खेरागढ़ (संवाददाता) – प्राथमिक विद्यालय कछपुरा सरेंडा में अन्तरर्राष्ट्रीय बालिका दिवस बहुत ही धूमधाम तरीके से महा पर्व की भांति आयोजित किया गया। विद्यालय में कक्षा चार की छात्रा लक्ष्मी को एक दिन की प्रधानाध्यापिका बनाया गया।शिक्षा के महत्व और कलम की ताकत को बताते हुए विद्यालय में नामांकित समस्त छात्राओं को को सशक्त बनाने हेतु निःशुल्क लेखन सामग्री प्रदान की गई। स्वास्थ्य और स्वच्छता से जागरूक कराते हुए प्रत्येक बालिका को एक एक रुमाल उपहार स्वरूप भेंट किया गया। इंचार्ज प्रधानाध्यापक डा.सतीश कुमार ने अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 2025,उसके इतिहास, महत्व और थीम पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हर साल 11 अक्टूबर को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से लड़कियों के अधिकार, शिक्षा, समान अवसर और सशक्तिकरण को समर्पित है। इस दिन की स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 दिसंबर 2011 को की थी। पहली बार इसे 2012 में मनाया गया और तब से यह वैश्विक स्तर पर महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन चुका है। शिक्षक राकेश कुमार ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस की जड़ें 1995 के बीजिंग महिला सम्मेलन से जुड़ी हैं। इस सम्मेलन में दुनिया भर की महिलाओं ने लड़कियों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई। इसके बाद 2011 में संयुक्त राष्ट्र ने 11 अक्टूबर को इस दिन को आधिकारिक रूप से घोषित किया। शिक्षक मोहित वर्मा ने बताया कि इस साल की थीम “लड़कियों का नेतृत्व और उनकी स्वतंत्र पहचान” है। यह संदेश देती है कि लड़कियां केवल भविष्य की आशा नहीं हैं, बल्कि आज बदलाव लाने की असली शक्ति भी हैं। हर लड़की में समाज और समुदाय को दिशा देने की क्षमता मौजूद है, बस उसे पहचान और अवसर की जरूरत है। दुनिया भर में लड़कियां आज भी कई चुनौतियों का सामना कर रही हैं, जैसे:बाल विवाह,शिक्षा से वंचित रहना,भेदभाव और हिंसा आदि।
यह दिन याद दिलाता है कि हर लड़की को शिक्षा का अधिकार, स्वास्थ्य और सुरक्षा,आत्मनिर्भरता और सम्मान,निर्णय लेने और नेतृत्व का अवसर मिलना चाहिए। इसके बाद कार्यक्रम के समापन की औपचारिक घोषणा की गई।
अन्तरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर एक दिन के लिए प्रधानाध्यापक बनी छात्रा लक्ष्मी

प्रभारी-दैनिक अग्रभारत समाचार पत्र (आगरा देहात)
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