आगरा : आगरा जनपद की दूसरी महत्वपूर्ण नदी उटंगन में रेहावली पर बांध बनाकर यमुना नदी के उफान कर पहुंचे पानी का संचय किया जाये। यह प्रस्ताव जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ.मंजू भदौरिया को सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के सदस्यों ने मुलाकात के बाद दिया।
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के सदस्यों ने जिला पंचायत अध्यक्ष को बताया कि जनपद में जल संचय की व्यापक संभावनाएं हैं, लेकिन कार्ययोजनाएं न बनाई जाने के कारण वर्षा जल संचय नहीं हो पा रहा है। साथ ही पुरानी और उपयोग हो सकने वाली जल संचय संरचनाओं की स्थितियों में अपेक्षित सुधार नहीं हो पा रहा है।
श्री अनिल शर्मा ने जिला पंचायत अध्यक्ष को बताया कि प्रत्येक मानसून सत्र में कम से कम तीन बार यमुना नदी लो फ्लड लेवल को क्रॉस करती है, फलस्वरूप उटंगन में लगातार काफी जलराशि संचय को उपलब्ध रहती है।जो कि संचय की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि जल संचय और संचित जलराशि के अधिकतम अवधि के लिये ठहराव बनाया रखना शासन की नीति के अनुकूल है। निरीक्षण उपरांत वह संबंधित अधिकारियों से विचार विमर्श कर कार्य योजना तैयार करवायेंगी।
उन्होंने कहा कि रेहावली में बांध बनाने से उटंगन नदी में यमुना नदी के उफान कर पहुंचे पानी का संचय किया जा सकेगा। इससे फतेहाबाद और बरौली तक के भूमिगत जल स्रोतों को जरूरत का पानी उपलब्ध हो सकेगा और खेती के लिये परंपरागत तरीकों से जल दोहन पुन: संभव हो सकेगा।
उल्लेखनीय है कि लगभग 288 कि मी बहाव वाली “उटंगन नदी, जो राजस्थान सीमा में गंभीर नदी भी कहलाती है, । यह राजस्थान में करौली जिले में अरावली पहाड़ियों में शुरू होती है। धौलपुर जिले में इसका कुछ भाग राजस्थान व उत्तर प्रदेश की राज्य सीमा निर्धारित करता है।
फतेहाबाद तहसील के रेहावली गांव में उटंगन जनपद में सौ कि मी बहने के बाद यमुना नदी में समाती है। निरीक्षण को प्रस्तावित नदी खंड में नगला बिहारी में आगरा कैनाल के टर्मिनल राजवाह की टेल मिलती है,जबकि कुछ कि मी अपस्ट्रीम में (धौलपुर के गांव खैरगढ )राजस्थान की पार्वती नदी मिलती है।
अंतर्राज्यीय नदी होने के बावजूद राजस्थान में नदी का पानी उ प्र सरकार की बिना अनुमति के रोक लिया गया है और महत्वपूर्ण नदी होने के बावजूद इसके खनुआ (खानवा ) स्थित हैड तक पानी नहीं पहुंचने दिया जाता है,लेकिन इसके बावजूद इसमें वेस्टर्न डिप्रेशन ड्रेन (डब्ल्यूडी) , चिकसाना ड्रेन खारी नदी आदि का डिस्चार्ज बडी मात्रा में आता है और प्रभावी जल संचय का इंतजाम न होने से यमुना में बह जाता है।
बांध निर्माण से निम्नलिखित लाभ होंगे:
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फतेहाबाद और बरौली तक के भूमिगत जल स्रोतों को जरूरत का पानी उपलब्ध होगा।
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खेती के लिये परंपरागत तरीकों से जल दोहन पुन: संभव होगा।
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जल संचय होगा और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी।
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पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।