लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सियासत में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के एक बयान पर उपजा विवाद अब तूल पकड़ता जा रहा है। समाजवादी पार्टी (सपा) की तीखी प्रतिक्रिया के बाद, खुद सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी इस बहस में कूद पड़े हैं। उन्होंने देर रात एक लंबी पोस्ट लिखकर पाठक के बयान पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। इसके जवाब में ब्रजेश पाठक ने भी रविवार को अखिलेश पर पलटवार किया।
अखिलेश यादव का पलटवार: ‘DNA’ और ‘धार्मिक भावना’ पर प्रहार
अखिलेश यादव ने अपनी पोस्ट में ब्रजेश पाठक की “अति अशोभनीय टिप्पणी” का संज्ञान लेने की बात कही, जो उन्होंने समाजवादियों के डीएनए पर की थी। अखिलेश ने स्वीकार किया कि उन्होंने पार्टी स्तर पर उन लोगों को समझाने की कोशिश की है जो पाठक के बयान से आहत होकर अपना आपा खो बैठे। उन्होंने पाठक से भी उम्मीद जताई कि वे अपनी बयानबाजी पर विराम लगाएंगे।
अखिलेश ने स्वास्थ्य मंत्री के रूप में पाठक से अपेक्षा की कि वे समझेंगे कि किसी के व्यक्तिगत ‘डीएनए’ पर भद्दी बात करना वास्तव में किसी व्यक्ति पर नहीं, बल्कि युगों-युगों तक पीछे जाकर उसके मूलवंश और मूल उद्गम पर आरोप लगाना है। उन्होंने लिखा, “जैसा कि सब जानते हैं कि हम यदुवंशी हैं और यदुवंश का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है, अतः ऐसे में आपके द्वारा हमारे डीएनए पर किया गया प्रहार धार्मिक रूप से भी हमें आहत करता है।”
सपा प्रमुख ने पाठक से आग्रह किया कि वे राजनीति करते-करते न तो अपनी नैतिकता भूलें और न ही धर्म जैसी संवेदनशील भावना को जाने-अनजाने में ठेस पहुंचाएं। उन्होंने पाठक से अपनी टिप्पणी के लिए अपने अंदर बैठे ‘उस अच्छे इंसान’ से क्षमा मांगने की अपील की, जो पहले ऐसा नहीं था। अखिलेश ने सकारात्मक राजनीति पर जोर देते हुए कहा कि जनसेवा के लिए वैसे भी समय कम रहता है, ऐसे में व्यर्थ के विषयों में न उलझकर सकारात्मक उद्देश्यों पर अडिग रहना चाहिए।
ब्रजेश पाठक का जवाब: ‘गाली-गलौज समाजवाद नहीं, लोहिया-जेपी पढ़िए’
अखिलेश यादव के बयान के बाद बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने रविवार को अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सपा मीडिया सेल पर निशाना साधते हुए लिखा कि उनके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले शब्द पढ़कर नहीं लगता कि यह पार्टी राममनोहर लोहिया और जनेश्वर मिश्र की पार्टी रह गई है। उन्होंने जॉर्ज फर्नांडीस का भी जिक्र किया कि ‘तथाकथित समाजवादी’ भूल गए कि शिविर लगाया करो, पढ़ा-लिखा करो।
पाठक ने अखिलेश से अपील करते हुए लिखा, “अखिलेश जी! सपाइयों को लोहिया-जेपी पढ़ाइए और पंडित जनेश्वर के भाषण सुनवाइए, ताकि इनके आचरण और उच्चारण में समाजवाद झलके।” उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि अगर लोहिया की किताबें अखिलेश के पास न हों तो वे उपलब्ध करवा सकते हैं।
डिप्टी सीएम ने सपा पर तंज कसते हुए कहा कि वे नहीं जानते कि समाजवाद क्या है, “इन्होंने समाजवाद को गाली गलौज, उद्दंडता और स्तरहीन टिप्पणियों की प्रयोगशाला बना दिया है।” पाठक ने हैरानी जताई कि उद्दंडता, अश्लीलता और अराजकता की संस्कृति के ये ‘शिशुपाल’ अपने बचाव में योगेश्वर कृष्ण का नाम लेने का दुस्साहस भी कर लेते हैं। उन्होंने अंत में लिखा, “हे योगेश्वर कृष्ण, इन शिशुपालों का ऐसे ही उपचार करते रहना जैसे यूपी की जनता पिछले दस सालों से करती आ रही है। यही इनकी नियति होगी।
इस जुबानी जंग से उत्तर प्रदेश की राजनीतिक सरगर्मियां और तेज हो गई हैं, और आने वाले दिनों में यह विवाद और गरमा सकता है।