सुल्तान आब्दी
झाँसी | महानगर में स्पा सेंटरों की बढ़ती तादाद चिंता का विषय है जहां नियमों को ताक पर रखकर देह व्यापार किया जा रहा है। नगर के पॉश इलाकों में ये सेंटर खुलेआम चल रहे हैं जहां ग्राहकों से मनमाना शुल्क वसूला जाता है। नियमों का उल्लंघन हो रहा है और जिम्मेदारों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
नगर में बढ़ती स्पा सेंटरों की संख्या अब कानून और नैतिकता, दोनों के लिए चुनौती बनती जा रही है। कई स्पा सेंटरों में स्वास्थ्य और रिलेक्सेशन के नाम पर खुलेआम देह व्यापार का खेल चल रहा है।
नगर के कई पाश इलाकों में चल रहे स्पा सेंटरों की आड़ में संदिग्ध गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। बाहर से ये सेंटर भले ही आधुनिक और पेशेवर दिखते हों, लेकिन अंदर का माहौल कुछ और ही कहानी बयां करता है।
कई स्पा सेंटरों में न तो स्टाफ के पास आवश्यक डिप्लोमा है। न ही इनका कोई पुलिस वेरिफिकेशन कराया जाता है। मसाज रूम के दरवाजे पूरी तरह बंद कर दिए जाते हैं।
कई जगहों पर सीसीटीवी कैमरे तक नहीं लगे होते। साफ है कि इन जगहों पर चल रही गतिविधियों पर किसी की नजर नहीं है। सवाल यह है कि इतने स्पष्ट नियमों के बावजूद यह यह खेल कैसे चल रहा है।
स्थानीय पुलिस व निगम की जानकारी में यह सब नहीं है, या फिर सब कुछ मैनेज कर लिया जाता है।
किसी भी स्पा सेंटर में ग्राहक के पहुंचते ही सबसे पहले उससे 1200 लिए जाते हैं। इसके बाद ग्राहक को कुछ लड़कियों को दिखाया जाता है।
वह अपनी पसंद के अनुसार एक का चयन करता है। चयन के बाद ग्राहक और युवती एक कमरे में चले जाते हैं। युवती अलग-अलग रेट चार्ट बताकर बताती है कि किस राशि में कौन सी सुविधा मिलेगी।
यह राशि 1200 से लेकर 5000 तक हो सकती है, और ग्राहक को औसतन 45 मिनट का समय दिया जाता है। नगर के कई स्पा सेंटरों में यह प्रक्रिया लगभग एक जैसी है। न कोई निगरानी, न कोई रोक।
आखिर जिला प्रशासन इस अवैध कारोबार पर क्यों रोक नहीं लगा रहा है यह सवाल पूरे महानगर? की जनता के मुँह पर है।
