श्रीमद्भागवत कथा मनुष्य की सभी इच्छाओं को पूरा करती है – कथा व्यास पं बृजेश तिवारी

Sumit Garg
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सुल्तान आब्दी

झाँसी उत्तर प्रदेश – उल्दन ग्राम के प्रसिद्ध धार्मिक स्थान श्री फुटेश्वर महाराज श्री हनुमान जी मंदिर ग्राम उल्दन बंगरामे एक विशाल कार्यक्रम धार्मिक अनुष्ठान श्री श्री 1008 श्री रुद्र महायज्ञ एवं श्रीमद् भागवत कथा पुराण का आयोजन 21 नवंबर 2025 दिन शुक्रवार से चल रहा है जिसकी पूर्ण होती 28 नवंबर 2025 को विश्राम होगी । विश्राम दिवस पर धार्मिक स्थान पर विशाल भंडारा का आयोजन भी किया गया है । श्री कृष्ण जन्म की आरती में बुंदेलखंड क्षेत्र के समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी नौगांव बुंदेलखंड मंच पर उपस्थित रहे और उन्होंने आरती में भाग लिया इस अवसर पर मंच पर डॉक्टर रमाकांत पटेरिया एवं पंडित बृजेश तिवारी जी द्वारा सामाजिक काम करने के लिए सम्मानित किया गया और उनके जीवन परिचय पर प्रकाश डाला गया ।
डॉ रमाकांत पटेरिया यज्ञ आचार्य द्वारा श्री रुद्र महायज्ञ का आयोजन कराया जा रहा है एवं दोपहर 2:00 बजे से श्री हरि इच्छा तक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन हो रहा है ।
कथा वाचक पं बृजेश तिवारी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा मनुष्य की सभी इच्छाओं को पूरा करती है। यह कल्पवृक्ष के समान है। भागवत कथा ही साक्षात कृष्ण है और जो कृष्ण है, वही साक्षात भागवत है। भागवत कथा भक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। कथा व्यास ने पांडवों के जीवन में होने वाली श्रीकृष्ण की कृपा को बड़े ही सुंदर ढंग से दर्शाया। कथा विकास मंच से बताया गया कि परीक्षित कलियुग के प्रभाव के कारण ऋषि से श्रापित हो जाते हैं। उसी के पश्चाताप में वह शुकदेव जी के पास जाते हैं। भक्ति एक ऐसा उत्तम निवेश है, जो जीवन में परेशानियों का उत्तम समाधान देती है। साथ ही जीवन के बाद मोक्ष भी सुनिश्चित करती है।

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श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन धर्म, भक्ति और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। कथावाचक पंडित श्री बृजेश तिवारी शास्त्री ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की दिव्य लीला का वर्णन किया।. धर्म, भक्ति और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। कथावाचक पंडित श्री बृजेश तिवारी शास्त्री ने भगवान श्रीकृष्ण के पावन जन्म से लेकर घनघोर वर्षा के बीच वासुदेव द्वारा यमुना पार कर शिशु स्वरूप कृष्ण को गोकुल पहुंचाने की दिव्य लीला का भावपूर्ण वर्णन किया। कथा में वासुदेव की गोद में बालकृष्ण का रूप आया और यमुना की गर्जना के बीच शेषनाग के छत्र का प्रसंग आया, पूरा पंडाल ‘जय श्रीकृष्ण के उद्घोष से गूंज उठा। श्रद्धालु भक्ति में सराबोर होकर श्रीकृष्ण लीलाओं में खो गए। कथावाचक ने बालकृष्ण के जन्म की दिव्यता, मथुरा से गोकुल तक की यात्रा और भगवान की लीलाओं को आत्मा से जोड़ते हुए कहा कि यह केवल कथा नहीं, बल्कि आत्मा के परमात्मा से मिलने की यात्रा है।उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण का जन्म केवल कंस के अंत के लिए नहीं, बल्कि अधर्म पर धर्म की विजय का संदेश है। कथा स्थल को आकर्षक रूप से सजाया गया है। ग्रामीणजन प्रतिदिन बड़ी संख्या में पहुंचकर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं। महिला-पुरुष, युवा और बच्चे श्रद्धा भाव से कथा श्रवण कर रहे हैं। कथा के समापन पर प्रतिदिन आरती व प्रसाद वितरण किया जाता, जिसमें सभी श्रद्धालु सहभागी शामिल होते हैं ।

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प्रभारी-दैनिक अग्रभारत समाचार पत्र (आगरा देहात)
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