जैथरा (एटा): नगर पंचायत जैथरा की ओर से नगर की सुंदरता बढ़ाने के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर कुछ माह पूर्व लगाई गईं 56 तिरंगा लाइटों में से करीब एक चौथाई लाइटें अब खराब हो चुकी हैं। जिन लाइटों से शहर की रौनक बढ़नी थी, वही अब अंधकार और भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुकी हैं।
चंद महीनों में दम तोड़ने वाली लाइटें, सवालों के घेरे में नगर पंचायत
ये लाइटें नगर के एटा-अलीगंज मार्ग पर लगाई गई थीं, ताकि जैथरा की छवि आधुनिक और आकर्षक दिखे। लेकिन, महज कुछ ही महीनों में इन लाइटों का बुझ जाना नगर पंचायत की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। स्थानीय जनता पूछ रही है कि क्या यह सौंदर्यीकरण था या भ्रष्टाचार की साजिश?
जनता का सीधा सवाल है कि जब लाखों की लागत से लगी लाइटें चंद महीनों में खराब हो सकती हैं, तो क्या घटिया सामग्री का इस्तेमाल नहीं हुआ? क्या यह जानबूझकर किया गया ‘खेल’ नहीं, ताकि अगली बार फिर टेंडर निकले और जेबें भरने का सिलसिला चलता रहे?
स्थानीय लोगों का कहना है, “हमने सोचा था शहर अब तिरंगा रोशनी से जगमगाएगा, लेकिन कुछ ही समय में सब काला सच सामने आ गया। जिम्मेदारों को शर्म आनी चाहिए।”
मरम्मत के नाम पर उदासीनता और जनता का आक्रोश
लोगों ने यह भी आरोप लगाया है कि खराब लाइटों की मरम्मत के नाम पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, जबकि इसकी शिकायतें कई बार की जा चुकी हैं। नगर पंचायत के जिम्मेदार अधिकारी न तो जवाब दे रहे हैं और न ही इस ओर ध्यान दे रहे हैं।
नगर वासियों का कहना है कि अगर यही हाल रहा, तो सुंदरता के नाम पर आगे भी केवल पैसे की बर्बादी और भ्रष्टाचार ही होगा। विकास कार्यों में बरती जा रही अनियमितताएं लोगों के गले नहीं उतर रही हैं। जैथरा की जनता जवाब मांग रही है — क्या नगर पंचायत के पास कोई जवाब है? ईमानदारी बनाम भ्रष्टाचार की इस जंग में कौन बाजी मारेगा?