इस्लामाबाद: पाकिस्तान में पाकिस्तान तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) ने एक और गंभीर वारदात को अंजाम दिया है। टीटीपी ने पाकिस्तान के परमाणु ऊर्जा आयोग (पीएईसी) के 16 कर्मचारियों को कथित तौर पर अपहरण कर लिया है। यह कर्मचारी पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े थे और लक्की मरवत जिले में काबुल खेल एटॉमिक एनर्जी खनन परियोजना में कार्यरत थे। टीटीपी ने अपहरण के बाद एक वीडियो जारी किया, जिसमें अपहृत कर्मचारियों ने पाकिस्तान सरकार से अपनी रिहाई की अपील की है। इन कर्मचारियों ने टीटीपी की मांगों को मानने का भी आग्रह किया है, जिससे पाकिस्तान की सरकार पर दबाव बढ़ता हुआ नजर आ रहा है।
कर्मचारियों के अपहरण और टीटीपी की धमकी
रिपोर्ट्स के अनुसार, टीटीपी ने 16 से 18 कर्मचारियों को अपहरण किया और इस दौरान उनके वाहनों को आग के हवाले कर दिया। घटना लक्की मरवत में उस समय घटी जब हथियारबंद टीटीपी के लड़ाकों ने यूरेनियम से जुड़े एक परियोजना स्थल पर हमला किया। सूत्रों का कहना है कि टीटीपी ने इस दौरान यूरेनियम लूटने का दावा किया है, हालांकि टीटीपी ने अपने बयान में कहा कि उसने केवल कुछ लोगों को कब्जे में लिया है और उनकी रिहाई के बदले पाकिस्तान सरकार से कुछ खास मांगें की हैं।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्तों में तनाव
टीटीपी, जिसे पाकिस्तान की सरकार आतंकवादी संगठन मानती है, पिछले कुछ महीनों से पाकिस्तान के खिलाफ हमलों में सक्रिय रही है। पाकिस्तान सरकार का आरोप है कि अफगानिस्तान की जमीन पर टीटीपी को शरण मिल रही है और वहीं से वह पाकिस्तान में हमलों को अंजाम देते हैं। पाकिस्तान के इन आरोपों के बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच रिश्तों में तनाव बढ़ गया है। पाकिस्तान ने अफगान तालिबान सरकार से टीटीपी पर कार्रवाई करने की मांग की है, लेकिन अफगान तालिबान ने इस पर कोई ठोस कदम उठाने से इनकार कर दिया है।
पाकिस्तान की आर्मी की कार्रवाई और अफगानिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान की ओर से टीटीपी के ठिकानों पर हमले किए जाने के बाद अफगानिस्तान ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के हवाई हमलों में आम नागरिकों की मौत होने की बात कहकर पाकिस्तान को घेरा है। पाकिस्तान ने अपनी कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहा कि टीटीपी के खिलाफ इसे और भी सख्त कदम उठाने की जरूरत है। वहीं, अफगान तालिबान ने पाकिस्तान की आक्रमकता को नकारते हुए अपनी स्थिति को स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई अफगानिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन है।
पाकिस्तान सरकार की चुनौती
पाकिस्तान सरकार के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है क्योंकि एक तरफ टीटीपी का दबाव बढ़ रहा है और दूसरी तरफ पाकिस्तान को अफगानिस्तान के तालिबान सरकार से भी अपेक्षाएं हैं। पाकिस्तान की सैन्य और सरकार को टीटीपी के हमलों से निपटने के लिए रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है, जबकि पाकिस्तान की जनता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस स्थिति को लेकर चिंतित है।
टीटीपी की मांगें
टीटीपी के नेताओं ने साफ तौर पर कहा है कि अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वे आगे और भी खतरनाक कदम उठा सकते हैं। टीटीपी की मुख्य मांगें पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई, उनके द्वारा गठित शरिया न्यायालयों के लिए कानून व्यवस्था लागू करने की योजना और पाकिस्तान सरकार के खिलाफ हिंसक कार्रवाई की मांगों को लेकर गंभीर रूप से उठाई गई हैं।
टीटीपी का यह अपहरण और उसके बाद सरकार पर दबाव डालने का तरीका एक बार फिर पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा और उसके परमाणु कार्यक्रम को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में सवाल खड़े कर रहा है।