शिकायतकर्ता की फर्जी फोटो लगाकर IGRS मामले का निपटारा करने वाले थानेदार, चौकी इंचार्ज और कांस्टेबल सस्पेंड

3 Min Read

झांसी पुलिस का बड़ा एक्शन! IGRS शिकायत में फर्जी फोटो लगाकर मामले को निपटाने वाले थानेदार, चौकी इंचार्ज और कांस्टेबल हुए सस्पेंड। जानें पूरा मामला। #JhansiPolice #IGRSFraud #Suspension

झांसी: उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां आईजीआरएस (एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली) पर दर्ज शिकायत का फर्जी तरीके से निस्तारण करने के आरोप में एक थानेदार, एक चौकी इंचार्ज और एक कांस्टेबल को निलंबित कर दिया गया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) सुधा सिंह ने सोमवार को इस बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। निलंबित किए गए पुलिस अधिकारियों में नवाबाद थाने के प्रभारी निरीक्षक जितेंद्र सिंह और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय चौकी के इंचार्ज अश्वनी दीक्षित शामिल हैं।

आरोप है कि इन तीनों पुलिस अधिकारियों और कर्मचारी ने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की प्रशासनिक अधिकारी पुष्पा गौतम द्वारा आईजीआरएस पोर्टल पर दर्ज कराई गई एक शिकायत का फर्जी निस्तारण किया था। शिकायत के निस्तारण की प्रक्रिया के तहत नियमों में शिकायतकर्ता की फोटो लगाना अनिवार्य होता है। हालांकि, इन पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर फर्जीवाड़ा करते हुए पीड़ित महिला पुष्पा गौतम की तस्वीर की जगह किसी अन्य अज्ञात महिला की फोटो लगाकर मामले को बंद कर दिया था।

पीड़ित पुष्पा गौतम ने इस गंभीर अनियमितता के संबंध में सीधे शासन (राज्य सरकार) के पास शिकायत दर्ज करा दी थी। मामला उच्च अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुधा सिंह ने तत्काल और सख्त कार्रवाई करते हुए नवाबाद थाना प्रभारी निरीक्षक जितेंद्र सिंह, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय चौकी इंचार्ज अश्वनी दीक्षित और एक कांस्टेबल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुधा सिंह ने इस मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए स्पष्ट संदेश दिया है कि किसी भी प्रकार की लापरवाही और फर्जीवाड़े को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस कार्रवाई से पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है और अन्य पुलिसकर्मियों को भी अपनी कार्यशैली सुधारने का संदेश मिला है। फिलहाल, निलंबित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है और आगे की कार्रवाई जांच रिपोर्ट के आधार पर तय की जाएगी। यह घटना आईजीआरएस प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है और यह दर्शाती है कि कुछ पुलिसकर्मी किस प्रकार अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए गलत तरीके अपना सकते हैं।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version