भारत में नदियों को हमेशा ही जीवनदायिनी माना गया है, और यमुना नदी का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। हालांकि, दशकों से प्रदूषण, अतिक्रमण और अन्य पर्यावरणीय समस्याओं के कारण यमुना की स्थिति बेहद गंभीर हो गई थी। लेकिन मथुरा के एक व्यवसायी प्रदीप बंसल के नेतृत्व में यमुना मिशन ने यमुना नदी और इसके आस-पास के क्षेत्रों के कायाकल्प के लिए जो कदम उठाए हैं, वह वास्तव में प्रेरणादायक हैं।
यमुना मिशन की शुरुआत और विकास
2015 में प्रदीप बंसल द्वारा शुरू किए गए यमुना मिशन का मुख्य उद्देश्य नदी के किनारों को हरा-भरा और प्रदूषणमुक्त बनाना था। इस मिशन के तहत बंजर भूमि को हरियाली में बदलने, अपशिष्ट जल उपचार प्रणालियों को लागू करने और नियमित सफाई अभियानों के माध्यम से यमुना को साफ और स्वच्छ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं। विशेषकर कोविड लॉकडाउन के दौरान भी, जब सामान्य कार्य ठप हो गए थे, तब यमुना के घाटों की सफाई और गाद निकालने का काम निरंतर जारी रहा।
प्रदूषण और सफाई की चुनौती
हालांकि, यमुना के किनारे और घाटों पर प्रदूषण और झाग की समस्या अब भी बनी हुई है, लेकिन प्रदीप बंसल के अथक प्रयासों से मथुरा में यमुना नदी का दृश्य अब काफी बदल चुका है। अब मथुरा में यमुना साफ-सुथरी दिखाई देती है और घाटों में पानी भर चुका है। गोकुल बैराज की मदद से नदी में जल स्तर भी बेहतर हुआ है। इसके अलावा, मिशन के अंतर्गत कई महत्वपूर्ण पहलें की गईं जैसे कि सीवेज शुद्धिकरण और अपशिष्ट जल उपचार।
मथुरा से वृंदावन तक का सफर
प्रदीप बंसल का दृष्टिकोण न केवल मथुरा तक सीमित है, बल्कि यह वृंदावन और अन्य आसपास के क्षेत्रों में भी फैल रहा है। उनका कहना है, “हम धीरे-धीरे वृंदावन की ओर बढ़ रहे हैं, नालों को मोड़ रहे हैं और उन्हें यमुना में गिरने से रोक रहे हैं। हम लोगों को हमारे तुलसी वन में आने और पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।” यमुना मिशन के इस दृष्टिकोण ने कई स्थानीय कार्यकर्ताओं और नीति निर्माताओं को भी प्रेरित किया है। आज, यमुना मिशन एक मॉडल बन चुका है, जो न केवल मथुरा बल्कि पूरे ब्रज क्षेत्र के लिए एक पर्यावरणीय बदलाव का कारण बन रहा है।
अभी और आगे क्या?
मथुरा के यमुना घाटों से लेकर गोवर्धन परिक्रमा मार्ग और पवित्र तालाबों की सफाई तक, प्रदीप बंसल के नेतृत्व में यमुना मिशन ने कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि अब समय है कि इस पहल को आगरा जैसे शहरों में भी लागू किया जाए। आगरा में यमुना नदी के किनारे भी ऐसी ही हरित पहल की आवश्यकता है, जिससे नदी के आसपास का वातावरण साफ-सुथरा और हरा-भरा बनाया जा सके।
अच्छा उदाहरण: तुलसी वन और हरियाली
यदि आप मथुरा में यमुना तट के किनारे विश्राम घाट, कंस किला और मसानी क्षेत्र के आस-पास चलें तो आपको वहां हरियाली, पेड़ों की कतारों और तुलसी वन जैसी जगहों का सुखद आश्चर्य होगा। मिशन ने यमुना के किनारे बंजर भूमि के विशाल हिस्सों को जीवंत हरे गलियारों में बदल दिया है, जहां पर देशी पेड़ और झाड़ियाँ लगाई गई हैं। यह बदलाव न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह स्थानीय लोगों के लिए एक नया श्वासदान भी है।
यमुना मिशन की सफलता ने दिखा दिया है कि यदि संकल्प और दृढ़ता हो, तो किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है। प्रदीप बंसल का दृष्टिकोण केवल मथुरा के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन चुका है। यमुना मिशन जैसी पहलें हमें यह याद दिलाती हैं कि हमारे आसपास के पर्यावरण की रक्षा करने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा। अब समय आ गया है कि हम यमुना के प्रदूषण को नियंत्रित करने के साथ-साथ इसे स्वच्छ, हरा और सुंदर बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाएं।