- साधना बनकर लिविंग रिलेशन में शास्त्रीपुरम में रह गई दस साल
- युवक ने मंत्रालय में की थी शिकायत, बेटी को लेकर हो गई फरार
- दरोगा की मिलीभगत से डॉन की भाभी पुलिस कार्रवाई से बचकर भागी
आगरा। अबू सलेम नाम तो सुना ही होगा, अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद का करीबी और वर्ष 1993 मुंबई बम धमाकों को दोषी है। सलेम की गिरफ्तारी के बाद उसके करीबी मुंबई छोड़कर भाग रहे थे। उसी में सलेम की भाभी (बार डांसर) भागकर दिल्ली पहुंची। वहां से आगरा आई और सिकंदरा थाना क्षेत्र के शास्त्रीपुरम में एक युवक के साथ लिविंग-रिलेशन में नाम और पहचान छिपाकर दस साल रह गई। उसने एक बेटी को भी जन्म दिया। जानकारी होने पर युवक ने छोड़ दिया और गृह मंत्रालय में गोपनीय शिकायत कर दी। बेटी लेने के लिए पुलिस और कोर्ट की मदद मांगी, लेकिन एक दरोगा की वजह से बेटी आजतक नहीं मिल सकी है। और महिला और उसका परिवार भूमिगत हो गये हैं। दरोगा ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर युवक पर दो मुकदमें करवाये। उसने जेल काटी। पूरे प्रकरण की एससीएसटी आयोग के आदेश पर एडीसीपी क्राइम ने जांच में अबू सलेम की भाभी, अन्य को दोषी और दरोगा की भूमिका संदिग्ध पाते हुए मुकदमें की संतुस्ती की है। पीड़ित युवक पिछले चौदह साल से बेटी को पाने और न्याय की उम्मीद में दर-दर की ठोकरें खा रहा है।
मामला वर्ष 2005 का है। थाना सिकंदरा के शास्त्रीपुरम ए ब्लॉक निवासी जितेन्द्र वर्मा पुत्र किशन सिंह प्रताप के घर साधना नाम की महिला दो बच्चों के साथ उनके घर किराये पर कमरा लेने आती है। साधना ने बताया था कि उसका पति शहनवाज कई साल पहले छोड़कर चला गया है। उसके पिता का घर शिकोहाबाद में है। साधना ने सुसराल का पता नहीं बताया था। जितेन्द्र वर्मा ने शास्त्रीपुरम में ही अपने दूसरे घर किराये पर दे दिया। दोनों की नजदीकी भी बढ़ गर्इं। एक साल बाद ही दोनों लिविंग रिलेशन में रहने लगे। वर्ष 2008 में दोनों के एक बेटी हुई। जिसका नाम भूमिका वर्मा रखा। वर्ष 2009 में साधना बीमार पड़ गई। साधना ने देखरेख के लिए अपनी मां को बुला लिया। मां के दस्तावेजों में शबाना नाम का पासपोर्ट मिला, जो मुंबई के पते पर वर्ष 1996 में जारी हुआ था। उसी से दुबई आना-जाना था। उसमें फोटो साधना का लगा था। जितेन्द्र वर्मा ने और छानबीन की तो जानकारी में आया कि साधना का असली नाम शबाना अंसारी है और पति का नाम कलीम अंसारी है। वह डर गया। यह बात किसी को नहीं बताई। जितेन्द्र ने फरवरी 2010 में गृह मंत्रालय को गोपनीय शिकायत भेज दी। इस दौरान साधना मुंबई जाती रही।
बेटी के बदले मांगी थी डेढ़ करोड़ की फिरौती
गृह मंत्रालय में हुई शिकायत की जानकारी साधना को हो गई। वर्ष 2012 में अलग हो गई। जितेन्द्र ने अपनी बेटी भूमिका वर्मा को साधना से मांगा। साधना उर्फ शबाना और उसके मां ने धमकी दी कि बेटी चाहिए तो डेढ़ करोड़ रुपये और संपत्ति नाम करनी होगी। यह मामला उस दौरान प्रमुख अखबारों में अबू सलेम की करीबी ने मांगी डेढ़ करोड़ की फिरौती, दुबई के डॉन से जुड़े युवती के तार, एटीएस ने शुरू की युवती के डॉन से संबंधों की जांच आदि खबरें सुर्खियों में रही थी। 21 फरवरी 2014 में बेटी पाने को कोर्ट से साधना को लीगल नोटिस दिया। उसके बाद पूरा परिवार भाग गया। वर्ष 2014 में हाईकोर्ट ने तत्कालीन एसएसपी को तलब किया, तो दो दिन में ही एसएसपी ने किरावली बड़ी मस्जिद के पास से पूरे परिवार को तलाश कर हाईकोर्ट में पेश कर दिया। हाईकोर्ट ने बेटी भूमिका वर्मा की उम्र चार होने की वजह से मां के पास रहने का आदेश देते हुए, हिदायत दी कि पूरा मामले की सुनवाई आगरा फैमली कोर्ट में होेगी।
वर्ष 2016 में हुई दरोगा की एंट्री
किरावली के बाद वह ताजगंज क्षेत्र में रहने लगी। बेटी भूमिका वर्मा का नाम फिजा, जन्म प्रमाणपत्र 2008 के स्थान पर 2010 कर दिया है। उसने अपने पति का नाम शहनवाज की जगह कलीम अंसारी स्कूल आदि में दस्तावेजों में करवा दिया। साधना ने कोर्ट में शपथपत्र लगाया है कि उसका पति कलीम अंसारी वर्ष 2007 से लापता है। जबकि वह खुद कहती है कि उसकी बेटी वर्ष 2010 में हुई थी। जितेन्द वर्मा ने कोर्ट से डीएनए टेस्ट कराने की मांग की थी। शासन के आदेश हुए कि बेटी किसकी है? एसएसपी इसकी जांच कर रिपोर्ट दें। वर्ष 2016 में एसएसपी ने ताजगंज थाने में एकता चौकी इंचार्ज से जांच कराई। दरोगा ने जांच में लिखा कि बच्ची को लेकर मामला कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए जांच की जरूरत नहीं है। आरोप है कि दरोगा साधना उर्फ शबाना की पीछे के रास्ते से मदद करते थे।
बुआ-भतीजी ने रेप में भेजा जेल
20 अप्रैल 2018 में साधना ने योन शोषण का मुकदमा जितेन्द्र वर्मा पर सिकंदरा थाने में दर्ज कराया। 22 अप्रैल को ही उसे जेल भेज दिया। जबकि साधना ने पता टीवी टॉवर शमसाबाद रोड सिकंदरा निवासी दिखाया। सिकंदरा क्षेत्र में शमसाबाद रोड नहीं हैं। इसके पीछे का खेल यह था कि वर्ष 2016 में ताजगंज में तैनात दरोगा 2018 में सिकंदरा में था। मुकदमें के विवेचक वहीं बने और जितेन्द्र वर्मा को महज दो दिन जेल भेज दिया। जितेन्द्र की जमानत होने को थी, उसी दौरान सिमरन नाम की एक महिला ने जितेन्द्र वर्मा पर दुष्कर्म का आरोप और अपनी तीन साल की बेटी से छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज कराया। उसी दरोगा ने सिमरन वाले मुकदमे की विवेचना की और चार्जशीट लगा दी। दोनों महिलाओं ने अपनी पहचान छिपाई, जबकि साधना उर्फ शबाना और सिमरन सगी बुआ-भतीजी हैं। दोनों ने अपने पते और दस्तावेज फर्जी लगाये। विवेचक ने दोनों के पते को सत्यापित किया था। फर्जी दस्तावेज और गलत पता लिखाने के मामले में सिमरन और कई अन्य पर सिकंदरा थाने में ही डीसीपी विकास कुमार की जांच के बाद आठ नवंबर 2022 में मुकदमा दर्ज हुआ था। उसके बाद भी विवेचक राहुल कटियार एक कदम आगे तक नहीं बढ़ रहे हैं।
दोनों मुकदमों की एसपी क्राइम कर चुके हैं जांच
जितेन्द्र पर दर्ज दोनों मुकदमें झूठे हैं और बेटी की मांग के लिए पुन: एससीएसटी आयोग में जुलाई 2022 में शिकायत हुई। एसपी क्राइम जो मौजूदा पद एडीसीपी क्राइम ने पूरे मामले की जांच की। अक्टूबर 2022 में उन्होंने जांच रिपोर्ट में लिखा है कि विवेचक की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। शिकायतकर्ता के सभी आरोप सत्य पाये गये हैं। मुकदमें की संस्तुति की जाती है। मामले में मुख्यालय पुलिस महानिदेशक विशेष जांच यूपी सरकार ने मामले को संज्ञान में लेते हुए पांच जनवरी 2023 को पुलिस कमिश्नर से एसपी क्राइम ने तैयार की रिपोर्ट को तलब किया है। वह रिपोर्ट एससीएसटी आयोग में पेश करनी है। इसकी एक प्रतिलिपि एडीजी जोन आगरा राजीव कृष्ण को भी भेजी है।
अबू सलेम की भाभी शबाना पत्नी कलीम अंसारी वर्ष 2002 में उसके पकड़े जाने के बाद दिल्ली भाग आइ थी। वह दुबई के एक होटल में इंडियन डांसर थी। होटल के पेपलेट पर शबाना के फोटो हैं। वह साधना बनकर जितेन्द्र के साथ रही। शबाना और साधना नाम के पहचानपत्र, वोटरकार्ड थे। उसका पति कलीम अंसारी अबू सलेम की गिरफ्तारी के बाद से ही लापता है। वह जिंदा है या मर गया। इसकी शबाना को भी जानकारी नहीं है।