भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार को बड़ी गिरावट देखी गई। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में 1-1 प्रतिशत से अधिक की कमी आई, जबकि स्मॉलकैप और मिडकैप इंडेक्स में 4 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स के टॉप 30 में केवल एक स्टॉक हरे निशान में रहा, जिससे निवेशकों के 9 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए। आइए जानते हैं कि इस क्रैश की वजह क्या है।
नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट आई है, जहां सेंसेक्स 930 अंक और निफ्टी 303 अंक तक गिरकर बंद हुए। कई शेयरों में लगभग 5 प्रतिशत तक की कमी आई। सेंसेक्स के टॉप 30 में केवल ICICI बैंक, नेस्ले इंडिया और इन्फोसिस ने मामूली तेजी दिखाई, जबकि बाकी 27 कंपनियों के शेयर लाल निशान में बंद हुए।
इस गिरावट के पीछे कई कारण हैं:
1. कमजोर तिमाही नतीजे:
कई कंपनियों का मूल्यांकन अत्यधिक है, लेकिन उनके तिमाही परिणामों ने निवेशकों को निराश किया है। बजाज ऑटो, कोटक महिंद्रा बैंक और आरबीएल बैंक के नतीजे इसकी मिसाल हैं। इसके अलावा, रिलायंस इंडस्ट्रीज के नतीजों से भी निवेशक संतुष्ट नहीं हैं।
2. विदेशी निवेशकों की बिकवाली:
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भारतीय शेयर बाजार में लगातार बिकवाली कर रहे हैं। अक्टूबर में अब तक FPI ने भारतीय इक्विटी से रिकॉर्ड 82,479 करोड़ रुपये निकाले हैं, जो मार्च 2020 में कोविड-19 के दौरान बिकवाली के स्तर के करीब है। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने कुछ खरीदारी की है, लेकिन वह अभी नाकाफी दिख रही है।
3. उच्च वैल्यूएशन:
भारतीय शेयर बाजार का मूल्यांकन बहुत अधिक है, जिससे विदेशी निवेशक चीन और हांगकांग जैसे सस्ते बाजारों का रुख कर रहे हैं। चीन की सरकार ने वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज का एलान किया है और केंद्रीय बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों में कटौती की है, जिससे वहां का शेयर बाजार निवेश के लिए और आकर्षक बन गया है।
इस प्रकार, इन कारकों के चलते भारतीय शेयर बाजार में एक सुनामी जैसी स्थिति उत्पन्न हुई है, जिसने निवेशकों को भारी नुकसान पहुंचाया है।
वित्तीय संकट,