आजमगढ़, उत्तर प्रदेश: समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव के आजमगढ़ स्थित नए घर के गृह प्रवेश समारोह को लेकर ब्राह्मण समुदाय में भारी असंतोष देखने को मिल रहा है। सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश यादव अपने नए आवास की पूजा-अर्चना काशी के प्रतिष्ठित पंडितों से कराना चाहते थे, लेकिन उन्होंने कथित तौर पर इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। इस घटनाक्रम के बाद, आजमगढ़ के ब्राह्मण समुदाय ने अपने घरों पर काले झंडे लगाकर विरोध दर्ज कराया है, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।
क्यों हो रहा है अखिलेश यादव के गृह प्रवेश का विरोध?
इस विरोध प्रदर्शन का मुख्य कारण समाजवादी पार्टी पर ब्राह्मण विरोधी बयानबाजी के पुराने आरोप हैं। ब्राह्मण समुदाय का कहना है कि सपा नेताओं ने समय-समय पर ऐसे बयान दिए हैं, जिनसे ब्राह्मणों की धार्मिक और सामाजिक भावनाओं को ठेस पहुंची है।
ब्राह्मण समुदाय के कुछ प्रमुख नेताओं का यह भी आरोप है कि अखिलेश यादव ने कथित तौर पर पहले सार्वजनिक मंचों से ब्राह्मणों द्वारा पूजा-पाठ कराने को लेकर नकारात्मक टिप्पणियां की थीं। अब जब उनके स्वयं के घर का शुभ गृह प्रवेश है, तो वे इन्हीं पंडितों से पूजा-पाठ करवाना चाहते हैं। इस विरोधाभासी रुख को लेकर ब्राह्मण समाज में गहरा रोष व्याप्त है, जिसे ‘दोहरा मापदंड’ बताया जा रहा है।
काशी के पंडितों का इनकार और काले झंडों का प्रदर्शन
बताया जा रहा है कि जब अखिलेश यादव की टीम ने काशी के पंडितों से गृह प्रवेश की पूजा कराने के लिए संपर्क किया, तो उन्होंने कथित तौर पर इनकार कर दिया। इसके बाद आजमगढ़ के स्थानीय ब्राह्मणों ने अपना विरोध प्रकट करने के लिए एक प्रतीकात्मक कदम उठाया। उन्होंने अपने-अपने घरों पर काले झंडे लगाकर सपा और उसके नेतृत्व के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की। यह विरोध समारोह से ठीक पहले सामने आया है, जो समाजवादी पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है।
आगामी चुनावों पर पड़ सकता है असर?
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियां चल रही हैं और सभी राजनीतिक दल विभिन्न समुदायों को साधने का प्रयास कर रहे हैं। ब्राह्मण समुदाय का यह विरोध समाजवादी पार्टी के लिए एक चुनौती बन सकता है, खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों में जहां यह समुदाय एक महत्वपूर्ण वोट बैंक माना जाता है।
फिलहाल, समाजवादी पार्टी या अखिलेश यादव की ओर से इस पूरे मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। देखना होगा कि सपा इस विरोध को कैसे शांत करती है और क्या इसका पार्टी की चुनावी रणनीति पर कोई असर पड़ता है।