Advertisement

Advertisements

लूट और बरामदगी के तीन आरोपी बरी, महिला डॉक्टर के साथ हुआ था दस वर्ष पुराना लूट का मामला

MD Khan
4 Min Read

आगरा: महिला डॉक्टर के साथ लूट और माल बरामदगी के मामले में विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावी क्षेत्र, नीरज कुमार बक्सी ने तीन आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। आरोपियों में नबाब दुर्रानी, सोरन कुशवाह और शादाब शामिल थे। अदालत ने सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया और मामले में सुनवाई के बाद बरी करने का आदेश दिया।

क्या है मामला?

यह मामला 8 अप्रैल 2014 की रात का है जब महिला डॉक्टर शिल्पा सक्सेना और उनकी पुत्रवधू शिप्रा सक्सेना अपने क्लिनिक से निकलकर रिक्शे में बैठकर चर्च रोड की ओर जा रही थीं। उसी दौरान, पीछे से आए मोटरसाइकिल सवार बदमाशों ने उनका बैग छीन लिया। बैग में दो मोबाइल फोन और कुछ नगदी रखी थी। इस घटना के बाद विनोद बिहारी लाल सक्सेना, जो वादी मुकदमा थे, ने थाना हरीपर्वत में रिपोर्ट दर्ज कराई और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

See also  अमेरिकी उपराष्ट्रपति के आगरा आगमन पर आज वीआईपी मार्ग बंद, ताजमहल तक डायवर्जन

क्या था आरोप?

आरोपियों पर यह आरोप था कि उन्होंने महिला डॉक्टर और उनकी पुत्रवधू से लूटपाट की थी। अभियोजन पक्ष ने इस मामले में कुल पांच गवाह पेश किए थे और आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य प्रस्तुत करने की कोशिश की थी। हालांकि, आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य न होने के कारण अदालत ने इस मामले में सुनवाई की और अंततः आरोपियों को बरी कर दिया।

अदालत का फैसला

मुकदमे के विचारण के बाद विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावी क्षेत्र, नीरज कुमार बक्सी ने इस मामले में आरोपी नबाब दुर्रानी, शादाब और सोरन कुशवाह को बरी कर दिया। अदालत ने साक्ष्य के अभाव में इस निर्णय को लिया। आरोपियों के वकीलों ने कोर्ट में तर्क प्रस्तुत किया कि उनके खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं थे, जिसके बाद अदालत ने सभी आरोपियों को निर्दोष मानते हुए उन्हें बरी कर दिया।

See also  आगरा व्यापार मंडल ने उपजा की नवगठित कार्यकारिणी का किया भव्य स्वागत

साक्ष्य का अभाव

अदालत में अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए साक्ष्य और गवाहों के बयानों के बावजूद आरोपियों के खिलाफ किसी भी ठोस और विश्वसनीय प्रमाण की कमी पाई गई। इस कारण से अदालत ने इस फैसले को सुनाया। आरोपियों के वकीलों ने कोर्ट में यह दावा किया कि उनके खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं थे और इस मामले में साक्ष्य की कमी के कारण उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

आरोपियों का पक्ष

आरोपियों के अधिवक्ता रिंकू पठान, एमडी खान और महमूद हसन ने अपनी दलीलें पेश कीं। उनका कहना था कि साक्ष्य के अभाव में आरोपियों को दोषी ठहराना उचित नहीं था और इस मामले में उनके मुवक्किल निर्दोष हैं। कोर्ट ने इन तर्कों को स्वीकार किया और सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

See also  अंबेडकरनगर: दबंग महिला डॉक्टर का अमानवीय चेहरा, प्रसव पीड़ा से कराहती महिला से पूछा- 'यादव हो क्या?', अब दिया इस्तीफा

आखिरकार बरी हो गए आरोपी

विशेष न्यायाधीश ने सभी साक्ष्यों और तथ्यों की गंभीरता से जांच की और उनके अभाव में आरोपियों को बरी कर दिया। इस निर्णय के बाद तीनों आरोपियों को अदालत से राहत मिली। यह मामला कुल दस वर्षों से लंबित था और अदालत ने इसे साक्ष्य के अभाव के आधार पर समाप्त किया।

Advertisements

See also  आगरा मेट्रो: आरबीएस रैंप से राजा की मंडी तक टनल निर्माण पूरा, परियोजना में तेजी #Agranews
Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement