आगरा: समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन को सोमवार सुबह आगरा में उनके आवास पर नजरबंद कर दिया गया। आगरा पुलिस ने यह कार्रवाई तब की जब वह मथुरा के भूरेका गांव में एक पीड़ित दलित परिवार से मिलने के लिए घर से निकलने की तैयारी कर रहे थे।
“यह लोकतंत्र नहीं, दमन है”: सांसद सुमन का बयान
सांसद सुमन अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ भूरेका गांव के लिए रवाना होने ही वाले थे कि तभी भारी पुलिस बल ने उनके आगरा स्थित आवास को घेर लिया और उन्हें बाहर निकलने से रोक दिया।
पुलिस अधिकारियों ने सांसद को सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए मथुरा न जाने की सलाह दी। हालांकि, सांसद सुमन ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा, “हर बार जब हम पीड़ितों की आवाज़ बनने निकलते हैं, सरकार हमें रोक देती है। यह लोकतंत्र नहीं, दमन है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि भूरेका गांव में एक दलित परिवार की शादी में दबंगों ने उत्पात मचाया, जिसकी शिकायतों को प्रशासन गंभीरता से नहीं ले रहा है। उन्होंने सवाल उठाया, “जब जनप्रतिनिधि ही नहीं पहुंच पाएंगे तो न्याय कैसे मिलेगा?”
भूरेका गांव की घटना: दलित परिवार पर दबंगों का कहर
मथुरा के भूरेका गांव में एक दलित परिवार की शादी के दौरान कुछ दबंगों ने न सिर्फ तोड़फोड़ की, बल्कि दूल्हे के परिवार के लोगों को जातिसूचक गालियां भी दीं और हथियारों से धमकाया। इस घटना को लेकर राजनीतिक गलियारों में भारी आक्रोश है, और समाजवादी पार्टी ने पीड़ित परिवार से मिलने का ऐलान किया था।
सांसद सुमन की लगातार नजरबंदी पर सवाल
यह कोई पहली बार नहीं है जब रामजी लाल सुमन को नजरबंद किया गया है। हाल के महीनों में जब भी वे दलित या अल्पसंख्यक उत्पीड़न से जुड़ी किसी घटना के स्थल पर पहुंचने की कोशिश करते हैं, प्रशासन उन्हें रोक देता है।
सपा के वरिष्ठ नेताओं ने भी प्रशासन की इस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए इसे जनप्रतिनिधियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन बताया है। यह घटना सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बढ़ते तनाव और दलित उत्पीड़न के मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर बहस को और बढ़ा सकती है।