आगरा: एक महत्वपूर्ण फैसले में, अदालत ने एक व्यक्ति को अपनी पत्नी और पांच बच्चों के भरण-पोषण के लिए हर महीने 44 हजार रुपये देने का आदेश दिया है। अदालत ने यह आदेश पत्नी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के बाद दिया, जिसमें उसने अपने और अपने बच्चों के भरण-पोषण के लिए वित्तीय सहायता की मांग की थी।
मामले के अनुसार, ताजगंज थाना क्षेत्र के नगला मेवाती निवासी वादी का विवाह वर्ष 2007 में सराय ख्वाजा थाना शाहगंज क्षेत्र के एक युवक के साथ हुआ था। वादी के अनुसार, शादी में लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद, उसके ससुराल वाले संतुष्ट नहीं थे और अतिरिक्त दहेज के रूप में मायके से कार लाने के लिए उस पर दबाव डालते थे। चार बेटियों के जन्म के बाद ससुराल वालों का उत्पीड़न और बढ़ गया। बाद में एक पुत्र के जन्म के बाद भी ससुराल वालों का दुर्व्यवहार नहीं थमा और उन्होंने वादी के साथ मारपीट कर उसे घर से निकाल दिया। वर्ष 2023 में वादी के पति ने तलाक लिखकर उसे मायके भेज दिया।
इसके बाद, वादी ने स्वयं और अपने पांच बच्चों के भरण-पोषण के लिए अदालत में याचिका दायर की। उसने अदालत को बताया कि उसका पति ऑनलाइन शू एक्सपोर्ट और हैंडीक्राफ्ट का व्यवसाय करता है और प्रति माह लगभग दो लाख रुपये कमाता है।
अदालत ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद वादी को उसके पति से हर महीने 44 हजार रुपये का गुजारा भत्ता देने का आदेश पारित किया। अदालत ने पति की आय और पत्नी व बच्चों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया।
इस मामले में वादी की ओर से मुकदमे की पैरवी अधिवक्ता दीवान सिंह वर्मा और राजकुमार वर्मा ने की। अदालत का यह फैसला उन महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण राहत के रूप में देखा जा रहा है जो अपने और अपने बच्चों के भरण-पोषण के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं।