संभल। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हुई हिंसा के मामले में सियासत तेज हो गई है। पुलिस ने समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जिआउर्रहमान बर्क, सदर विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल और अन्य पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। सभी पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया है। इस रिपोर्ट के बाद से राजनीतिक विवाद और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी शुरू हो गया है।
सांसद जिआउर्रहमान बर्क का बयान
संभल हिंसा पर प्रतिक्रिया देते हुए सांसद जिआउर्रहमान बर्क ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताया और कहा कि यह एक पूर्व नियोजित घटना है। बर्क ने आरोप लगाया कि देशभर में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और यह घटनाएं इस साजिश का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा, “आजादी के बाद कभी इतने बुरे हालात नहीं हुए, जैसे आजकल मुसलमानों के साथ हो रहे हैं।”
बर्क ने यह भी कहा कि जब मस्जिद के सर्वे के लिए डीएम और एसपी ने सर्वे किया, तो हमनें शांतिपूर्वक इसे स्वीकार किया, लेकिन जुमे की नमाज के दिन मस्जिद के आसपास भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया, और लोगों को नमाज अदा करने से रोका गया। सांसद बर्क ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब पहले सर्वे हो चुका था, तो दूसरी बार सर्वे का क्या मतलब था? अगर यह जरूरी था, तो कोर्ट का आदेश लेकर आते।
सपा का बचाव
सपा ने सांसद जिआउर्रहमान बर्क के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद उनके बचाव में मोर्चा खोल दिया। सपा सांसद रामगोपाल यादव ने बयान दिया कि “जिआउर्रहमान बर्क उस समय घटनास्थल पर थे ही नहीं। यह सब आरोप पूरी तरह से झूठे हैं।” उन्होंने मांग की कि जिन लोगों ने गोली चलवाई, उन पर हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए, और इसके लिए ज़िलाधिकारी और एसपी जिम्मेदार हैं।
सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने इस घटना को दुखद बताया और कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार से अपील की कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
असदुद्दीन ओवैसी और चंद्रशेखर आजाद की प्रतिक्रिया
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने संभल हिंसा पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मस्जिद 50-100 साल पुरानी नहीं, बल्कि 250-300 साल से अधिक पुरानी है और अदालत ने बिना सुनवाई के एकतरफा आदेश पारित किया। ओवैसी ने दूसरे सर्वे पर भी सवाल उठाया और कहा कि इससे पहले अदालत से आदेश लिया जाना चाहिए था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सर्वे के दौरान भड़काऊ नारे लगाए गए, जिसका वीडियो सार्वजनिक रूप से मौजूद है।
ओवैसी ने पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी की निंदा करते हुए इसे “मर्डर” करार दिया और कहा कि इस मामले में शामिल अधिकारियों को निलंबित किया जाना चाहिए। साथ ही, उन्होंने मामले की उच्च न्यायालय से जांच कराने की मांग की।
आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने भी इस घटना पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा, “संभल की घटना में चार लोगों की जान गई। हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकती। यह घटना इस बात का प्रतीक है कि धार्मिक स्थलों पर अपना कब्जा बनाने की कोशिशें बढ़ रही हैं, जो समाज के लिए हानिकारक हैं।” चंद्रशेखर आजाद ने हिंसा को पुलिस, प्रशासन और सरकार की विफलता बताया।
पुलिस की कार्रवाई
इस घटना के बाद, पुलिस ने 21 लोगों को पहले ही हिरासत में लिया है, और 400 अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। पुलिस ने आरोपी सांसद और अन्य लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज की है और छापेमारी शुरू कर दी है।
साथ ही, संभल में शांति बनाए रखने के लिए पुलिस बल को तैनात किया गया है, और सभी संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त तेज कर दी गई है।
संभल हिंसा ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि प्रदेश भर में सियासत को गरमा दिया है। यह घटना धर्म और राजनीति के बीच की कड़ी बहस को और बढ़ा रही है। जब तक इस मुद्दे पर स्पष्टता नहीं आती, राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप की प्रक्रिया जारी रहेगी। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार और पुलिस इस मामले में किस तरह की कार्रवाई करती है और इस हिंसा को शांत करने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।
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