आगरा: भगवान श्रीराम के रंग में रंग चुके पूरे देश में एक महत्वपूर्ण पहलू को अक्सर भुला दिया जाता है- उनकी बहन शांता जी। इसी बात को संज्ञान में लाने के लिए लोकस्वर संस्था ने आगरा के राम भक्तों और श्री रामलीला कमेटी से आग्रह किया है कि वे इस वर्ष की रामलीला और जनकपुरी महोत्सव में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की बहन शांता जी के प्रसंग को शामिल करें। संस्था ने यह भी दावा किया है कि शांता जी का ससुराल आगरा के सिंगना गांव में है, जिसे अब पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए।
कौन हैं शांता?
लोकस्वर संस्था के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने बताया कि बहुत कम लोग जानते हैं कि राजा दशरथ और कौशल्या की एक बेटी भी थीं, जिनका नाम शांता था। उन्हें अंग देश के राजा रोमपद और कौशल्या की बड़ी बहन वर्षिणी ने गोद ले लिया था। इस तरह शांता अंग देश की राजकुमारी बन गईं। उनका विवाह श्रृंग ऋषि के साथ हुआ था।
श्री गुप्ता ने दुख जताते हुए कहा कि आगरा में शांता जी का ससुराल होने के बावजूद, यहां के राम भक्त उन्हें ‘राम मय’ करने में चूक गए हैं। संस्था का मानना है कि मीडिया, राम बारात और जनकपुरी जैसे माध्यमों से नई पीढ़ी को शांता जी के विषय में अवगत कराना अत्यंत आवश्यक है।
सिंगना गांव को पर्यटन केंद्र बनाने की मांग
लोकस्वर संस्था ने उम्मीद जताई है कि सिंगना गांव के पास स्थित जूता उद्योग से जुड़े निर्माता भी इस ऐतिहासिक महत्व पर ध्यान देंगे और इस स्थान को पर्यटन व दर्शनीय स्थल बनाने का प्रयास करेंगे। राजीव गुप्ता ने कहा कि वे लंबे समय से सिंगना गांव का सौंदर्यीकरण करके उसे रामलीला का हिस्सा बनाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने आगरा के जनप्रतिनिधियों (सांसद और विधायक) से भी इस काम में सहयोग की अपील की है।
रजा लाइब्रेरी का अनूठा उदाहरण
राजीव गुप्ता ने एक और महत्वपूर्ण तथ्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि शांता जी का एक दुर्लभ चित्र रामपुर के नवाब द्वारा स्थापित ‘रजा लाइब्रेरी, रामपुर’ में सुरक्षित रखा गया है। उन्होंने कहा, “कट्टर इस्लामी होने के बावजूद नवाब ने इस चित्र को लाइब्रेरी में सहेजकर रखा। यह भी कम महत्व की बात नहीं है।” श्री गुप्ता ने रजा लाइब्रेरी के संरक्षक का इस धरोहर को सुरक्षित रखने के लिए धन्यवाद भी किया।
लोकस्वर संस्था का मानना है कि जिस तरह हम राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करते हैं, उसी तरह सभी जिम्मेदार सनातनियों को प्रभु राम से जुड़े हर प्रतीक को सहेज कर रखना चाहिए। संस्था ने उम्मीद जताई है कि इस बार आगरा की रामलीला और जनकपुरी में शांता जी को याद किया जाएगा और हर सनातनी को उनके बारे में अवगत कराया जाएगा।