किसान दिवस में किसान नेताओं ने विभिन्न मुद्दों पर उठाई आवाज
आगरा। अन्नदाता किसानों के हितों का दावा करने वाली योगी सरकार में किसान दिवस सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गया है। वरिष्ठ अधिकारियों की बैठकों से लगातार गैरमौजूदगी, किसान दिवसों के अस्तित्व पर सवाल उठाने लगी है।
बताया जाता है कि बिचपुरी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में मासिक किसान दिवस का आयोजन हुआ। किसान दिवस में चुनिंदा विभागों के लगभग आधा दर्जन अधिकारी ही मौके पर पहुंचे। इस दौरान किसान नेता श्याम सिंह चाहर द्वारा 2015-17 के दौरान सहकारिता विभाग द्वारा गरीब बच्चों को दिए जाने वाले वजीफे की जानकारी मांगी गई तो संबंधित अधिकारी बगलें झांकने लगे। किसान नेता के कड़े तेवरों को देखते हुए अधिकारियों ने हामी भरते हुए कहा कि लगभग ₹10 करोड़ की धनराशि जनपद की विभिन्न जिला सहकारी बैंकों में पड़ी हुई है। किसान नेता ने पूछा कि इतने सालों बाद भी पात्रों को इसका लाभ क्यों नहीं मिल पाया, इसका जवाब देने में अधिकारी कतराने लगे। किसान नेता ने आरोप लगाया कि जो सरकारी धन गरीब बच्चों के शिक्षण कार्य में प्रयोग होता, उसको अधिकारियों ने निजी स्वार्थ की खातिर बंदरबांट करके बच्चों को उनके हक से वंचित कर दिया। बैठक में मौजूद अन्य किसान नेताओं ने कहा कि खेतों में सिंचाई के नाम पर जहरीले पानी की आपूर्ति की जा रही है। ओखला से आने वाला पानी बेहद बदबूदार एवं कैमिकल युक्त है, जबकि चौहटना पर आगरा टर्मिनल में डाला जा रहा सीवर का पानी भी बेहद दूषित है। फसलों की सिंचाई के बाद जनस्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम होने का खतरा बढ़ने लगा है। बैठक में जिला कृषि अधिकारी विनोद कुमार, सहायक आयुक्त कौशलेंद्र कुमार, किसान नेता मोहन सिंह चाहर, मुकेश पाठक, साबिर यादव, लाखन सिंह, उदयवीर सिंह कुशवाह आदि उपस्थित थे।
किसानों का भी होने लगा मोहभंग
सरकारी अधिकारियों के किसान दिवस में नहीं पहुंचने पर अब किसान भी किसान दिवस में पहुंचने से कन्नी काटने लगे हैं। बुधवार को आयोजित किसान दिवस में सिर्फ उंगलियों पर गिनने लायक किसान मौजूद थे, जबकि इतने ही अधिकारी आए थे। सभागार में रखी खाली कुर्सियां इसकी गवाही दे रही थी।