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वाराणसी: 128 वर्षीय पद्मश्री से सम्मानित योग गुरु स्वामी शिवानंद बाबा का निधन

BRAJESH KUMAR GAUTAM
4 Min Read
वाराणसी: 128 वर्षीय पद्मश्री से सम्मानित योग गुरु स्वामी शिवानंद बाबा का निधन

वाराणसी: योग की दुनिया के एक महान संत और प्रेरणास्रोत, 128 वर्षीय स्वामी शिवानंद बाबा का शनिवार रात वाराणसी में निधन हो गया। वे पिछले तीन दिनों से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के जिरियाट्रिक वार्ड में भर्ती थे और उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। तीन साल पहले, 2022 में, उन्हें योग के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए प्रतिष्ठित पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था।

स्वामी शिवानंद बाबा का जन्म 8 अगस्त, 1896 को अविभाजित बंगाल के श्रीहट्टी जिले में हुआ था, जो वर्तमान में बांग्लादेश का हिस्सा है। उन्होंने एक कठिन बचपन बिताया, भूख के कारण उनके माता-पिता का निधन हो गया था, जिसके बाद से उन्होंने आजीवन आधा पेट भोजन करने का संकल्प लिया था।

उनके निधन की खबर से उनके लाखों अनुयायियों और योग प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।

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स्वामी शिवानंद बाबा: एक प्रेरणादायक जीवन

स्वामी शिवानंद बाबा ने अपना पूरा जीवन योग और आध्यात्मिकता को समर्पित कर दिया। उनकी दीर्घायु और स्वस्थ जीवनशैली ने दुनियाभर के लोगों को प्रेरित किया। उनके जीवन की कुछ उल्लेखनीय बातें:

  • असाधारण दीर्घायु: आधार कार्ड के अनुसार उनकी जन्मतिथि 8 अगस्त, 1896 दर्ज है, जिससे वे 128 वर्ष के थे। उन्हें भारत के सबसे उम्रदराज व्यक्तियों में से एक माना जाता था।
  • पद्मश्री सम्मान: योग के प्रति उनके अटूट समर्पण और योगदान के लिए उन्हें 2022 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वे इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को प्राप्त करने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति थे।
  • योग और साधना में निष्ठा: उन्होंने प्रतिदिन सुबह 3 बजे उठकर योगाभ्यास किया और अपना जीवन योग और साधना को समर्पित कर दिया।
  • सादा और अनुशासित जीवन: बाबा शिवानंद ने हमेशा अत्यंत सादा जीवन जिया। वे केवल उबला हुआ भोजन करते थे जिसमें नमक और तेल की मात्रा नगण्य होती थी, और वे हमेशा चटाई पर ही सोते थे।
  • ब्रह्मचर्य का पालन: उन्होंने आजीवन ब्रह्मचर्य का कठोरता से पालन किया।
  • कुंभ मेले में नियमित उपस्थिति: वे पिछले एक शताब्दी से हर कुंभ मेले में नियमित रूप से शामिल होते रहे थे।
  • मानव सेवा का संकल्प: उन्होंने कई वर्षों तक कुष्ठ रोगियों की निस्वार्थ सेवा की।
  • स्वस्थ जीवन का रहस्य: उनकी लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य का रहस्य उनकी अनुशासित जीवनशैली, नियमित योगाभ्यास और सात्विक भोजन था।
  • प्रेरणा के स्रोत: स्वामी शिवानंद बाबा ने अपनी जीवनशैली और योग के प्रति अटूट समर्पण से अनगिनत लोगों को स्वस्थ और अनुशासित जीवन जीने की प्रेरणा दी।
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स्वामी शिवानंद बाबा का निधन योग और आध्यात्मिकता जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका सादा जीवन, योग के प्रति निष्ठा और मानव सेवा का भाव हमेशा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।

उनका अंतिम संस्कार रविवार को वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट पर किया जाएगा, जहां उनके अनुयायी और शुभचिंतक उन्हें अंतिम विदाई देंगे।

 

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