क्यों ख़ास हैं 5 सितम्बर

Dharmender Singh Malik
7 Min Read

आज विश्व का वो दिन है जिसका नाम सुनते ही बच्चे से लेकर 100 वर्षीय मानव के दिमाग, आंखें, मन, पेट मचलने ने लगता हैं और जीभ में स्वाद अपने आप आ जाता है ।जी हां हम एक ऐसे खाद्य पदार्थ की बात कर रहे हैं जो हर गली नुक्कड़ मौहल्ले और बड़े बड़े होटलों में विश्वव्यापी सर्व किया जाता है। अक्षय कुमार और जूही चावला की फिल्म मिस्टर खिलाड़ी का गाना आपको याद होगा जब तक रहेगा समोसे में आलू मैं तेरा रहूंगा सालू ।

जी हाँ आज हम बात कर रहे हैं विश्व समोसा दिवस की जो कि हर साल 5 सितंबर को पूरे विश्व में अनेक प्रकार से बनाया जाता है । तमाम लोग समोसा पार्टी देते हैं ,नई-नई बनाने के तरीके की वीडियो बनाकर लॉन्च करते हैं। समोसा बनाने वाले उस्ताद अपने ऑनर का प्रयोग करते हैं नए-नए आकार नए तरीके की फीलिंग छोटे समोसे से लेकर बड़े-बड़े समोसे तक का प्रयोग किया जाता है । दोस्तों में तो समोसा पार्टी करके अपनी दोस्ती को न केवल प्रगाढ़ किया जाता है बल्कि कॉलेज के दिनों को भी याद करते हैं ।

दुनिया में जितनी लंबी यात्रा समोसे ने की, उतनी शायद ही किसी और व्यंजन ने की हो. जिस तरह इसने खुद को तरह-तरह के स्वाद से जोड़ा, वो भी शायद किसी और डिश के साथ हुआ हो. इसे कई नामों से जाना जाता है. कई सदी पहले की किताबों और दस्तावेजों में इसका जिक्र संबोस्का, संबूसा, संबोसाज के तौर पर हुआ. अब भी इसके कई तरह के नाम हैं, मसलन-सिंघाड़ा, संबसा, चमुका, संबूसाज और न जाने क्या क्या।

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आईए जानते हैं समोसे के इतिहास के बारे में एशिया में “समोसा साम्राज्य” ईरान से फैलना शुरू हुआ।वहां इसका जिक्र दसवीं शताब्दी में लिखी किताबों में हुआ है. ईरानी इतिहासकार अबोलफाजी बेहाकी ने “तारीख ए बेहाकी” में इसका जिक्र किया. हालांकि इसके कुछ और साल पहले पर्सियन कवि इशाक अल मावसिलीकी ने इस पर कविता लिख डाली थी. माना जाता है कि समोसे का जन्म मिस्र में हुआ। वहां से ये लीबिया पहुंचा। फिर मध्य पूर्व ईरान में ये 16वीं सदी तक बहुत लोकप्रिय था, लेकिन फिर सिमटता चला गया।

दसवीं सदी में भारत से आने वाले पारसी व्यापारी समोसा लेकर यहां आए थे । अब तो यह दुनिया में भारत की व्यंजन के रूप में इस समोसे की इतनी प्रसिद्धि हो गई है की यह भारतीय व्यंजन के रूप में जाना जाने लगा है । अरबी व्यापारियों द्वारा के माध्यम से तिकोनी आकार का समोसा भारत पहुंचा पुर्तगालियों ने जब आलू लेकर भारत आए तो यह आलू भरमा समोसा बहुत ही हिट हुआ । आज तो समोसा किस चीज की फीलिंग से ना बना हो सोच भी नहीं सकते हैं क्या पनीर, मेवा ,मावा, मिक्स वेजिटेबल, फ्रूट ड्राई समोसा, कटलेट समोसा । मुगल काल से लेकर आज तक वैरायटी का प्रयोग निरंतर जारी है।

पूरे विश्व में आलू और प्याज अगर आपको हर जगह उपलब्ध होते हैं तो आपको समोसा भी अवश्य मिलेगाभारत में हर समोसा विक्रेता के समोसे की अपनी ही स्वाद ,और बनाने की विधि है। उसे क्षेत्र के निवासी दूसरे क्षेत्र के निवासी को यह सिद्ध करने में लगते हैं कि हमारा समोसा सबसे ज्यादा अच्छा है व स्वादिष्ट है ।एक-एक बार में 100 समोसे का घान तक उतारते हुए देखा सकते है। इधर घान उतरा उधर खत्म यहां तक की कई समोसा बनाने वाले टोकन वितरित किया जाता है तब वह समोसा उसे टोकन वाले के हाथ में आता है ।समोसे के साथ दी जाने वाली चटनी और सोस का भी बहुत बड़ा कमाल है जो अनेक प्रकार से पूरे विश्व में दी जाती है।

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हर राज्य का अपना अलग समोसा

वैसे भारत में अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह के समोसे प्रचलित हैं। हैदराबाद में कॉर्न और प्याज के छोटे समोसे मिलेंगे तो बंगाल का सिंघाड़ा मछली भरकर भी बनाया जाता है। कर्नाटक, आंध्र और तमिलनाडु के समोसे कुछ दबे हुए होते हैं। कई जगहों पर केवल ड्राईफूट्स के समोसे मिलेंगे. दिल्ली और पंजाब के लोगों को आलू और पनीर का चटपटा समोसा पसंद आता है।

नेशनल समोसा वीक वर्ष में 10 अप्रैल से 16 अप्रैल तक सेलिब्रेट किया जाता हैं। यूनाइटेड किंगडम में रहने वाले लोगों में भारतीय, पाकिस्तानी और बंगलादेशी लोग ज्यादा है. इसलिए नेशनल समोसा वीक की आयोजन कमेटी को यह विश्वास है, कि नेशनल समोसा वीक भी करी फेस्टिवल की तरह सफल रहता हैं।

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एक समय था जब समोसा सस्ता था और फोन कॉल महँगी थी। आज फोन कॉल सस्ती हो गई है और समोसा दिन प्रतिदिन महंगाई की मार से 10 से लेकर 25-30 रुपए तक का आम चलन में है। विशेष परिस्थिति में फाइव स्टार होटल, रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट की बात छोड़ दें तो अभी हाल में ही देखने को मिला है। धार्मिक नगरी हरिद्वार में समोसा कम से कम ₹25 का है जो की काफी अधिक दाम माना जाता है जबकि इस नगरी बहुत आम सृधालु आता है ।

आज विश्व समोसा दिवस को अपने परिवार के साथ दोस्तों के साथ ,सहपाठियों के साथ और कार्य स्थल पर समोसे की पार्टी देकर और अपने अनुभव बातकर समोसे दिवस बनाये और आनंद लीजिए ,बल्कि गर्व से कहिए कि अब समोसा भारतवर्ष की रेसिपी है साथ ही अपनी मां धर्मपत्नी और बहन को भी धन्यवाद कीजिए जो आपको समय-समय पर अनेक प्रकार के प्रयोग करके समोसे का आनंद चाय के साथ दिलाती है। आज चैरिटी दिवस भी इसलिए समोसा अपने गुरु जनों और दोस्तों को खिलाकर एक साथ तीन दिवस मनाये जैसे टीचर्स चैरिटी और समोसा दिवस ।

राजीव गुप्ता जनस्नेही 
लोक स्वर आगरा

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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