लेडी अफसर का कमाल: शामली में रचा इतिहास, अब बिजनौर की बारी; IAS जसजीत कौर

Gaurangini Chaudhary
Gaurangini Chaudhary - Content writer
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IAS जसजीत कौर

बिजनौर: उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले को अब एक अनुभवी और जनसेवा को समर्पित जिलाधिकारी मिल गई हैं। हम बात कर रहे हैं 2012 बैच की आईएएस अधिकारी जसजीत कौर की, जिन्होंने हाल ही में बिजनौर के नए जिलाधिकारी के रूप में कार्यभार संभाल लिया है। यह कोई साधारण नियुक्ति नहीं है – जसजीत कौर का प्रशासनिक अनुभव, विशेषकर संकट की घड़ी में उनके नेतृत्व की क्षमता, बिजनौर के विकास के लिए एक सुनहरा अध्याय साबित हो सकती है।

छोटा जिला होने के बावजूद, शामली में हमेशा विभिन्न प्रकार की चुनौतियां मौजूद रहीं। ऐसी चुनौतीपूर्ण धरती पर एक महिला आईएएस अधिकारी ने न केवल जिलाधिकारी के रूप में अपनी पहचान बनाई, बल्कि सबसे लंबे समय तक इस पद पर रहकर जनता की सेवा की।

अपने तीन साल के कार्यकाल में, आईएएस अधिकारी जसजीत कौर के सामने दो बड़ी चुनौतियां आईं। पहली चुनौती थी कोरोना काल, जब उन्हें न केवल अपने डेढ़ साल के बच्चे की देखभाल करनी थी, बल्कि पूरे जिले के लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाना था और उन्हें आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करनी थी। दूसरी चुनौती तब आई जब तीन विधानसभा सीटों वाले जिले की दो सीटें – थानाभवन और कैराना – पूरे देश और प्रदेश में चर्चा का केंद्र थीं। इन दोनों ही चुनौतियों को जसजीत कौर ने अपनी बुद्धिमत्ता और कौशल से सफलतापूर्वक पार किया।

कोरोना काल में, जब लोग संक्रमित हो रहे थे, महिला आईएएस अधिकारी स्वयं उन्हें फोन करके उनका हालचाल जानती थीं और किसी भी असुविधा की स्थिति में तुरंत सहायता उपलब्ध कराती थीं। कल्पना कीजिए, जब जिले की डीएम स्वयं इतनी सक्रिय हों, तो उनके अधीनस्थ कर्मचारी कितनी तत्परता से काम कर रहे होंगे। एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यह भी है कि महिला जिलाधिकारी के प्रयासों से शामली जिला मास्क बनाने में पूरे उत्तर प्रदेश में पहले स्थान पर आया था। कोरोना काल में उनकी निस्वार्थ सेवा के लिए, जनता ने भी उन पर फूल बरसाकर उन्हें सम्मानित किया था।

जी हां, हम बात कर रहे हैं साल 2012 बैच की आईएएस अधिकारी और अब बिजनौर की नई जिलाधिकारी, जसजीत कौर की। बिजनौर की इस नई कप्तान पर पेश है एक विस्तृत रिपोर्ट…

जसजीत कौर का प्रशासनिक अनुभव: एक नजर में

  • जन्म: 14 अक्टूबर 1984, अमृतसर, पंजाब

  • शिक्षा: बीएससी (अर्थशास्त्र), पोस्ट ग्रेजुएट, पीजीडीसीए

  • आईएएस चयन: वर्ष 2012

  • प्रशिक्षण: सीतापुर और आगरा

  • महत्वपूर्ण तैनातियाँ:

    • संयुक्त मजिस्ट्रेट, उन्नाव (2014-2016)

    • मुख्य विकास अधिकारी, बुलंदशहर (2016-2018)

    • अपर निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (2019-2020)

    • जिलाधिकारी, शामली (2020-2023)

    • जिलाधिकारी, सुल्तानपुर

    • अपर आयुक्त, मेरठ

    • वर्तमान में: जिलाधिकारी, बिजनौर

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IAS जसजीत कौर

गौरतलब है कि आईएएस अधिकारी जसजीत कौर का जन्म 14 अक्टूबर 1984 को पंजाब राज्य के अमृतसर में परविंदर सिंह के परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर के डी. ए.वी कॉलेज से हुई, जिसके बाद उन्होंने अर्थशास्त्र में बी. एस.सी, पोस्ट ग्रेजुएट और डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन (पीजीडीसीए) की डिग्री हासिल की। 2012 में उनका आईएएस में चयन हुआ।

आईएएस जसजीत कौर की शुरुआती ट्रेनिंग सीतापुर और आगरा में हुई। इसके बाद, उन्होंने 7 अगस्त 2014 से 20 अप्रैल 2016 तक उन्नाव में संयुक्त मजिस्ट्रेट के पद पर कार्य किया। फिर, 21 अप्रैल 2016 से 17 अप्रैल 2018 तक बुलंदशहर में मुख्य विकास अधिकारी रहीं। इसके बाद, उन्होंने प्रदेश की राजधानी लखनऊ में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं दीं, जिनमें 17 अप्रैल 2018 से 12 सितंबर 2019 तक विशेष सुरक्षा नियोजन विभाग, 12 सितंबर 2019 से 18 सितंबर 2019 तक अपर प्रबंध निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, और 18 सितंबर 2019 से 22 फरवरी 2020 तक अपर प्रबंध निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, अपर परियोजना निदेशक, एड्स नियंत्रण समाज शामिल हैं।

22 फरवरी 2020 को, आईएएस जसजीत कौर को शामली जिले का जिलाधिकारी नियुक्त किया गया। उन्होंने शामली में 3 साल और 4 दिनों तक जिलाधिकारी के रूप में कार्य किया, जो इस जिले में किसी भी जिलाधिकारी का सबसे लंबा कार्यकाल है। इसके बाद, शासन ने उनका तबादला सुल्तानपुर के जिलाधिकारी के रूप में कर दिया था। मेरठ में अपर आयुक्त की जिम्मेदारी संभाल रहीं आईएएस जसजीत कौर को अब बिजनौर के कलेक्टर की जिम्मेदारी सौंपी गई है, और उन्होंने बिजनौर पहुंचकर अपना कार्यभार संभाल लिया है।

कोरोना संकट काल में, आईएएस जसजीत कौर अपने डेढ़ साल के बेटे को छोड़कर ड्यूटी पर तैनात रहीं और जनता की सेवा करती रहीं। शामली जिले में जिलाधिकारी के रूप में उनकी यह पहली पोस्टिंग थी, और इस पहली ही पोस्टिंग के दौरान कोरोना महामारी ने दस्तक दी, जिससे जनता को भारी नुकसान उठाना पड़ा। इस कठिन समय में, शामली की डीएम जसजीत कौर ने अपनी जान की परवाह किए बिना जनता को कोरोना संक्रमण से बचाने और उन्हें आवश्यक सामान उपलब्ध कराने में जुटी रहीं।

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शामली की तत्कालीन डीएम जसजीत कौर न केवल अपने परिवार की सुरक्षा के प्रति सतर्क थीं, बल्कि पूरे जनपद के निवासियों की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित थीं। वह लगातार जनपद के आइसोलेशन वार्ड, क्वारंटाइन वार्ड और हॉटस्पॉट इलाकों का निरीक्षण करती रहीं और मरीजों का हालचाल जानती रहीं। शुरुआत से ही उन्होंने अपने परिवार से दूरी बना ली थी ताकि उनके माध्यम से परिवार के किसी सदस्य तक संक्रमण न पहुंचे। उनके परिवार में उनके पति, एक डेढ़ साल का बेटा और सास हैं। शामली स्थित अपने आवास के पहले तल पर उन्होंने एक अलग कमरा बना लिया था। फील्ड से लौटने के बाद वह सीधे अपने सेपरेट रूम में जाती थीं, फ्रेश होकर और कपड़े बदलने के बाद ही अपने परिवार के सदस्यों से मिलती थीं, और तब भी उनसे दूरी बनाए रखती थीं। उनका मन अपने डेढ़ साल के बेटे को गोद में लेने और दुलारने का करता था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, बल्कि उसे दूर से ही प्यार करती थीं। कोरोना वायरस महामारी से पहले, वह दफ्तर से आते ही परिवार के साथ घुलमिल जाती थीं, लेकिन इस संकट काल में उन्होंने परिवार और जन सुरक्षा के लिए उनके साथ नाश्ता, लंच या डिनर तक नहीं किया।

कौर के प्रयास से प्रदेश में अव्वल शामली – बनाए गए थे सबसे अधिक मास्क

कोविड-19 से निपटने के लिए शामली प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ जुटा हुआ था। मास्क अनिवार्य होने के बाद जिले में मास्क की कमी न हो, इसके लिए तत्कालीन डीएम जसजीत कौर ने स्वयंसेवी समूहों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी थी। इन समूहों ने न केवल लक्ष्य पूरा किया, बल्कि तमाम रिकॉर्ड तोड़ते हुए जनपद शामली पूरे प्रदेश में पहले स्थान पर आया था। उस समय तक शामली जिले में दो लाख 22 हजार से अधिक मास्क बनाए गए थे, और खास बात यह है कि एक लाख 62 हजार से अधिक मास्क मुफ्त में वितरित किए गए थे।

सेवा के इनाम में पब्लिक ने बरसाए थे डीएम-एसपी पर फूल

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शामली में कोरोना संक्रमित मिलने के बाद पूरे मोहल्ले के एक किलोमीटर के दायरे को सील कर दिया गया था ताकि महामारी न फैल सके। इस दौरान तत्कालीन जिलाधिकारी जसजीत कौर और तत्कालीन एसपी विनीत जायसवाल ने उन क्षेत्रों का दौरा किया और सभी को घरों में ही सभी सुविधाएं उपलब्ध कराईं ताकि लोगों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। पुलिस और प्रशासन के कार्यों की सराहना करते हुए, जब उनका काफिला मोहल्ला नानुपरा पहुंचा, तो मोहल्लेवासियों ने काफिले पर पुष्पवर्षा की थी, जिससे प्रसन्न होकर स्वयं तत्कालीन डीएम जसजीत कौर और तत्कालीन एसपी विनीत जायसवाल ने काफिले से उतरकर लोगों का उत्साहवर्धन किया था।

उत्तर प्रदेश में हुए वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 58 सीटों पर मतदान हुआ था, जिसमें शामली जिले की भी तीन विधानसभा सीटें शामिल थीं। इन सीटों पर 10 फरवरी 2022 को मतदान संपन्न हुआ था। इनमें से दो सीटें – थानाभवन और कैराना – ऐसी थीं, जो प्रदेश ही नहीं, देश में भी चर्चा का विषय बनी हुई थीं, क्योंकि थानाभवन सीट पर यूपी सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा और कैराना सीट पर नाहिद हसन जेल में बंद रहते हुए चुनाव लड़ रहे थे। ऐसे में जनपद में चुनाव सकुशल संपन्न कराना पुलिस-प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती मानी जा रही थी। उस समय जनपद में जिलाधिकारी का कार्यभार जसजीत कौर और पुलिस कप्तान की कमान सुकीर्ति माधव के हाथों में थी। दोनों अधिकारियों ने चुनौतियों का स्वागत करते हुए शामली जिले में ऐसी व्यवस्थाएं बनाईं कि परिंदा भी पर न मार सका। महत्वपूर्ण बात यह थी कि इन सभी जिलों में सबसे अधिक मतदान जनपद शामली में हुआ।

बिजनौर को अब एक ऐसी जिलाधिकारी मिली हैं, जिन्होंने न केवल चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में काम करने का अनुभव रखती हैं, बल्कि जनता के प्रति समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा की एक मिसाल भी कायम की है। जसजीत कौर का बिजनौर में कार्यकाल कैसा रहेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

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5 Comments
  • Beautiful work done by D. M MAHODAYA. PARTICULARLY CARONA TIMES.
    WELDONE MAM.

    BHARAT MATA KI JAI

  • देश और समाज के लिए सेवा करने के लिए एक जज्बा होना बहुत जरूरी है तभी हमारा परिवार हमारा समाज हमारा देश तरक्की कर सकेगा मैं सेल्यूट करता हूं ऐसी महिला अधिकारी को जिन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर करके समाज सेवा में बड़ा योगदान दिया।
    ईश्वर से प्रार्थना करता हूं की की ईश्वर उन्हें हिम्मत और हौसला दे ताकि वह निडरता से कार्य कर सकें। जय हिंद

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