गोरखपुर । आज पंडित भृगुनाथ चतुर्वेदी कॉलेज ऑफ लॉ, बड़हलगंज, गोरखपुर में हिंदी दिवस के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अभिषेक पांडेय ने की।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. पांडेय ने कहा, “हिंदी सामान्य जन द्वारा बोली जाने वाली सबसे लोकप्रिय भाषा है। हिंदी भाषा भारत की आत्मा है। जैसे शरीर से आत्मा को अलग नहीं किया जा सकता, वैसे ही हिंदी को भारत से अलग नहीं किया जा सकता। भारत शरीर है और हिंदी उसकी आत्मा है। यह विश्व की बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे नंबर पर है।”
उन्होंने आगे कहा कि हिंदी को समृद्ध और सशक्त बनाने में विभिन्न कालों में कई कवियों और कथाकारों ने महत्वपूर्ण योगदान किया है। हालांकि, वर्तमान समय में अंग्रेजी के प्रति नवयुवकों की बढ़ती रुचि और हिंदी की उपेक्षा चिंता का विषय है। हमें हिंदी को हमारे सामान्य जीवन, कार्यालयों, न्यायिक प्रणालियों, वैज्ञानिक शोधों, कहानियों, कविताओं और लेखन में अपनाना चाहिए और इसे आने वाली पीढ़ी के लिए एक मूल्यवान विरासत के रूप में संजोना चाहिए।
कॉलेज के मुख्य नियंता चंद्र भूषण तिवारी ने कहा, “हिंदी हमारी मातृभाषा है और हमें इस पर गर्व है। हमें अन्य भाषाओं का भी ज्ञान प्राप्त करना चाहिए, लेकिन हिंदी हमारी मूल भाषा है जिसका ज्ञान सभी को होना चाहिए। हिंदी हमारी संवेदनाओं की भाषा है, जिसमें हम अपने विचारों को सरल और सहज तरीके से व्यक्त कर सकते हैं।”
असिस्टेंट प्रोफेसर फकरुद्दीन ने कहा, “हिंदी, हिंदू और हिंदुस्तान इस देश की पहचान हैं। हिंदी एक ऐसी भाषा है जो पूरे हिंदुस्तान को जोड़ने का काम करती है।”
असिस्टेंट प्रोफेसर आशीष कुमार गुप्ता ने बताया कि “भारत को उच्च ऊंचाइयों पर ले जाने की अवधारणा भी हिंदी से जुड़ी है, जिस पर सरकार अब विशेष ध्यान दे रही है।”
अवनीश उपाध्याय ने हिंदी के उत्थान में सूरय कांत निराला, सूरदास, तुलसीदास, जायसी, भारतेंदु हरिश्चंद्र, और रामधारी सिंह दिनकर जैसे महान साहित्यकारों के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि हमें इन योगदानों को आगे बढ़ाना चाहिए और अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में हिंदी को अपनाने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम का संचालन अंकुर यादव ने किया। इस संगोष्ठी में श्रुति माथुर, सूर्यांश कौशिक, दीवाकर, अमन, विकास शर्मा, ओंकार ओझा, अंशिका ओझा, सोनाली, विकास सिंह, और शशांक गुप्ता ने भाग लिया।