था, लेकिन अब सच्चाई सामने आ रही है।”
गौरी शंकर सिकरवार की टिप्पणी: आजादी के पहले से डीप स्टेट का हस्तक्षेप
सामाजिक चिंतक गौरी शंकर सिकरवार ने डीप स्टेट के प्रभाव को भारत की आजादी से जोड़ते हुए कहा कि यह हस्तक्षेप आजादी से पहले भी था। उन्होंने बताया कि आजादी के आंदोलन के दौरान भी कई राजनीतिक चेहरे डीप स्टेट के एजेंट के रूप में कार्य कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि डीप स्टेट का प्रभाव आज भी देश की राजनीति और समाज पर देखा जा सकता है।
संघ विचारक डॉ. रजनीश त्यागी की बात: दो ध्रुवों में बंटी सत्ताएँ
संघ विचारक डॉ. रजनीश त्यागी ने कहा कि भारत की सत्ताएँ समय-समय पर दो ध्रुवों में बंटी रही हैं और इन सत्ताओं पर रूस और अमेरिका दोनों का प्रभाव देखा गया है। उन्होंने बताया कि डीप स्टेट का प्रभाव न केवल देश की राजनीति पर बल्कि शिक्षा और न्याय प्रणाली पर भी पड़ता है।
प्रोफेसर राजीव उपाध्याय की टिप्पणी: शिक्षा और डीप स्टेट
प्रोफेसर राजीव उपाध्याय ने मोदी योगी सरकार के शिक्षा क्षेत्र में किए जा रहे सुधारों का उल्लेख करते हुए नई शिक्षा नीति के महत्व पर बात की। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम और शिक्षा की दिशा तय करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि अगर डीप स्टेट का प्रभाव शिक्षा क्षेत्र में बढ़ा, तो यह खतरनाक और दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।
बैंकर अतुल सरीन की राय: लोन स्कीमों की व्यवस्था पर सुझाव
बैंकर अतुल सरीन ने सरकार द्वारा निम्न वर्ग को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लोन स्कीमों को वितरित करने के प्रयासों की सराहना की, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इन स्कीमों की प्रभावी वितरण प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार और सामाजिक संगठनों को मिलकर शिविरों के माध्यम से गरीबों और जरूरतमंदों को प्रशिक्षित करना चाहिए, ताकि वे इन योजनाओं का अधिकतम लाभ उठा सकें।
महासचिव डॉ. दिवाकर तिवारी की अपील: डीप स्टेट और समाज में जागरूकता
बैठक के अंत में महासचिव डॉ. दिवाकर तिवारी ने समाज में डीप स्टेट और अन्य विदेशी हस्तक्षेप के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए संगोष्ठियों और कार्यक्रमों के आयोजन की आवश्यकता बताई। उनका मानना था कि ऐसे कार्यक्रम समाज को सजग बनाएंगे और डीप स्टेट के प्रभाव को कम करने में मदद करेंगे।
कर्नल जी एम खान की टिप्पणी: भारत-बांग्लादेश संबंध
कर्नल जी एम खान ने 1971 के युद्ध में भारत की भूमिका और बांग्लादेश के निर्माण में भारत के योगदान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आज वही बांग्लादेश भारत के लिए एक चुनौती बन गया है। हालांकि, उनका मानना था कि अगर कभी भारत को बांग्लादेश से सैन्य रूप से सामना करना पड़े, तो भारत के लिए यह कोई बड़ी चुनौती नहीं होगी।
वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर पवन सिंह की राय: डीप स्टेट का प्रभाव और सतर्कता
वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर पवन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में भारत सुरक्षित हाथों में है। उन्होंने यह भी कहा कि डीप स्टेट चुनावों में निष्क्रिय रहा है, लेकिन हमें सतर्क रहते हुए आगे बढ़ने की जरूरत है। उनका मानना था कि समाज को जागरूक करना डीप स्टेट के प्रभाव को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच की इस बैठक में डीप स्टेट और उसकी राजनीति पर गहरी और विचारशील चर्चा की गई। वक्ताओं ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा, राजनीति और समाज पर गंभीर प्रभाव डालने वाला एक बड़ा मुद्दा माना। इस संदर्भ में जागरूकता फैलाने और सटीक नीति बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया।