श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की शहीदी गुरुपर्व को गुरुद्वारा माई थान पर श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। इस अवसर पर गुरु साहिब के बलिदान को याद करते हुए कीर्तन और धार्मिक प्रवचन किए गए, जिसमें गुरु तेग बहादुर जी के अद्वितीय योगदान और हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए उनके बलिदान को सम्मानित किया गया।
आगरा : आज श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की शहीदी गुरुपर्व को श्रद्धा और सम्मान के साथ गुरुद्वारा माई थान पर मनाया गया। इस अवसर पर गुरु साहिब के बलिदान और उनके साहस को याद करते हुए संगत ने उनका गुणगान किया। गुरु तेग बहादुर जी ने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था, जिसे आज भी श्रद्धापूर्वक याद किया जाता है।
इस विशेष अवसर पर, अखंड कीर्तनी जत्था के भाई जसपाल सिंह जी ने ‘आसा दी वार’ का कीर्तन किया, जो श्रद्धालुओं को प्रभु के नाम में लीन करने के लिए विशेष रूप से प्रभावी रहा।
भाई गुरविंदर सिंह रुद्रपुर वाले ने अपने प्रवचन में कहा, “एक गुरमुख परोपकारी विरला आता है। सतगुरु सच्चे पातशाही अपनी वाणी में फरमान करते हैं कि इस धरती पर परोपकार करने वाले विरले ही होते हैं, जैसे गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया।”
इस दौरान भाई हरजीत सिंह हजूरी रागी गुरुद्वारा गुरु का ताल ने ‘शीश दिया पर सी ना उचरी’ का गायन किया। उन्होंने कहा, “गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने अपना शीश तो दिया, लेकिन धर्म को नहीं हरने दिया। उन्होंने हिन्दू धर्म को बचाने के लिए अपना बलिदान दिया, और यही उनकी महानता है। उन्हें हिन्द की चादर कहा जाता है।”
भाई विजेंद्र सिंह जी हजूरी रागी गुरुद्वारा माई थान ने ‘जो नर दुख महि दुख नहीं माने सुख’ का गायन करते हुए संगत का मन मोह लिया। उन्होंने कहा, “गुरु की वाणी में जो सच्चाई है, वही संसार को सच्चे मार्ग पर चलने का संदेश देती है।”
स्त्री सत्संग सभा गुरुद्वारा माई थान ने भी गुरुबाणी का गायन किया, जिससे आयोजन में एक और भक्ति का माहौल बना।
मुख्य ग्रंथी ज्ञानी कुलविंदर सिंह ने सरबत के भले की अरदास की और पूरे संगत के लिए सुख-शांति की कामना की।
कीर्तन दरबार में कई प्रमुख व्यक्तियों की उपस्थिति रही, जिनमें प्रधान कंवल दीप सिंह, चेयरमैन परमात्मा सिंह, समन्वयक बंटी ग्रोवर, पाली सेठी, रसपाल सिंह, प्रवीन अरोरा, कुलविंदर सिंह बाबा, सतविंदर सिंह, रोहित कत्याल, राना रंजीत सिंह, परमजीत सिंह मक्कड़, बंटी ओबराय, बबलू, अर्शी, रविंदर ओबराय, परमजीत सिंह सरना, गुरमीत सिंह सेठी, वीरेंद्र सिंह वीरे, हरमिंदर सिंह पाली, सतनाम सिंह, निरवेर सिंह आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
इस आयोजन ने गुरु तेग बहादुर साहिब जी के बलिदान को सम्मानित करते हुए श्रद्धा और भक्ति की भावना को और प्रगाढ़ किया।