आगरा। योग पद्धति भारत ही नहीं विश्व की सबसे प्राचीन पद्धति है, जिसके प्रयोग से मनुष्य की शारीरिक ,मानसिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक क्षमताओं का विकास होता है। चित्त की अनियंत्रित वृत्तियां ही संसार में सभी दुखों का कारण है, इसी से सभी प्रकार के कुकर्म, दुराचार अत्याचार आदि होते हैं। जिस व्यक्ति का स्वयं का व्यक्तित्व एवं संपूर्ण समाज का वातावरण दूषित हो जाता है, उन सभी चित्त की अनियंत्रित वृत्तियों को नियंत्रण का एकमात्र साधन योग है। योग के कारण ही मनुष्य स्वयं को अनुशासित रखता है एवं सकारात्मक दृष्टिकोण उत्पन्न होता है। आधुनिक जीवन में भौतिक संसाधनों पर बढ़ती निर्भरता और प्रकृति से दूरी शारीरिक एवं मानसिक, विकृतियों को न सिर्फ उत्पन्न कर रही है बल्कि बढ़ा भी रही है, ऐसे में प्रकृति से निकटता और योगमय जीवन को अपनाकर निरोग रहने के साथ ही हम सदैव ऊर्जावान भी महसूस करेंगे। इस वर्ष 21 जून 2024 अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम है स्वयं और समाज के लिए योग तो योग दिवस के अवसर पर हम सभी प्रण लें कि योग करने के साथ ही इस बढ़ती हुई ग्लोबल वार्मिंग में हम कम से कम पांच पेड़ अवश्य लगाएंगे।भावना सिंह, सहायक अध्यापकउच्च प्राथमिक विद्यालय, चुरियारीफतेहपुर सीकरी, आगरा