बरेली: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर जहाँ एक ओर देशभर में योग के लाभों की सराहना की जा रही है, वहीं उत्तर प्रदेश के बरेली में सूर्य नमस्कार को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने इस्लामी मान्यताओं का हवाला देते हुए सूर्य नमस्कार पर आपत्ति जताई है, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार के सहकारिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जेपीएस राठौर ने इसे “छुद्र मानसिकता” करार देते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। दोनों पक्षों की इस बयानबाजी ने योग और सूर्य नमस्कार के धार्मिक और सामाजिक पहलुओं पर एक नई बहस को जन्म दे दिया है।
मौलाना रजवी की आपत्तियां: योग का समर्थन, सूर्य नमस्कार का विरोध
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने योग दिवस का समर्थन करते हुए कहा कि योग सभी के लिए लाभकारी है और इसे मस्जिदों व मदरसों में भी अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “मैं योग का समर्थन करता हूँ लेकिन सूर्य नमस्कार का नहीं।” मौलाना ने सूर्य नमस्कार को इस्लाम के विरुद्ध बताते हुए कहा कि यह एक धार्मिक कृत्य है जो इस्लाम में हराम है। उनके अनुसार, सूर्य नमस्कार करना सूरज की पूजा करने जैसा है और इस्लाम में सूर्य या किसी भी अन्य चीज की पूजा की इजाज़त नहीं है।
मौलाना ने स्पष्ट किया कि मुसलमान सूर्य नमस्कार नहीं कर सकते क्योंकि यह इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने सुझाव दिया कि योग को पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में मदरसों में शामिल किया जाना चाहिए, लेकिन सूर्य नमस्कार इसमें शामिल न हो। उन्होंने यह भी कहा कि योग महिलाओं के लिए विशेष रूप से जरूरी है और घर में ही 20 मिनट का योग उन्हें स्वस्थ रख सकता है। मौलाना ने जोर देकर कहा कि योग को धार्मिक पहचान से जोड़ने की बजाय स्वास्थ्य लाभ के नजरिए से देखा जाना चाहिए।
मंत्री राठौर का पलटवार: ‘जो सूर्य पर थूकते हैं, वह उन्हीं के मुंह पर गिरता है’
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री जेपीएस राठौर ने बरेली कॉलेज में योग अभ्यास के दौरान तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “जैसे सूर्य सत्य है, वैसे ही सूर्य नमस्कार भी सत्य है। जो सूर्य पर थूकते हैं, वह उन्हीं के मुंह पर गिरता है। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, उनके ऊपर कीचड़ गिरने वाली है।”
राठौर ने सूर्य नमस्कार को भारत की प्राचीन परंपरा का हिस्सा बताते हुए कहा कि योग को धर्म से जोड़कर देखना मानसिक संकीर्णता है। उनका यह बयान दर्शाता है कि सरकार योग और सूर्य नमस्कार को किसी धर्म से नहीं जोड़ती, बल्कि इसे एक सार्वभौमिक स्वास्थ्य अभ्यास मानती है।
क्या योग और सूर्य नमस्कार पर बढ़ेगी बहस?
इस विवाद ने एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर योग और सूर्य नमस्कार के धार्मिक पहलुओं पर बहस छेड़ दी है। एक तरफ जहां मुस्लिम समुदाय का एक वर्ग इसे धार्मिक मानता है, वहीं दूसरी ओर सरकार और उसके समर्थक इसे एक धर्मनिरपेक्ष स्वास्थ्य अभ्यास के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। आने वाले समय में देखना होगा कि इस मुद्दे पर और क्या प्रतिक्रियाएं आती हैं और यह बहस किस दिशा में आगे बढ़ती है।