राहुल की मेहनत को कब मिलेगा फल? कांग्रेसी रणनीतिकार कब बनाएंगे ठोस रणनीति?

Dharmender Singh Malik
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झांसी। भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र में लगातार तीसरी बार सरकार बनाई है और नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं। एक दशक से भी अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन कांग्रेस के रणनीतिकार अभी तक ऐसी कोई प्रभावी रणनीति नहीं बना पाए हैं, जिससे केंद्र की भाजपा सरकार को चुनाव में हराया जा सके और कांग्रेस सत्ता में वापसी कर सके। हैरानी की बात यह है कि कांग्रेस के रणनीतिकार भाजपा के खिलाफ चुनावी रणनीति बनाने की बजाय, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान को लेकर खुश हो रहे हैं, जिसमें उन्होंने 75 साल होने के बाद रिटायर होने की बात कही है। वे मुख्यधारा के मीडिया पर आकर यह भी बता रहे हैं कि “अच्छे दिन आने वाले हैं क्योंकि मोदी जाने वाले हैं।”

क्या मोदी के जाने से ही आएंगे कांग्रेस के ‘अच्छे दिन’?

सवाल यह है कि क्या सिर्फ नरेंद्र मोदी के पद से हटने के बाद कांग्रेस के अच्छे दिन आ जाएंगे? केंद्र की सत्ता में भाजपा है, और अगर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद से हट भी जाते हैं, तो उनकी जगह भाजपा का ही कोई और नेता प्रधानमंत्री बनेगा, न कि कांग्रेस का। इसलिए, कांग्रेस के रणनीतिकारों को भाजपा के बुने इस जाल में फंसने की बजाय, अपने दिमाग को इस बात पर लगाना चाहिए कि बिहार में भाजपा को सत्ता में आने से कैसे रोका जाए और वहां ‘इंडिया’ गठबंधन की सरकार कैसे बनाई जाए।

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बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी अपनी दम पर पहली बार सरकार बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। कांग्रेस के रणनीतिकारों को चाहिए कि वे बिहार में भाजपा के रणनीतिकारों की रणनीति को विफल करने की योजना बनाएं, न कि मोहन भागवत के बयान पर खुश होकर यह कहें कि “अच्छे दिन आने वाले हैं क्योंकि मोदी जाने वाले हैं!”

क्या राहुल गांधी को भ्रम में रखा जा रहा है?

क्या कांग्रेस के रणनीतिकार ऐसे बयान देकर राहुल गांधी को भ्रम में रखना चाहते हैं और अपनी नाकामियों को छुपाना चाहते हैं? क्या मोदी के रिटायर होते ही केंद्र में कांग्रेस अपनी सरकार बना लेगी? कांग्रेस के रणनीतिकारों की यह खुशी देखकर ऐसा ही लग रहा है जैसे उन्होंने भाजपा के खिलाफ कोई बहुत बड़ी जंग जीत ली हो।

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सियासी गलियारों में गर्म बहस: मोदी के बाद कौन?

वैसे, मोहन भागवत के बयान के बाद से राजनीति गरम हो गई है और लोग यह अनुमान लगाने लगे हैं कि नरेंद्र मोदी के बाद देश का प्रधानमंत्री कौन होगा। चर्चा तो गृहमंत्री अमित शाह के उस बयान की भी हो रही है, जिसमें उन्होंने अपना रिटायरमेंट प्लान बताया था और कहा था कि वह रिटायर होने के बाद क्या करेंगे। लेकिन सवाल यह है कि अमित शाह 75 साल की उम्र से पहले और रिटायरमेंट लेने से पहले देश की राजनीति में क्या करेंगे, क्योंकि यदि उम्र 75 की बात करें तो उनके पास अभी काफी लंबा समय बाकी है। क्या यदि मोदी रिटायर हुए तो प्रधानमंत्री अमित शाह ही बनेंगे? मोहन भागवत के द्वारा दिया गया बयान “75 साल होते ही रिटायर हो जाना चाहिए” से भी बड़ा बयान अमित शाह का है जिसमें उन्होंने अपना रिटायरमेंट प्लान बताया है। यदि इन दोनों के बयानों को देखें तो क्या यह मोदी पर रिटायर होने के लिए राजनीतिक दबाव है?

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कांग्रेस के रणनीतिकार भाजपा से सवाल क्यों नहीं पूछ रहे?

सवाल कांग्रेस के रणनीतिकारों के खुश होने का है, मगर कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकारों से यह सवाल है कि, लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी अपना स्थाई अध्यक्ष नहीं चुन पा रही है, तो इसको लेकर कांग्रेस के रणनीतिकार भाजपा से सवाल क्यों नहीं कर रहे हैं? क्या कांग्रेस के रणनीतिकारों ने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से सवाल पूछने बंद कर दिए हैं? जबकि जब श्रीमती सोनिया गांधी कार्यकारी अध्यक्ष थीं, तब भारतीय जनता पार्टी के नेता बार-बार गांधी परिवार पर कांग्रेस पर कब्जा करने का आरोप लगाते थे और कहते थे कि कांग्रेस अपना स्थाई अध्यक्ष तक नहीं चुन पा रही है। क्या अब ऐसे ही सवाल कांग्रेस के नेता और रणनीतिकार भारतीय जनता पार्टी से पूछ रहे हैं?

डॉ सुनील तिवारी
( लेखक सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी आफ कर्नाटक के पूर्व फर्स्ट कोर्ट मेम्बर रहे हैं)

 

 

 

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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