29 जनवरी 2013 को, रतन टाटा ने कर्नाटका के बीवीबी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी में तीसरे युवा सम्मेलन में छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने युवाओं को conformism से बाहर निकलने और अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया। रतन टाटा का यह संबोधन आज के युवा उद्यमियों और नेताओं के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक है।
असली पहचान बनने का महत्व
रतन टाटा ने छात्रों को बताया, “मैं एक बहुत बड़े व्यक्ति के जूते भरने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मैं केवल खुद को होना चाहता था।” उन्होंने युवाओं से कहा कि उन्हें अपने भीतर के बदलाव की चाहत के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
संघर्ष और मिथकों को तोड़ना
उन्होंने यह भी कहा, “कितनी बार आपने सुना है कि यह नहीं किया जा सकता?” रतन टाटा का यह संदेश युवाओं को यह समझाने के लिए था कि समाज में जो कुछ भी नहीं किया जा सकता है, उसे संभव बनाने की चुनौती खुद पर लेना चाहिए। उन्होंने उदाहरण के रूप में Microsoft, Apple, Amazon, और Google का उल्लेख किया, जो छोटे विचारों से बड़े हुए हैं।
नैतिकता और नेतृत्व
रतन टाटा ने युवाओं से अपील की कि वे अपने जीवन में नैतिकता को प्राथमिकता दें और उन मानवीय मूल्यों का पालन करें, जिन्हें वे अपने देश में देखना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कठिन निर्णय लेने की आवश्यकता होगी, और हमेशा यह सवाल करना चाहिए कि क्या वे सही कर रहे हैं।
धन्यवादी दृष्टिकोण
रतन टाटा ने बताया कि उन्हें अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है, जो उन्हें मजबूत बनाती हैं। उन्होंने कहा, “हर समस्या एक सीखने का अवसर है।” इस दृष्टिकोण ने उन्हें यह समझने में मदद की कि किसी भी स्थिति में उन्हें दूसरों की सहायता करनी चाहिए।
समाज के प्रति जिम्मेदारी
उन्होंने जोर देकर कहा कि सफलता केवल व्यक्तिगत समृद्धि पर निर्भर नहीं करती, बल्कि यह इस बात पर भी निर्भर करती है कि आपने समाज में क्या योगदान दिया है। “यदि आप किसी गरीब व्यक्ति को स्कूल भेजते हैं और उसे prospering होते देखते हैं, तो यह आपके लिए खुशी का कारण होना चाहिए।