जैथरा,एटा: नगर पंचायत जैथरा में एक बार फिर विवादों का दौर शुरू हो गया है। ताज़ा मामला तीन दुकानों की नीलामी से जुड़ा है, जिसके लिए नगर पंचायत प्रशासन ने अखबार में विज्ञप्ति जारी करा दी है, जोकि विवाद का पर्याय बनती नजर आ रही है। नीलामी के लिए चयन की गई इन तीन दुकानों पर कोर्ट का स्थगन आदेश पहले से लागू बताया जा रहा है। इसके बावजूद नगर पंचायत ने नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी है,अखबार में जारी की गई विज्ञप्ति के बाद नगर के लोगों में तरह तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं हैं । लोगों का कहना है कि नगर पंचायत के जिम्मेदार निज स्वार्थ में अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर रखकर नीलामी की पटकथा लिख रहे हैं। संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों की मूकदर्शिता भी लोगों में चर्चा का विषय बनी हुई है।
जानकारी के अनुसार, जिन तीन दुकानों के आवंटन की बात की जा रही है, वे लंबे समय से विवादित स्थिति में हैं। संबंधित पक्ष ने न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त कर रखा है, बावजूद इसके नगर पंचायत ने नीलामी का चक्रव्यूह रचते हुए अख़बार में नीलामी की सूचना प्रकाशित करा दी है । सूत्रों का कहना है कि इस पूरी प्रक्रिया को इस तरह डिजाइन किया गया है कि सरकारी राजस्व को हानि पहुंचाते हुए, कुछ विशेष लोगों को लाभ पहुंचाया जा सके । नियम और शर्तें इस तरह रखी गई हैं कि बाहरी लोग भाग ही न ले सकें और अपने ही फिर से दुकानों पर कब्ज़ा जमा सकें।
नगर पंचायत के क्रियाकलापों से परिचित लोगों का कहना है कि नगर पंचायत प्रशासन पारदर्शिता के नाम पर छलावा कर रहा है। लोग इसे नगर पंचायत की हठधर्मिता से भी जोड़ कर देख रहे हैं। नीलामी की आड़ मे नगर पंचायत से जुड़े जिम्मेदार अपनों के साथ मिलकर लाखों रुपए के बारे न्यारे करने की जुगत में हैं। कई विकास योजनाएं पर पहले से ही कानूनी दांव पेंच में फंस चुकी हैं, लेकिन इस बार कोर्ट के आदेश की अनदेखी करना गंभीर सवाल खड़ा करता है।
इधर, वादी पक्ष जल्द ही न्यायालय की अवमानना याचिका दाखिल करने की तैयारी में जुट गया है।
जनता के बीच यह चर्चा जोरों पर है कि नगर पंचायत अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए हर सीमा लांघने को तैयार है। लोगों का कहना है कि नगर पंचायत में इस तरह की कार्यशैली आम बात हो गई है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस पूरे मामले में क्या कदम उठाता है और कोर्ट के आदेश की अनदेखी पर किसके खिलाफ कार्रवाई होती है।