जन सूचना अधिकारी सूचनाएं देने में लापरवाही ना करें, सूचनाएं समयबद्व ढंग से देना सुनिश्चित करें: मा0 राज्य सूचना आयुक्त

Sumit Garg
3 Min Read

सुल्तान आब्दी

झासी उत्तर प्रदेश- आरटीआई के अंतर्गत जनसूचना अधिकारी/प्रथम अपीलीय अधिकारी मानवीय दृष्टिकोण भी अपनाते हुए सूचनाएं देना सुनिश्चित करें

आरटीआई के अंतर्गत ऑनलाइन और ऑफलाइन आवेदन स्वीकार है, लेकिन 10 रुपये नगद धनराशि स्वीकार नहीं

आयोग के समक्ष लंबित वादों का प्राथमिकता पर निस्तारण कराना सुनिश्चित करें
आज राज्य सूचना आयुक्त, उ0प्र0 मोहम्मद नदीम ने जनपद के राजस्व, समाज कल्याण एवं पुलिस विभाग से आयोग में लम्बित द्वितीय अपीलों/शिकायतों के निस्तारण हेतु सम्बन्धित जनसूचना अधिकारियों के साथ सर्किट हाउस सभागार में बैठक करते हुये कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 का मूल उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाने, सरकार के कार्य में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना है।


राज्य सूचना आयुक्त ने सूचना का अधिकार अधिनियम की जानकारी देते हुए बताया कि सूचना का अधिकार अर्थात राईट टू इन्फाॅरमेशन। सूचना का अधिकार का तात्पर्य है, सूचना पाने का अधिकार, जो सूचना अधिकार कानून लागू करने वाला राष्ट्र अपने नागरिकों को प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि आवेदन ऑनलाइन और ऑफलाइन लिया जाना है कोई भी जन सूचना अधिकारी मना नहीं करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि ₹10 का नोट लगाकर यदि कोई सूचना मांगता है तो उक्त शिकायतकर्ता को भविष्य में आरटीआई आवेदन के साथ पोस्टल आर्डर लगाते हुए सूचनाएं मांगने की जानकारी अनिवार्य रुप से दें।
राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि सम्बन्धित जनसूचना अधिकारी का महत्वपूर्ण दायित्व है कि आरटीआई सम्बन्धी आवेदन आने पर उसे जल्द से जल्द निस्तारण करायें अन्यथा दूसरे विभाग से सम्बन्धित है तो 05 दिन के अन्दर सम्बन्धित विभाग को अन्तरित कर देना चाहिए। उन्होने कहा कि 30 दिन के अन्दर यदि सूचना का निस्तारण नहीं किया जाता है तो प्रथम अपीलीय अधिकारी की अहम जिम्मेदारी बनती है कि उसे प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण करायें। उन्होने उपस्थित जन सूचना अधिकारियों को सूचना देने में आ रही कठिनाईयों को निस्तारण करने का भी सुलभ/नियमानुसार सुझाव दिया।
समीक्षा के दौरान राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि सभी अधिकारी राइट टू इनफार्मेशन एक्ट को भलीभांति पढ़ लें, नियमावली को सही तरीके से आत्मसात कर लें। उन्होंने कहा कि अधिनियम के तहत जो उपयुक्त हो वही सूचनाएं दे अनावश्यक सूचनाएं ना दें, यह अवश्य सुनिश्चित कर लिया जाए। इसके अतिरिक्त अधिनियम के तहत प्रावधान है कि 500 शब्द से अधिक सूचनाएं नहीं देना है, और यदि मानवीय दृष्टिकोण के तहत सूचना दी जानी है तो दी जा सकती है।
इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण डाॅ0 अरविन्द कुमार, तहसीलदार विवेक कुमार, तहसीलदार ललित कुमार पाण्डेय, तहसीलदार ज्ञानेन्द्र कुमार सिंह, नायब तहसीलदार राम दत्त, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के वरिष्ठ सहायक डाॅ0 हरि सिंह, समाज कल्याण के वरिष्ठ सहायक राम प्रकाश, कलैक्ट्रेट से सुदीप कुमार सहित सम्बन्धित अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे।

See also  UP Crime News: हाथरस में जियो फाइबर मैनेजर का अपहरण, 20 लाख की फिरौती मांगी
See also  मौनी बाबा की पावन धरा से युवाओं को मिला संदेश, समाज के बीच स्थापित करें आदर्श, सांसद और विधायक समेत सैकड़ों क्षेत्रवासियों ने की शिरकत
Share This Article
Follow:
प्रभारी-दैनिक अग्रभारत समाचार पत्र (आगरा देहात)
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement