संगीतमय प्रस्तुतियों से अमर हुए महाकवि सूरदास, “सबसे ऊंची प्रेम सगाई” से मिली काव्यांजलि

Jagannath Prasad
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संगीतमय प्रस्तुतियों से अमर हुए महाकवि सूरदास, "सबसे ऊंची प्रेम सगाई" से मिली काव्यांजलि

आगरा: अमृता विद्या एजुकेशन फॉर इम्मोर्टालिटी सोसाइटी और छांव फाउंडेशन ने मिलकर महाकवि सूरदास की 547वीं जयंती पर एक भावपूर्ण कार्यक्रम “सबसे ऊंची प्रेम सगाई” का आयोजन किया। फतेहाबाद रोड स्थित ‘शीरोज हैंग आउट’ रेस्टोरेंट में शुक्रवार 2 मई को आयोजित इस कार्यक्रम में सूरदास जी के प्रेम और वात्सल्य से ओतप्रोत काव्य को संगीतमय प्रस्तुतियों के माध्यम से याद किया गया। वक्ताओं ने सूरदास के साहित्य को बृज साहित्य की अमूल्य धरोहर बताया, जिसकी प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, आगरा के पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार (आईपीएस) ने संबोधित करते हुए कहा कि महाकवि सूरदास की ख्याति विश्वव्यापी है और उनके द्वारा रचित काव्य हिंदी साहित्य का अनमोल खजाना है। उन्होंने खुशी व्यक्त की कि आगरा के लोग उन्हें निरंतर याद करने की परंपरा बनाए हुए हैं।

प्रख्यात गजल गायक सुधीर नारायन ने कहा कि सूरदास का भजन “सबसे ऊंची प्रेम सगाई” वर्तमान समय में भी अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने कबीर और खुसरो जैसे अन्य संत कवियों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने भी प्रेम के महत्व को बताया। श्री नारायन ने श्रीमद् भागवत काल से ब्रजवासियों की “वसुधैव कुटुम्बकम” की भावना पर प्रकाश डाला और कहा कि अब इसे वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि देश और विदेश के कई कार्यक्रमों में उन्होंने सूरदास और आगरा के अन्य साहित्यकारों की रचनाओं को प्रस्तुत किया है और वे युवा गायकों को प्रशिक्षित कर इस महान विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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सुधीर नारायन ने अपनी भावपूर्ण आवाज में सूरदास जी के भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और भक्ति साहित्य से संबंधित कई उत्कृष्ट भजनों की प्रस्तुति दी, जिनमें प्रमुख थे – 1. सब से ऊँची प्रेम सगाई; 2. उधो मन ना भाए दस बीस; 3. कहन लगे मोहन मैया मैया; 4. रे मन मूरख जन्म गवायो; 5. चरण कमल बन्दों हरि राइ; 6. मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो; 7. अब तो नाच्यो बहुत गोपाल। उनकी प्रस्तुतियों ने श्रोताओं को भक्ति रस में सराबोर कर दिया।

इस अवसर पर अदिति शर्मा, खुशी सोनी, गति सिंह, दीप्ति यादव, हर्षित पाठक, अमन शर्मा, अक्षय प्रताप सिंह, सुरेश राजपूत, राज मैसी, राजू पांडे, देश दीप शर्मा, रिंकू चौरसिया आदि कलाकारों ने भी अपनी मधुर प्रस्तुतियों और वाद्य यंत्रों के साथ कार्यक्रम को संगीतमय और काव्यमय बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

सूरदास जी की विरासत

यह उल्लेखनीय है कि महाकवि सूरदास की कर्मभूमि रुनकता स्थित यमुना नदी के किनारे गऊघाट रही है, जहाँ उनका निवास ‘सूर कुटी’ आज भी मौजूद है। यहाँ सूर स्मारक मंडल द्वारा यमुना रिवर फ्रंट पर सूर श्याम मंदिर और सूरदास की विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है। सूरदास जी का स्वामी वल्लभाचार्य से मिलन स्थल ‘चबूतरा’ भी अभी तक विद्यमान है। ‘चौरासी वैष्णवन की वार्ता’ में सूरदास के जीवन और गऊघाट पर वल्लभाचार्य से उनकी भेंट का विस्तृत विवरण मिलता है। उल्लेखों के अनुसार, वल्लभाचार्य से मिलने से पहले सूरदास वैराग्य भाव से प्रेरित होकर भगवान हरि की दैन्य भाव की भक्ति में लीन थे, लेकिन इस भेंट के बाद उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि और आध्यात्मिक चेतना से न केवल कृष्ण की लीलाओं को जाना बल्कि उन्हें संगीतमय रूप भी दिया।

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आगे भी होंगे कार्यक्रम

अमृत विद्या एजुकेशन फॉर इम्मोर्टालिटी सोसाइटी के सचिव अनिल शर्मा ने कहा कि सूरदास जी आगरा की पहचान हैं और इस पहचान को बनाए रखने के लिए सूर साहित्य और बृज साहित्य से संबंधित कार्यक्रमों का निरंतर आयोजन आवश्यक है। उन्होंने “सबसे ऊंची प्रेम सगाई” को एक नई शुरुआत बताते हुए उम्मीद जताई कि यह साहित्यिक गतिविधि के रूप में आगे भी जारी रहेगी। उन्होंने शीरोज हैंगआउट कैफे और कुंदन साबुन द्वारा दिए गए समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। श्री शर्मा ने यह भी घोषणा की कि संस्था शीरोज हैंगआउट के सहयोग से हर साल सूरदास जयंती मनाने का निर्णय लिया है और ऐसे कार्यक्रमों का एक कैलेंडर बनाया जाएगा ताकि मानवीय अनुभूतियों के इन महान वाहकों को याद करने के लिए एक स्थायी मंच बन सके। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि आगरा ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है, लेकिन हम अपनी विरासत को बनाए रखने और शहर व ब्रज को उचित श्रेय दिलाने में सक्षम नहीं हो पाए हैं।

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आज के कार्यक्रम में सुमित रमन, रेणुका डंग, डॉ ज्ञान प्रकाश, अरुण डंग, अशोक चौबे, डॉ डी वी शर्मा, डॉ मधु भारद्वाज, रुनु दत्ता, कांति नेगी, ब्रिग विनोद दत्ता, अवधेश उपाध्य, असलम सलीमी, मजाज़ उद्दीन, अमीर अहमद जाफरी, अनिल अरोरा, विधु दत्ता, रुचिरा माथुर, सैफ हस्सन, वैश्वी तालन, हरीश कुमार सिंह भदौरिया, विशाल रियाज़, अनिल जसावत, शिव दयाल शर्मा, हर्ष मित्तल, प्रमिला शर्मा, रिनेश मित्तल, वंशिका शर्मा, सारिका सिंह, ज्योति खंडेलवाल, विशाल झा आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन श्री सुशील सरितसुशिल ने किया और अनिल शर्मा ने आए हुए अतिथियों का स्वागत किया। अमृत विद्या एजुकेशन फॉर इम्मोर्टालिटी सोसाइटी और छांव फाउंडेशन की ओर से श्री आशीष शुक्ला ने कार्यक्रम में सहभागिता के लिए मुख्य अतिथि पुलिस कमिश्नर आगरा, साहित्यकारों, कवियों और संगीतकारों का आभार व्यक्त किया।

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