आगरा। डूडा विभाग में भ्रष्टाचार के खेल ने एक बार फिर से प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना में संलिप्तता को उजागर किया है। खबरें आ रही हैं कि विभाग के कुछ कर्मचारी योजना के लाभार्थियों की सूची में घपला कर अपात्रों को पात्र बना रहे हैं। साथ ही, कुछ कर्मचारियों द्वारा रिश्वत लेकर लाभ देने का भी आरोप सामने आया है, जिसका फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
इससे साफ़ जाहिर हो रहा है कि योजना का लाभ सही पात्रों को नहीं मिल पा रहा है, और अपात्र लोग योजना का लाभ उठा रहे हैं। यही नहीं, कुछ कर्मचारियों ने योजना का लाभ लेने के लिए 2 से 5000 रुपये तक की रिश्वत लेने का भी आरोप स्वीकार किया है।
इस मामले में डूडा के परियोजना अधिकारी का स्थानांतरण हो चुका है, और अब विभाग का कार्यभार अपर नगर आयुक्त श्री सुरेंद्र यादव देख रहे हैं। इसके बावजूद, कर्मचारियों द्वारा योजना में बड़ी धोखाधड़ी की आशंका जताई जा रही है। विशेष रूप से, प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना और फुटपाथ पर ढकेलने की योजना में अपात्रों को लाभ देने का यह सिलसिला जारी है।
आरोप और अनियमितताएं
पिछले दिनों डूडा में भ्रष्टाचार के चलते कई कर्मचारियों को निलंबित किया गया था, लेकिन अभी भी उनका नेटवर्क सक्रिय है, और वे बिना किसी डर के योजना में घपलेबाजी कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि जिनके पास पक्का मकान है, उन्हें भी योजना का लाभ दिलाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए कर्मचारियों ने उन्हें 5000 रुपये तक की रिश्वत देने का प्रस्ताव दिया है।
गौरतलब है कि डूडा द्वारा हाल ही में किए गए सर्वे में सैकड़ों अपात्रों को पात्र बना दिया गया है, जिनके पास पहले से ही पक्का मकान मौजूद है। योजना का लाभ उठाने के लिए उनका फोटो खाली जगह पर खींचकर भी दस्तावेजों में चिपका दिया गया है। इससे साफ़ है कि डूडा कर्मचारियों द्वारा यह सूची गलत तरीके से तैयार की गई है।
प्रशासन की तरफ से जांच की जरूरत
प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के संचालन की जिम्मेदारी सीएलटीसी आशीष सुमन के देखरेख में चल रही है, लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या कर्मचारियों द्वारा तैयार की गई सूची की सही जांच की गई है? आम आदमी पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष कपिल बाजपेई ने इस मामले में जांच की मांग की है। उनका कहना है कि सूची को मंजूरी देने से पहले अपर नगर आयुक्त को पूरी जांच करनी चाहिए, क्योंकि यह वही कर्मचारी हैं जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में हाल ही में डूडा से निकाला गया था।
आगे का रास्ता
अब देखना यह है कि क्या डूडा के कर्मचारी अपनी गलत सूचियों के आधार पर अपात्रों को योजना का लाभ दिलवाने में सफल हो पाते हैं, या फिर प्रशासन इस मामले में हस्तक्षेप करके सही पात्रों को योजना का लाभ दिलवाने में सफल रहेगा। फिलहाल, प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना पर सवालिया निशान लग गए हैं, और आम नागरिकों में इस योजना की पारदर्शिता को लेकर चिंता बढ़ गई है।
