आगरा। मानसून का समय अब समाप्त हो चुका है, लेकिन आगरा के बंधों, तालाबों और जलाशयों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इस बार मानसून में सामान्य से अधिक वर्षा हुई, फिर भी आगरा महानगर और उसके जनपद में जल की किल्लत बनी हुई है। दशहरे के बाद अपर गंगा कैनाल की सफाई के कारण दीपावली तक जलापूर्ति की स्थिति और भी गंभीर हो जाएगी।
जलसंचय की दुर्दशा
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा का मानना है कि भरपूर मानसून के बावजूद आगरा में जलसंचय संरचनाएँ पानी से भरपूर नहीं हो सकीं। सरकारी योजनाओं के तहत बनाए गए जल संरचनाएं जल शून्यता का सामना कर रही हैं, जबकि किसानों द्वारा प्रबंधित तालाब और गड्ढे जल से भरे हुए हैं। शैलेन्द्र पहलवान जैसे नेताओं का आह्वान है कि सरकार और लघु सिंचाई विभाग को जनता के साथ संवाद स्थापित करना चाहिए।
तेरह मोरी बांध की स्थिति
तेरह मोरी बांध की दुर्दशा सबसे अधिक चिंताजनक है। करौली की विंध्यपहाणियों से आने वाले जलधाराओं को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने अब तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया है। सिविल सोसायटी ऑफ आगरा की टीम ने तेरह मोरी बांध और खारी नदी का जायजा लिया और पाया कि किसी भी सुधार कार्य की कमी है। यह बांध, जो मुगलों के समय से अस्तित्व में है, अब अनुरक्षण की आवश्यकता महसूस कर रहा है।
हेरिटेज प्रॉपर्टी का संरक्षण
तेरह मोरी बांध को हेरिटेज प्रॉपर्टी माना जाता है, और इसे पुरातत्व विभाग की सूची में भी रखा गया है। सिविल सोसायटी का कहना है कि सिंचाई विभाग और जिला प्रशासन को भारत सरकार को योजना भेजनी चाहिए ताकि इस बांध का संरक्षण और जल संचित करने की क्षमता को बढ़ाया जा सके।
खारी नदी की स्थिति में सुधार
सिविल सोसायटी का मानना है कि खारी नदी के उफान से भरतपुर के अजान बांध से शुरू होने वाले चैनल को सुधारने की आवश्यकता है। इसके बिना, राजस्थान से आने वाला जल तेरह मोरी बांध तक नहीं पहुँच पाता। यदि उचित प्रबंधन किया जाए, तो खारी नदी को मानसून के बाद भी जलयुक्त रखा जा सकता है।
रिहावली प्रोजेक्ट की आवश्यकता
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने उटंगन नदी पर रिहावली गांव में बांध बनाने की योजना को तेजी से आगे बढ़ाने का अनुरोध किया है। जिला पंचायत अध्यक्ष ने इस प्रोजेक्ट को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ जी के समक्ष उठाया था, और इसे आगरा के लिए लाभकारी माना गया है।
आगरा में जल प्रबंधन की स्थिति को सुधारने के लिए स्थानीय नेताओं, सरकार और नागरिकों को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। जलसंचय संरचनाओं की हालत और उनके संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाए जाने चाहिए ताकि भविष्य में जल संकट से निपटने में सहायता मिल सके।