आगरा। दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी लुईस ब्राउन का जन्म 25 जुलाई 1978 को मैनचेस्टर में हुआ था। चिकित्सा जगत में इस दिन को एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है। इस बारे में आगरा का इतिहास भी बड़ा रोचक है। दुनिया को पहला आईवीएफ बेबी मिलने के 20 साल बाद 1998 में यहां आईवीएफ की चमत्कारिक पद्धति से आईवीएफ बेबी का जन्म हुआ जो 01 अगस्त 2023 को 26 साल का होने जा रहा है।
आगरा के मल्होत्रा टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर और रेनबो आईवीएफ में आज खुशियों का माहौल है। दरअसल यही वह संस्थान है जिसने उत्तर प्रदेश को पहला आईवीएफ शिशु दिया। रेनबो आईवीएफ में इस पद्धति से जन्मे बच्चों और उनके अभिभावकों को आमंत्रित कर हर्षोल्लास के साथ आईवीएफ दिवस मनाया जा रहा है। यह घोषणा की गई कि 01 से 07 अगस्त 2023 तक प्रथम परामर्श शुल्क नही लिया जाएगा। उपचार पर 10 फीसद की छूट प्रदान की जाएगी।
आज से 26 साल पहले मल्होत्रा नर्सिंग एंड मैटरनिटी होम में ही उत्तर प्रदेश के पहले आईवीएफ शिशु को जन्म हुआ था। वहीं 10 साल पहले शुरू हुआ रेनबो आईवीएफ भी अपनी 18 शाखाओं के साथ इस चमत्कारिक तकनीक की मदद से हजारों निसंतान दंपतियों के सपने पूरे कर चुका है।
डाॅ. जयदीप और डाॅ. नरेंद्र ने बताए अनुभव
रेनबो आईवीएफ कीं निदेशक डाॅ. जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि 25 साल पहले जब हमें आईवीएफ पद्धति से पहले शिशु का जन्म कराने में सफलता मिली तो यह किसी उत्सव से कम नहीं था। वहीं दयालबाग में रहने वाले लाभान्वित परिवार के लिए भी यह दुनिया की सबसे बड़ी खुशी थी। इसलिए इस पहले शिशु का नाम भी उत्सव रखा गया। डाॅ. नरेंद्र मल्होत्रा ने बताया कि इस खबर के फैलते ही इस नई प्रणाली से बच्चा प्राप्त करने की इच्छा जाहिर होने लगी थी, तमाम ऐसे दंपति संपर्क करने लगे जिन्हें प्राकृतिक रूप से संतान प्राप्ति में दिक्कतें हो रही थीं।
ऐसे हुई शहर में एक आधुनिक आईवीएफ केंद्र की शुरूआत
डाॅ. निहारिका मल्होत्रा ने बताया कि इसके बाद केंद्र ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2013 में बेहद अत्याधुनिक तकनीकों और विश्वस्तरीय लैब के साथ रेनबो आईवीएफ की स्थापना हुई। डाॅ. जयदीप की देखरेख में यहां डाॅ. केशव मल्होत्रा, डाॅ. निहारिका मल्होत्रा, डाॅ. शैली गुप्ता, डाॅ. नीरजा सचदेव की सर्वश्रेष्ठ टीम काम कर रही है। यह सफर यहीं नहीं रूका इस केंद्र की नेपाल, बांग्लादेश, लुधियाना, जालंधर, हिसार, दिल्ली, बरेली, वाराणसी आदि को मिलाकर 18 शाखाओं ने हजारों निसंतान दंपतियों के सपने पूरे किए।
नेपाल के पहले आईवीएफ शिशु का जन्म कराया
नेपाल के पहले और फिर सैकड़ों आईवीएफ शिशुओं का जन्म कराने का कीर्तिमान भी डाॅ. जयदीप और डाॅ. नरेंद्र मल्होत्रा के नाम है, जिसके लिए उन्हें नेपाल सरकार द्वारा तीन बार नेपाल सम्मान से नवाजा जा चुका है। डाॅ. जयदीप और डाॅ. नरेंद्र तीन मेडिकल काॅलेजों को भी प्राविधिक सहायता प्रदान करते हैं।
एक जिद थी, जिसे जीत में बदलना थाः डाॅ. जयदीप मल्होत्रा
डाॅ. जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि देश-दुनिया में 15 प्रतिशत तक ऐसे युगल होते हैं जिनके बच्चे नहीं हो पाते। जब मल्होत्रा टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर 1996 में स्थापित हुआ था, एक टियर टू सिटी में तब हमारा सपना यही था कि आगरा से जो लोग दिल्ली, मुंबई, कोलकाता नहीं जा सकते उन्हें कैसे यह उपचार यहीं उपलब्ध कराया जाए। मल्होत्रा टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर उत्तर प्रदेश का पहला प्राइवेट टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर था।
सबसे अधिक है सफलता दर : डॉ नरेंद्र मल्होत्रा
डाॅ. नरेंद्र मल्होत्रा ने बताया कि सेंटर की आईवीएफ सफलता दर इसे खास बनाती है। यह एक प्रशिक्षण केंद्र के रूप में भी सर्वश्रेष्ठ केंद्र है। दुनिया भर से ट्रेनी यहां आते हैं। हमारे पास एक अत्याधुनिक आईवीएफ लैब है, उत्कृष्ट एंब्रियोलाॅजिस्ट हैं जो महत्वपूर्ण अंग होते हैं। देश का पहला आरआई विटनेस सिस्टम निगरानी रखता है कि सैंपल्स या एग्स मिक्सअप नहीं हों, इसी तरह एंब्रियोस्कोप, आॅटोमेटिक क्रायोस्टोरेज सिस्टम देश में पहली बार इसी लैब में स्थापित हुए।
भ्रूण को समझने के लिए सबसे आधुनिक है रेनबो आईवीएफ की लैब: डाॅ. केशव मल्होत्रा
रेनबो आईवीएफ के लैब डायरेक्टर और एंब्रियोलाॅजिस्ट डाॅ. केशव मल्होत्रा ने बताया कि आज केवल आईवीएफ डे ही नहीं बल्कि एंब्रियोलाॅजी डे भी है। सेंटर की आईवीएफ लैब विश्वस्तरीय है। यहां वे सुविधाएं और संसाधन मौजूद हैं जो प्रदेश या शायद देश में पहली बार किसी आईवीएफ लैब में स्थापित हुए। आरआई विटनैस एक बहुत ही आधुनिक तकनीक है, जिसमें सैंपल्स या एग्स के मिक्सअप की संभावनाएं नहीं रहतीं। एंब्रियोकल्चर से जुड़ी एक अन्य आधुनिक तकनीक या उपकरण है एंब्रियोस्कोप, लैब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से लैस है और यहां का वातावरण बाहरी वातावरण से एकदम अलग है। इक्सी के लिए आधुनिक तकनीक है। मल्टीशाॅट्स लेजर सिस्टम है।