Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा पर जानें खीर का महत्व और पूजन का शुभ मुहूर्त

Sumit Garg
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Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा पर जानें खीर का महत्व और पूजन का शुभ मुहूर्त

शरद पूर्णिमा का महत्व

इस रात आकाश से अमृत की बारिश होती है. इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर आती हैं और अपने भक्तों पर धन-धान्य की वर्षा करती हैं. इस रात चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है, जो सभी जीवों को स्वस्थ और दीर्घायु बनाता है. शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में खीर रखने की परंपरा है।

अश्विन माह में आने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है. इस पूर्णिमा को कौमुदी, कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के सबसे निकट होता है. ये पर्व रात में चंद्रमा की दूधिया रोशनी के बीच मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि पूरे साल में केवल शरद पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है।

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Sharad Purnima 2024: हिन्‍दू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्‍व है. ऐसी मान्‍यता है कि शरद पूर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है इस दिन चंद्रमा धरती पर अमृत की वर्षा करता है. शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा, माता लक्ष्‍मी और भगवान विष्‍णु की पूजा का विधान है. शरद पूर्णिमा का चांद और साफ आसमान मॉनसून के पूरी तरह चले जाने का प्रतीक है. कहते हैं ये दिन इतना शुभ और सकारात्मक होता है कि छोटे से उपाय से बड़ी-बड़ी विपत्तियां टल जाती हैं।

2024 में शरद पूर्णिमा कब है?

वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि के दिन शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। इस बार 16 अक्टूबर को शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ सुबह 12 बजकर 19 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन रात में 08 बजकर 40 मिनट पर होगा। 16 अक्टूबर को जैसे ही शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का समापन होगा, उसके बाद से शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी, जिसका समापन अगले दिन 17 अक्टूबर को दोपहर बाद 04 बजकर 56 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर साल 2024 में 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा की पूजा की जाएगी। बता दें कि देश के कई राज्यों में शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है।

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शरद पूर्णिमा का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन से शीत ऋतु का आरंभ होता है। इस दिन भगवान आसमान से अमृत बरसाते हैं और चांद अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। कहा जाता है कि हर साल शरद पूर्णिमा के दिन धन की देवी माता लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करने के लिए आती हैं। इसलिए इस दिन जो व्यक्ति सच्चे मन से माता लक्ष्मी की पूजा करता है और उन्हें उनकी प्रिय चीजों का भोग लगता है, उसे जीवन में कभी भी पैसों की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है।

 

खीर का भोग लगाना है शुभ

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शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी में भगवान को खीर का भोग लगाने से साधक को देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके लिए पूरी रात चांद की रोशनी में चांदी के बर्तन में खीर को भरकर रख दें। अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में पूजा-पाठ करने के बाद उस खीर का सेवन करें। रातभर चांद की रोशनी में खीर को रखने से उसमें सकारात्मक ऊर्जा आती है, जिसके सेवन से तन और मन शुद्ध होता है। इसी के साथ आर्थिक तंगी से भी छुटकारा

मिलता है।

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प्रभारी-दैनिक अग्रभारत समाचार पत्र (आगरा देहात)
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