पटना, बिहार: राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने सोशल मीडिया पर अनुष्का यादव के साथ अपने रिश्ते का खुलासा कर बिहार की सियासत में भूचाल ला दिया था। इस खुलासे के बाद लालू यादव ने तेज प्रताप को परिवार और पार्टी से बाहर करने का ऐलान कर दिया। लालू के इस फैसले के बाद से तेज प्रताप के सियासी भविष्य को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है।
अब तेज प्रताप अपनी ‘टीम तेज प्रताप’ के नए झंडे के साथ फिर से सक्रिय हो गए हैं और यह साफ कर दिया है कि वह चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, सीट और सिंबल का सवाल अभी भी बना हुआ है, लेकिन चर्चाओं में वैशाली जिले की महुआ सीट का नाम प्रमुखता से आ रहा है।
महुआ से क्यों लड़ने की चर्चा?
अनुष्का यादव प्रकरण के बाद हुए विवाद से भी पहले से यह चर्चा थी कि तेज प्रताप महुआ सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। कहा तो यह भी जाता है कि वह 2020 के बिहार चुनाव में भी महुआ सीट से ही लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें हसनपुर सीट से चुनाव मैदान में उतारा था। अब बिहार चुनाव करीब हैं और तेज प्रताप के सियासी दौरों की भी शुरुआत हो गई है।
तेज प्रताप दो दिन पहले ही सावन महीने की पहली सोमवारी पर अपने वर्तमान निर्वाचन क्षेत्र हसनपुर पहुंचे और कहा कि वह जनता की समस्याएं सुनने आए हैं। जब उनसे पूछा गया कि वह हसनपुर से ही चुनाव लड़ेंगे या महुआ से, तो तेज प्रताप इस सवाल को टाल गए और कहा कि अभी तय नहीं किया है, जनता जहां बुलाएगी, वहां जाएंगे।
हालांकि, तेज प्रताप खुद यह कह रहे हैं कि उन्होंने अभी सीट तय नहीं की है, लेकिन महुआ सीट से उनके उतरने की चर्चाएं जोरों पर हैं, और यह चर्चा आधारहीन भी नहीं है। तेज प्रताप हसनपुर से पहले महुआ पहुंचे थे, और उन्होंने अपने चुनावी करियर की शुरुआत भी महुआ सीट से ही 2015 में की थी। महुआ दौरे के दौरान तेज प्रताप ने 2015 के चुनाव में किए अपने वादों का जिक्र भी किया था।
उन्होंने दावा किया कि वे जो वादे करते हैं, उन्हें निभाते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने मेडिकल कॉलेज का वादा किया था, जो अब पूरा हो गया है, और वे उसी का निरीक्षण करने यहां आए थे। तेज प्रताप ने लगे हाथ यह भी कह डाला कि अब एक इंजीनियरिंग कॉलेज यहां देना है। यह गौरतलब है कि तेज प्रताप आठ महीने पहले दिसंबर में भी महुआ सीट से लड़ने की बात कह चुके हैं।
महुआ सीट से लड़ने की बात पर तेज प्रताप की आरजेडी के मौजूदा विधायक मुकेश रौशन के साथ कहासुनी भी हो गई थी। तब तेज प्रताप भी आरजेडी में हुआ करते थे, लेकिन अब तस्वीर अलग है। मुकेश रौशन अभी भी आरजेडी में हैं और तेज प्रताप ‘बेपार्टी’ हो चुके हैं, यानी निर्दलीय उतरने की संभावना है। महुआ जाने और पुराने वादों का जिक्र करने को तेज प्रताप की ओर से महुआ सीट से उम्मीदवारी के स्पष्ट संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
महुआ सीट का जातीय समीकरण क्या कहता है?
वैशाली जिले के महुआ विधानसभा क्षेत्र की कुल आबादी में मुस्लिम और यादव समाज की अनुमानित हिस्सेदारी करीब 35 फीसदी है। मुस्लिम और यादव आरजेडी के कोर वोटर माने जाते हैं। अनुमानों के मुताबिक, महुआ में अनुसूचित जाति की आबादी भी 21 फीसदी के आसपास है, जिसमें पासवान और रविदास समाज की बहुलता है।
अगर तेज प्रताप किसी दूसरी पार्टी से या निर्दलीय मैदान में उतरते हैं, तो आरजेडी के कोर वोटबैंक में बंटवारे की स्थिति बन सकती है, जिसका सीधा असर चुनाव परिणामों पर पड़ सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि लालू परिवार का यह अंदरूनी कलह बिहार की राजनीति में क्या मोड़ लेता है।