आगरा : पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल: कागारौल पुलिस की तानाशाही

Jagannath Prasad
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आगरा: कागारौल पुलिस द्वारा पत्रकारों के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हाल ही में खनन माफियाओं के खिलाफ खबर प्रकाशित करने पर एक पत्रकार को पुलिस की बदसलूकी का शिकार होना पड़ा।

खनन माफियाओं के खिलाफ खबर प्रकाशित करने पर पुलिस की बौखलाहट,,,स्थानीय पत्रकारों द्वारा अवैध खनन को उजागर करने वाली खबरें प्रकाशित करने के बाद पुलिस की ओर से उन्हें धमकाने और प्रताड़ित करने के मामले सामने आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि थाना कागारौल के एसआई विजेंद्र शर्मा के नेतृत्व में पुलिस ने एक पत्रकार से अभद्रता की और मामले को दबाने का प्रयास किया।

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मारपीट की घटना की कवरेज कर रहे पत्रकार से पुलिस की बदसलूकी,,,मारपीट की घटना की रिपोर्टिंग करने पहुंचे एक पत्रकार का मोबाइल जबरन छीन लिया गया। पत्रकार की भूमिका पर सवाल उठाने के बजाय, पुलिस ने उल्टा उसे ही पाबंद करने की कोशिश की, जिससे पुलिस की मंशा पर सवाल खड़े होते हैं।

पुलिस की दबंगई पर ग्रामीणों की आपत्ति,,,स्थानीय ग्रामीणों ने पत्रकारों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि पुलिस का यह रवैया स्वतंत्र पत्रकारिता पर हमला है और इससे निष्पक्ष रिपोर्टिंग खतरे में पड़ सकती है।

पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंता,,,इस पूरे घटनाक्रम ने पत्रकारों की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। यदि पुलिस ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने लगे, तो यह लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस मामले की निष्पक्ष जांच कराए और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करे।

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