किरावली। आर्ट ऑफ लिविंग के वैदिक धर्म संस्थान द्वारा पर्यावरण की शुद्धि, नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा और सकारात्मकता के उद्भव के साथ महर्षि दुर्वासा की तपोस्थली गांव दूरा में रूद्र पूजा का आयोजन किया गया। आर्ट ऑफ लिविंग के बेंगलुरू आश्रम से आए विकास सारस्वत और गुरुकुल से आए पंडित शुभम त्रिपाठी व पंडित केशव त्रिपाठी द्वारा प्राचीन वैदिक शैली में पूजा कराई गई।
इस दौरान क्रिस्टल के शिवलिंग(जिसमें भगवान शिव का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व) का दही, दूध, घी और शहद आदि सामग्रियों से अभिषेक किया गया। चंदन, भस्म और पुष्प से शिवलिंग का श्रृंगार करने के उपरांत प्रेम भाव से बेलपत्र, धतूरा एवं फल अर्पित किए गए। श्रृद्धा और कृतज्ञता के साथ भोलेनाथ का विधिवत पूजन किया गया।
शिवजी के भजनों ने सभी भक्तों को किया मंत्रमुग्ध
रूद्र पूजा के दौरान आश्रम के वेदाचार्यों द्वारा मंत्रों का उच्चारण किया गया। सत्संग एवं शिव भजन भी आयोजित हुए। इस दौरान वातावरण में पूर्ण रूप से दिव्यता और गहन ध्यान की अनुभूति प्रतीत हो रही थी। विकास सारस्वत ने बताया कि रूद्र पूजा से भगवान शिव के पराक्रमी रूप के दर्शन होते हैं। रूद्र पूजा से आंतरिक शांति प्राप्त होती है। प्रकृति के संरक्षण में भी रूद्र पूजा का विशेष महत्व है। इस मौके पर कृपांशु खूबचंदानी, राजन अरोरा, विनय ठगेला, बौबी चाहर, विराट कह, जितेंद्र चाहर, मनोज शर्मा, नरेश, भीकम, तान्या, कामना, संतोष, शिवकुमार बघेल आदि थे।