युवाओं को अपनी पढाई के साथ राष्ट्रहित के कार्यों में बढ़चढ़ कर कार्य करें -प्रो. दामोदर सप्रे

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युवाओं को अपनी शिक्षा एवं अन्य कार्यों के साथ सामाजिक चिन्तन एवं देश हित में कार्य करने के लिए प्रेरित किया

स्वाधीनता का सम्पूर्ण एवं प्रेरक इतिहास विशय पर व्याख्यान

प्रवीन शर्मा

आगरा। दीनदयाल उपाध्याय ग्राम विकास संस्थान के संयोजन में स्वाधीनता का सम्पूर्ण एव प्रेरक इतिहास” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। डा. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के जुबली हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ दीप प्रज्वलित कर हुआ।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भगवती प्रसाद राघव, क्षेत्र संयोजक, पश्चिमी उ०प्र० एवं उत्तराखण्ड प्रज्ञा प्रवाह थे।कार्यक्रम में आये हुए अतिथियों का स्वागत एवं संक्षिप्त परिचय प्रो. वी. के. सारस्वत ब्रज प्रान्त संयोजक प्रज्ञा प्रवाह ने किया । प्रो. वी. के. सारस्वत ने अपने सम्बोधन में कहा हम स्वाधीन तो हो गये हैं, किन्तु अभी तक क्या हम स्वतन्त्र हो पाये है। हमें अपना तन्त्र तैयार करने आवश्यकता है। इस विषय पर हम सभी को चिन्तन करना होगा।

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मुख्य वक्ता आचार्य एनआईटी भोपाल प्रो. सदानन्द दामोदर सप्रे ने कहा हमारा देश युवाओं का देश है, किंतु युवा होना तभी कारगर है ।जब हमारी योग्यता से हमारे देश और समाज को लाभ हो।
उन्होने अमर बलिदानी भगत सिंह चन्द्र शेखर आजाद, वीर सावरकर बिरसा मुन्डा, खुदीराम बोश, बाजीराऊत. तिलेश्वरी बजा एवं कनकलता बरुआ आदि का सन्दर्भ देते हुए बताया कि ये सभी बहुत कम उम्र के युवा थे। प्रो. सप्रे ने वीर सावरकर के अपनी पढाई के साथ राष्ट्रहित के कार्यों में बढ़चढ़ कर कार्य किये जाने से प्रेरणा लेने के लिए आह्वाहन किया। उन्होंने युवाओं को अपनी शिक्षा एवं अन्य कार्यों के साथ सामाजिक चिन्तन एवं देश हित में कार्य करने के लिए प्रेरित किया।

वक्ता पूर्व ब्रिगेडियर विनोद दत्ता ने कहा कि एक समय था। जब हमारा देश विश्व में सबसे सम्पन्न एवं वैभवशाली देश था और समय के साथ तमाम विदेशी आकान्ताओं के कारण हमारी स्थिति ये हुई कि जब अंग्रेज छोड़कर गये तब हमारी जीडीपी मात्र 3 प्रतिषत थी। कभी समय यूरोप का था आज अमेरिका भी पिछड़ रहा है आने वाला समय एशिया का है और एशिया में सभी की निगाहें हमारे देश पर ही लगी हुई हैं। किसी भी देश का भविष्य यहा स्थिर सरकार के साथ वहाँ के लोगों की देशहित के लिए समर्पण पर निर्भर करता है।

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कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. एस.के सिंह चौहान ने कहा आज के व्याख्यान का विषय बहुत व्यापक है स्वाधीनता के बाद हमने विश्व में अपना विशेष स्थान बनाया है। हमारा देश निरन्तर विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है। हमने कभी विश्व विजेता बनने की कामना नहीं की, किन्तु हमारे देश के इतिहास के साथ जान बूझ कर छेडखानी की गई। तमाम महान लोगों और उपलब्धियों का जानबूझकर अनदेखा किया गया। हमारा इतिहास बहुत गौरवशाली इतिहास रहा है जिसे पुनः परिभाषित किये जाने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम के अन्त में पं. दीनदयाल उपाध्याय संस्थान के निदेशक एवं कार्यक्रम संयोजक डा. मनोज कुमार सिंह ने सभी अतिथियों का आभार प्रकट किया और छात्रों का आह्वान किया की व्याख्यान में प्राप्त ज्ञान का सदुपयोग करें। देश की प्रगति में सहयोग प्रदान करें। कार्यक्रम का सफल संचालन नम्रता तोमर ने किया।

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इस अवसर पर प्रो. बसंत बहादुर सिंह प्रो. यू.सी. शर्मा प्रो यू.एन. शुक्ला डा. मुनीश डा. संन्तोश कुमार सिंह, पलाश, डा. आभा सिंह, डा. आयुष मंगल, डा. पंकज राजपाल सिंह चौहान आदि के साथ बढ़ी संख्य में छात्र मौजूद रहे।

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